कोरोनाः भारत में कोहराम से पाकिस्तान में भी बढ़ गई है बेचैनी
पाकिस्तान कोरोना के तीसरे लहर की चपेट में है. वहाँ भारत की हालत देख चिंता है मगर रमज़ान के कारण पाबंदियों को लागू करना मुश्किल हो रहा है.
भारत में कोरोना संकट जिस तरह गहरा हो रहा है, उससे पाकिस्तान के अधिकारियों में भी बेचैनी बढ़ गई है. उन्हें ये डर सता रहा है कि यदि पाकिस्तान में लोग ऐसे ही मिलते-जुलते रहे तो उसकी भी हालत भारत जैसी खराब हो सकती है.
भारत में कोरोना के मामले बढ़ने के बाद अचरज की बात नहीं कि पाकिस्तान में भी मामले बढ़ रहे हैं. वहां पहली बार रोज होने वाली मौतों के आंकड़े ने 200 का आंकड़ा पार कर लिया है.
पाकिस्तान सरकार ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि देश में इन दिनों कोरोना की तीसरी लहर चल रही है. अब तक यह लहर पहले की दोनों लहरों से ज्यादा जानलेवा साबित हुई है. देश ने इस चलते नए पाबंदियों और वायरस हॉटस्पाट वाली जगहों पर आंशिक लॉकडाउन का ऐलान किया है. इसके तहत पांच फीसदी पॉजिटिविटी रेट वाले सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया है. साथ ही सार्वजनिक समारोहों, खेल आयोजनों, शादी समारोहों और पर्यटन पर रोक लगा दी गई है. शाम 6 बजे के बाद केवल जरूरी कामों को ही करने की अनुमति मिली है. कोरोना वायरस के मामलों और मौतों में वृद्धि के चलते परीक्षाओं को भी टाल दिया गया है.
पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार से देश में आपातकाल लगाने का अनुरोध किया है. इसके अलावा, सावधानी के उपायों को न अपनाने पर अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पैसेंजर फ्लाइटों, ट्रेनों, और सार्वजनिक परिवहन सेवाओं पर रोक लगाने का भी अनुरोध इस संस्था ने किया है.
भारत में कोरोना से मची तबाही को देखते हुए, सरकार ने भी फैसला किया है कि ऑक्सीजन की रोजाना उत्पादन क्षमता में 250 टन का इजाफा किया जाएगा. कुछ उद्योगों में ऑक्सीजन के उपयोग को कम करने का भी निर्णय लिया गया है. इससे पहले, कोरोना की नेशनल रेस्पॉन्स कार्यदल के प्रमुख केंद्रीय मंत्री असद उमर ने कहा कि पाकिस्तान में मामले बढ़ने के बाद अस्पतालों में ऑक्सीजन की ज्यादा सप्लाई करने में अधिकारियों को परेशानी हो रही है.
उन्होंने कहा, ''हम ऑक्सीजन सप्लाई की 90 फीसदी क्षमता का उपयोग कर रहे हैं. और इसका बहुत बड़ा हिस्सा कोरोना के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल हो रहा है.''
सरकार ने सेना को तैनात किया
अभी तक पाकिस्तान में पाबंदियों को लागू करना सरकार के लिए एक चुनौती रही है. इमरान खान जनता से निपटने के लिए सख्त रवैया अपनाना नहीं चाहते हैं. नतीजतन, अधिकारियों की ओर से लागू की गई मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) की लोग खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं. भारत से सबक लेते हुए, सरकार ने अब पाबंदियों को लागू कराने के लिए सेना को तैनात किया है.
इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के डीजी मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ऐलान किया कि नागरिक संस्थानों को एसओपी लागू करने में मदद करने के लिए सेना को अब हर जगह तैनात कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर लेफ्टिनेंट कर्नल जबकि प्रशासनिक डिविजन स्तर पर ब्रिगेडियर के नेतृत्व में टीमों का गठन किया गया है. सेना के सैनिकों की तैनाती का मुख्य मकसद आम प्रशासन और पुलिस की मदद करना है.
मेजर जनरल बाबर ने बताया कि सेना, कानून लागू करने वाली संस्थाओं के साथ पूरा सहयोग करेगी, ताकि महामारी को रोकने के लिए काम किया जा सके. पहले चरण में, पाकिस्तान के उन 16 शहरों में जहां कोरोना की फैलने की दर सबसे ज्यादा है, वहां सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई है. इन शहरों में लाहौर, रावलपिंडी, कराची, क्वेटा, पेशावर और मुजफ्फराबाद शामिल हैं.
अर्थव्यवस्था की चुनौतियां
पाकिस्तान में जब से इमरान खान की सरकार सत्ता में आई है, देश लगातार आर्थिक संकट से जूझ रहा है. कुछ लोगों का मानना है कि समय के साथ यह संकट और बढ़ रहा है. हालांकि सरकार का दावा है कि अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत अब मिलने शुरू हो गए हैं. हालांकि लोग बढ़ी हुई महंगाई और बेरोजगारी से लाचार हो गए हैं.
