यमन में लड़ने के लिए सऊदी ने बच्चों को थमाए हथियार: Report
नई दिल्ली। यमन में अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए सऊदी अरब ने अब बच्चों को भी हथियार थमा दिए हैं। पश्चिमी सूडान के दारफुर प्रांत से गरीब और माइग्रेंट बच्चों के हाथों में हथियार थमाकर यमन वॉर में शामिल करने का काम सऊदी पिछले कई सालों से कर रहा है। यमन में हुति विद्रोहियों के खिलाफ लड़ने के लिए सऊदी ने दारफुर के गरीब बच्चों की भर्ती किया है। यमन में पिछले चार साल से सऊदी अरब हुति विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। सऊदी की आरोप है कि यमन में हुति विद्रोहियों को ईरान का समर्थन है।
सऊदी ने नाबालिग बच्चों को थमाए हथियार
न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) की रिपोर्ट के मुताबिक, दारफुर प्रांत के बच्चों के हाथों में हथियार थमाकर बदले में उनके परिवार को सऊदी अरब ने 10,000 डॉलर दिए हैं। यमन से अपने घर लौटे दारफुर प्रांत के 5 बच्चों ने कहा कि यमन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे सऊदी यूनिट में 20 से 40 फीसदी सूडान के बच्चे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यमन में लड़ रहे ज्यादातर बच्चों की उम्र 14 से 17 साल के बीच है और पैसों के खातिर सूडान में उनके पैरेंट्स ही यमन वॉर में अपने बच्चों को धकेल रहे हैं। 2016 में यमन वॉर ज्वॉइन करने के बाद घर लौटे हैगर शोमो ने एनवाईटी को बताया कि पैसों के लिए और परिवार का पालन पोषण करने के खातिर यमन में लड़ाई लड़ना ही एक मात्र रास्ता है। इस वक्त 14,000 से ज्यादा सूडानी बच्चे यमन में लड़ाई लड़ रहे हैं।
दारफुर प्रांत से हो रही बच्चों की भर्ती
एनवाईटी की इस रिपोर्ट के मुताबिक, गरीब मुल्क सूडान को सऊदी अरब अपने रिमोट से चला रहा है। यमन वॉर में लड़ने के लिए ज्यादातर बच्चों की भर्ती सूडान के पश्चिमी प्रांत दारफुर से हो रही है। दारफुर वही प्रांत है, जहां गैर अरब विद्रोहियों ने सन् 2000 की शुरुआत में खार्तूम के खिलाफ लड़ाई में करीब 3,00,000 लोगों को मौत के घाट उतार दिये थे। सूडान के फाइटर्स ने एनवाईटी को बताया कि यमन में रहते हुए सऊदी और यूएई रिमोट कंट्रोल से उन्हें आदेश देती है, ताकि वे खुद इस युद्ध से दूर रह सके। युद्ध से लौटे मोहम्मद सुलैमान अल-फादिल ने एनवाईटी को बताया, 'सऊदी और यूएई हमारे साथ कभी नहीं लड़ते हैं, वे हमें अकेले युद्ध में भेजते हैं।' रिपोर्ट के मुताबिक, यमन में अब तक हजारों सूडानी फाइटर्स की मौत हो चुकी है।
क्या चल रहा है यमन में?
सऊदी का मानना है कि यमन में जो शिया हुति विद्रोही है, उनको ईरान से समर्थन मिल रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि यमन के राष्ट्रपति अब्दल-रब मंसूर अल-हादी 2014 में तख्तापलट के बाद से ही अपने देश को छोड़ कर सऊदी चले गए थे और तभी से वे अपने परिवार के साथ वहां आराम से अपनी जनता को सऊदी मिसाइलों के नीचे मरते हुए देख रहे हैं। सऊदी और उसके सहयोगी देशों ने यमन को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। इस वॉर ने 1 करोड़ से ज्यादा बच्चों को भूखमरी की ओर धकेलने का काम किया है और 85,000 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है।
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