इबोला वायरस की खोज करने वैज्ञानिक पीटर पियॉट भी हुए कोरोना के शिकार, कहीं ये बात
नई दिल्ली। कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया के लिए भीषण संकट खड़ा कर दिया हैं। विभिन्न देशों में हर दिन हजारों लोगों की जान लेने कोरोनावायरस वैज्ञानिकों के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका हैं। वहीं अब कोरोनावायरस ने इबोला वायरस की खोज में मदद करने वाले बेल्जियम वैज्ञानिक पीटर पियॉट को भी अपने शिकंजे में जकड़ लिया हैं। वैज्ञानिक पीटर पियॉट का कोरोना वायरस टेस्ट पॉजिटिव आया हैं।

कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर पियॉट ने कहा कि मैंने अपना पूरा जीवन वायरस से लड़ने के लिए समर्पित किया और आखिर में वायरस ने अपना बदला ले लिया। पियॉट ने कहां कि गंभी निमोनिया हैं, ऑक्सीजन स्तर कम हैं, और लगातार थकान रहती हैं अंत में उन्होंने लिखा कि लंदन में रिकवर कर रहा हूं।

इबोला बीमारी क्या हैं
बता दें 2014 में इबोला नामक बीमारी तेजी से फैली थी। इबोला एक क़िस्म की वायरल बीमारी है. इसके लक्षण हैं अचानक बुख़ार, कमज़ोरी, मांसपेशियों में दर्द और गले में ख़राश ये लक्षण बीमारी की शुरुआत भर होते हैं। इसका अगला चरण है उल्टी होना, डायरिया और कुछ मामलों में अंदरूनी और बाहरी रक्तस्राव होता हैं। मनुष्यों में इसका संक्रमण संक्रमित जानवरों, जैसे, चिंपैंजी, चमगादड़ और हिरण आदि के सीधे संपर्क में आने से होता है। संक्रमण एक दूसरे के बीच इसका संक्रमण संक्रमित रक्त, द्रव या अंगों के मार्फ़त होता है. यहां तक कि इबोला के शिकार व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी ख़तरे से ख़ाली नहीं होता. शव को छूने से भी इसका संक्रमण हो सकता है। बिना सावधानी के इलाज करने वाले चिकित्सकों को भी इससे संक्रमित होने का भारी ख़तरा रहता है। संक्रमण के चरम तक पहुंचने में दो दिन से लेकर तीन सप्ताह तक का वक़्त लग सकता है और इसकी पहचान और भी मुश्किल है।