विश्व बैंक की हाल में आई एक रिपोर्ट में कोरोना की नई लहर, टीकारोधी स्ट्रेन के पनपने और सभी को वैक्सीन देने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के मुसीबत में फंसने को लेकर चेताया गया है. पिछले साल कोविड-19 के आने पर लगाई गई पाबंदियों के चलते वित्त वर्ष 2020 की अंतिम तिमाही में कारोबार पर असर पड़ा. इस चलते विकास दर में 1.5 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, काम करने वाली आधी आबादी की या तो नौकरी चली गई या उनकी आय में कमी आई. इसके चलते गरीबी का स्तर एक फीसदी बढ़कर 5.4 फीसदी हो गई. इस तरह पाकिस्तान में कोरोना के चलते अब तक 20 लाख से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए हैं. साथ ही 40 फीसदी परिवारों को खाने-पीने की असुरक्षा का सामना करना पड़ा है.
इमरान खान को इस हालत में पता है कि पूर्ण लॉकडाउन लगाना अब कोई विकल्प नहीं हो सकता.
कुछ दिन पहले देश को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "यह लहर पहले की लहरों से कहीं अधिक घातक है. यह इंग्लैंड से लाहौर, इस्लामाबाद और पेशावर पहुंचे लोगों के साथ आया है. इसलिए इन शहरों में तेजी से मामले बढ़ रहे हैं."
वैक्सीन के बारे में उन्होंने कहा, "दुनिया में वैक्सीन की कमी है. हमें वैक्सीन नहीं मिल रही है, क्योंकि जो देश इसे बना रहे हैं, वे अभी तक अपनी ही जरूरतें पूरा नहीं कर पाए हैं. ऐसे में सबसे अच्छा रास्ता पाबंदियों को मानना है.''
हालांकि, पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में जैसे हालत खराब हो रही है, उसे देखते हुए सरकार ने संकेत दिया है कि इन शहरों में पूरा लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है. सरकार वैसी सूरत में खाने-पीने और दूसरे जरूरी सामानों की आपूर्ति तय करने में पहले से ही जुट गई है.
टीकाकरण चल रहाकछुए की चाल
दक्षिण एशिया में टीकाकरण अभियान शुरू करने वाला पाकिस्तान सबसे अंतिम देश रहा. सरकार भले ही मुफ्त में टीके दे रही हो, लेकिन इसकी गति बहुत धीमी है. इसीलिए निजी क्षेत्र को भी वैक्सीन बाहर से मंगाने की अनुमति दे दी गई है.
इस समय फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मियों और पचास साल से बड़े लोगों को टीका लगाया जा रहा है. अभी तक 15 लाख से अधिक लोगों को टीका लगाया गया है, जो देश की आबादी का लगभग एक प्रतिशत है. कुछ समय पहले तक पाकिस्तान दूसरे देशों से टीका खरीदने की बजाय चीन से दान में मिले टीकों पर निर्भर था. और अब जब सरकार इसे खरीदने के लिए तैयार है, तो इसकी मांग इतनी बढ़ गई है कि पाकिस्तान को बड़ी खेप हासिल करने के लिए लंबा इंतजार करना होगा.
ऐसे हालातों में, ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के वैरिएंट ने हालत और खराब कर दी है. डॉक्टर जावेद अकरम लाहौर के यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के वाइस-चांसलर हैं. वह पहले चीनी कंपनियों के साथ वैक्सीन के ट्रायल में शामिल थे. उनका कहना है कि कोरोना वैक्सीन के लिए पाकिस्तान को अभी बहुत जूझना होगा.
उन्होंने कहा, "हमें अब भी यह देखना चाहिए कि हमारे पास जो टीके हों, वो नए वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हों. मैं आशा कर रहा हूं कि ऐसा ही हो.''
वे कहते हैं, "हम अभी तक एक या दो प्रतिशत लोगों का टीकाकरण नहीं कर पाए हैं. ऐसे में कोरोना वायरस का फैलाव रूक जाएगा, यह संभव नहीं है. यह तभी रुक सकता है जब साढ़े पंद्रह करोड़ की आबादी को टीका लग जाए.''
भारत के लिए सहानुभूति
कोरोना के इस कठिन संकट में भारत और पाकिस्तान के संबंधों में कभी-कभार दिखने वाली एक उम्मीद की किरण दिखी. सोशल साइटों पर #IndiaNeedsOxygen, #IndainLivesMatter, #PakistanstandswithIndia जैसे हैशटैग कई दिनों तक ट्रेंड करते रहे. इन हैशटैग में पाकिस्तानी अपने पड़ोसी देश के लिए दुआएं और शुभकामनाएं भेजते रहे और अपनी सरकार से दिल्ली को ऑक्सीजन भेजने की अपील करते रहे.
