ऋषि सुनक बनाम हमजा यूसुफ... स्कॉटलैंड की आजादी का भारत और पाकिस्तानी मूल के नेता करेंगे फैसला
स्कॉटलैंड के प्रथममंत्री हमजा आजादी के लिए एक जनमत संग्रह कराना चाहते हैं और सुनक सरकार उनकी मांग को मानने के पक्ष में नहीं है। हमजा के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है कि प्रकार वह स्कॉलैंड की आजादी की मांग को भुना पाते हैं
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स्कॉटलैंड में पहली बार कोई मुस्लिम नेता प्रथम पद पर चुना गया है। इसे ब्रिटेन के लिए एक ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब ब्रिटेन के पीएम पद पर ऋषि सनक के रूप में एक हिंदू प्रधानमंत्री और उसके हिस्से स्कॉटलैंड में एक मुस्लिम प्रथम मंत्री पर है। यूसुफ हमजा देश के प्रथम मंत्री पद पर चुने जाने से एक दिन पहले स्कॉटिश नेशनल पार्टी (SNP) के नेता के रूप में चुने गए थे। इस पार्टी की मांग स्कॉटलैंड को ब्रिटेन से आजाद कराना है। हमजा ने प्रथम मंत्री के पद पर शपथ लेने के बाद स्कॉटलैंड को आजाद करने की बात कही है।
आजादी के पक्ष में आजाद बुलंद की
हमजा ने अपने भाषण में कहा, 'जो लोग स्कॉटलैंड में हैं और जिन्होंने अभी तक आजादी के जूनुन को नहीं छोड़ा है, मैं आप सभी का भरोसा जीतने का मकसद लेकर आया हूं। मैं आपको यह सुनिश्चित करता हूं कि हम सही से शासन करेंगे और उन प्राथमिकताओं पर ध्यान देंगे जो हमारे लिए जरूरी हैं। स्कॉटलैंड के लोगों को अब आजादी की जरूरत है, पहले से कहीं ज्यादा हमें आजादी की जरूरत है। हम वो पीढ़ी होंगे जो आजादी लाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें इस पर जल्दी काम करना है क्योंकि हमें आगे कई काम करने हैं।'
कमजोर नेता हैं हमजा यूसुफ?
हमजा यूसुफ ने भले ही स्कॉटलैंड की आजादी के दावे किए हों लेकिन आलोचकों को उनके दावे पर यकीन नहीं है। उनका मानना है कि वे अपने पूर्ववर्ती निकोला की तुलना में अयोग्या और कम करिश्माई नेता हैं। ऐसे में उनके लिए स्कॉटलैंड की आजादी के लिए समर्थन जुटाना मुश्किल है। स्कॉटिश पूर्व सचिव, टोरी ग्रैंडी मैल्कम रिफकिंड ने कहा कि निकोला का जाना स्कॉटलैंड की स्वंतत्रता की ख्वाहिशों का अंत है। उन्होंने कहा कि वह एक सभ्य आदमी लगते हैं लेकिन वह एक मध्यम दर्जे का नेते हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास आगे की कोई स्पष्ट योजना नहीं है।
पाकिस्तान और स्कॉटिश कनेक्शन?
स्कॉटलैंड को अलग देश बनाने के पीछे राष्ट्रवादियों की मांग रही है कि स्कॉटलैंड की अपनी अलग सभ्यता और संस्कृति है। वे लोग मानते हैं कि स्कॉटिश कल्चर में वे इंग्लैंड से कहीं आगे हैं। हमजा यूसुफ खुद एक पाकिस्तानी मूल के नेता हैं। ऐसे में हमजा यूसुफ की अलग देश की मांग बड़ी दिलचस्प लगती है। हालांकि उनका मानना है कि स्कॉटलैंड की आजादी तभी हासिल की जा सकेगी, जब उनकी पार्टी, 'प्रगतिशील मूल्यों' को आगे बढ़ाने में कामयाब हो पाएगी। हमजा युसूफ ने अगले चुनाव को आजादी का जनमत संग्रह बनाने की निकोला स्टर्जन की योजना से स्वंय को अलग कर लिया था, और कहा था कि इसके बजाय वो आजादी के पक्ष में एक 'टिकाऊ बहुमत' तैयार करेंगे।
स्कॉट जनता ने ठुकराया
इससे पहले सितंबर 2014 में स्कॉटलैंड की आजादी को लेकर जनमत संग्रह हुआ था। मतदाताओं को दो विकल्प दिए गए थे, इसमें उन्हें यूके और स्कॉटलैंड में से किसी एक को चुनना था। 55 फीसदी लोगों ने यूके को चुना तो 45 फीसदी ने ही स्कॉटलैंड में रहने का फैसला किया था। इसके बाद 2016 ब्रेग्जिट चुनाव में स्कॉटलैंड के लोगों ने ईयू के साथ रहने का फैसला किया था, लेकिन ब्रिटेन उससे अलग हो गया। इसके बाद प्रथम मंत्री निकोला स्टर्जन ने इसे स्कॉटलैंड की मर्जी के खिलाफ बताते हुए आजादी के लिए फिर से जनमत संग्रह की मांग उठाई। साल 2017 में लिस्बन संधि के अनुच्छेद 50 के तहत ईयू से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले स्टर्जन ने स्कॉटलैंड में फिर से जनमत संग्रह की औपचारिक अनुमति मांगी थी, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने अस्वीकार कर दिया था। बीते साल ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने भी यह मांग खारिज कर दी थी।
कुछ ही साल पुरानी अलग देश की मांग
भले ही ब्रिटेन और स्कॉटलैंड का रिश्ता तीन सदी पुराना है लेकिन इसकी आजादी सदियों से चली आ रही कोई गंभीर रवायत नहीं है बल्कि 35 सालों तक चले थैचर युग, न्यू लेबर और अब डेविड कैमरन की नीतियों में स्कॉटिश मूल्यों को नजरअंदाज करने का नतीजा है। इससे स्कॉट लोगों को अपनी अर्थव्यवस्था और समाज के बारे में फिक्र होने लगी। इससे पहले एक सदी तक ब्रिटेन के अधीन रहने के बाद आयरलैंड ने 1922 में यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता प्राप्त की। सौ सालों से अधिक बीत जाने के बाद स्कॉटलैंड ये कामयाबी हासिल कर पाएगा ये देखना बाकी है।