सरकार ने भी लोगों की उम्मीदों का जवाब दिया और 'एकजुटता के संकेत' के रूप में भारत को वेंटिलेटर, डिजिटल एक्स-रे मशीन और पीपीई किट भेजने की पेशकश की. सरकार ने कहा कि दोनों देशों की संस्थाएं महामारी से पैदा होने वाली चुनौतियों को कम करने के लिए सहयोग के संभावित रास्तों का पता लगा सकते हैं.
मशहूर परोपकारी कलाकार अब्दुल सत्तार ईदी के बेटे और ईदी फाउंडेशन के अध्यक्ष फैसल ईदी ने भारत के प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर आपदा से निपटने के लिए राहत दलों के साथ 50 एंबुलेंसों के बेड़े को भारत भेजने की पेशकश की.
हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय ने इन पेशकश का कोई जवाब नहीं दिया लेकिन भारतीयों ने इन ऑफरों का स्वागत किया.
https://twitter.com/LightItUp_BTS_/status/1385987051728740366?s=20
भारत के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, 'हम ईदी फाउंडेशन की इस पेशकश के लिए बहुत आभारी हैं. मानवता हमारा पहला कर्तव्य है, यह साबित करने के लिए आपका धन्यवाद. एक भारतीय के रूप में, मैं यह जानकर खुश हैं कि इस संकट में हम अकेले नहीं हैं.#PakistanstandswithIndia #IndiaNeedsOxygen''
ट्विटर के एक पाकिस्तानी यूजर ने लिखा था, ''भारत के लिए दुआ करें, मानवता के लिए दुआ करें.'' इसका जवाब देते हुए भारत के जगदीश ने लिखा, ''हम अपने पाकिस्तानी भाइयों से प्यार करते हैं. घर पर रहें, सुरक्षित रहें.''
'अल्लाह वायरस से भी शक्तिशाली है'
हर साल रमजान के महीने में मस्जिदों में इबादत करने वालों की तादाद कई गुना बढ़ जाती है. पिछले साल महामारी के दौरान लोगों के घर पर दुआ करने से इनकार करने के बाद पाकिस्तान दुनिया का इकलौता देश था, जिसने रमजान में अपनी मस्जिदें खुली रखीं. इस बार भी वही दशा है.
रुस्तम खान रावलपिंडी की एक मस्जिद में दुआ करने वाले दर्जनों लोगों में से हैं. वे कहते हैं कि उनका मानना है कि उनकी आस्था मौत के भय से ज्यादा मजबूत है.
उन्होंने कहा, "मैं कोरोना से नहीं डरता. यह सब आपकी आस्था है. मन वही मानता है जिस पर आप यकीन करते हैं. मैं कोरोना वायरस में यकीन नहीं करता. मेरा मानना है कि जब मैं मस्जिद में रहूंगा तब यह मुझे नुकसान नहीं पहुंचा सकता. इसलिए मुझे डर नहीं लगता."
कुछ दिन पहले, प्रधानमंत्री के सर्वधर्म सद्भावना पर विशेष सहायक अल्लाम ताहिर अशरफी ने ऐलान किया कि रमजान के पवित्र महीने के दौरान मस्जिद और इमाम बारगाह खुले रहेंगे. तरावीह की नमाज भी पहले की तरह होगी.''
हालांकि, उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यह तय करें कि लोग नमाज के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और चेहरे पर मास्क लगाएं.
सरकार ने मस्जिदों के लिए विशेष एसओपी का ऐलान किया है. हालांकि यह तय करना काफी कठिन है कि देश के हजारों मस्जिदों में इनका पालन कैसे होगा.
डॉक्टर जावेद अकरम का कहना है कि सरकार कोरोना का फैलाव तब तक नहीं रोक सकती, जब तक कि लोग अधिक समझदारी और जिम्मेदारी दिखाना शुरू नहीं कर देते. उन्होंने कहा कि पिछले साल रमजान में उन्होंने ईद के लिए नए कपड़े और जूते खरीदने के लिए लोगों को अपने और दूसरों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए पाया था.
उन्होंने कहा, 'हर धर्म जीवन के लिए सम्मान रखना सिखाता है, लेकिन यह देखना दुखदायी है कि कैसे इस बात की उपेक्षा करने के लिए धर्म का सहारा लिया जाता है.''
पाकिस्तान में अभी भी कोरोना वायरस के भारत में विकसित डबल म्यूटेंट को खोजा नहीं जा सकता है. हालांकि, पाकिस्तान ने यात्रा के लिहाज से भारत को 'सी श्रेणी' में डाल दिया है.
फिर भी, पाकिस्तान की हालत अभी भारत से बेहतर है. हालांकि कोरोना के मामले यदि इस तरह बढ़ते रहे तो निकट भविष्य में देश को अपने मरीजों की देखभाल करना बहुत मुश्किल हो जाएगा.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)