सैमुअल पैटी: मारे गए शिक्षक के बारे में छात्रा ने बोला था झूठ
फ़्रांस की छात्रा के बयान के बाद ही यह समझा जा रहा था कि सैमुअल पैटी ने क्लास में पैग़ंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाया था.
फ़्रांस के एक स्कूल की छात्रा ने स्वीकार किया है कि उसने उस शिक्षक को लेकर झूठा दावा किया था जिनकी पिछले साल हत्या कर दी गई थी.
बीते साल अक्तूबर में सैमुअल पैटी की इसलिए हत्या कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने अपने छात्रों को पैग़ंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाया था.
एक स्कूली छात्रा की शिकायत के बाद पैटी के ख़िलाफ़ एक ऑनलाइन अभियान चला था.
अब उसी छात्रा ने स्वीकार किया है कि वो उस दिन क्लास में ही नहीं थी.
पैटी की हत्या के बाद फ़्रांस में इसका ज़ोरदार विरोध हुआ था और हत्या के विरोध में देशभर में मार्च निकाले गए थे और कार्यक्रम आयोजित किए गए थे.
छात्रा ने पहले क्या कहा था?
13 वर्षीय छात्रा का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है. उस छात्रा ने अपने पिता से कहा था कि पैटी ने मुस्लिम छात्रों को क्लास छोड़ने के लिए कहा था और बाक़ी की क्लास को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और ईशनिंदा पर कार्टून दिखाया था.
छात्रा के वकील अंबाको ताबूला ने समाचार एजेंसी एएफ़पी से कहा है, "उसने झूठ बोला क्योंकि उसे लगा कि वो एक भंवर में फंस गई है क्योंकि उसके सहपाठियों ने उसे प्रवक्ता बनने के लिए कहा था."
लड़की के पिता ने अपनी बेटी के कहने के बाद एक क़ानूनी शिकायत शिक्षक के ख़िलाफ़ की थी और एक सोशल मीडिया अभियान चलाया था. उन्होंने पैटी और स्कूल की पहचान ज़ाहिर की थी.
अभियोजकों का कहना है कि हत्या के बाद पैटी के ख़िलाफ़ भड़काने वाले ऑनलाइन अभियान और उनकी हत्या में 'एक सीधा संबंध' था.
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हत्या को अंजाम देने वाले 18 साल के अब्दुल्लाह अंज़ोरोफ़ को पुलिस ने इस हमले के बाद मार दिया था.
अब यह बात सामने आ रही है कि इतिहास और भूगोल के शिक्षक सैमुअल पैटी के ख़िलाफ़ चलाया गया अभियान क्लास में जो हुआ उसको अलग तरह से पेश किए गए बयान पर आधारित था.
पैटी बीते कुछ सालों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता विषय पर ऐसे ही पाठ पहले भी पढ़ा चुके थे. पैटी ने छात्रों को चेताते हुए कहा था कि वो मोहम्मद का चित्रण करने वाली एक छवि दिखाने जा रहे हैं और उन्होंने कहा था कि जिनको इस पर आपत्ति हो वे कमरे से बाहर जा सकते हैं.
हालांकि, उस क्लास में वो छात्रा नहीं थी.
पैटी को स्कूल से बर्ख़ास्त करने के लिए ऑनलाइन अभियान चलाया गया जिस पर स्कूल ने पैटी के पढ़ाने के तरीक़े का समर्थन किया था.
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शिक्षक के परिवार को मिला सर्वोच्च सम्मान
राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने बाद में शिक्षक के परिवार को राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान 'लिज़यों दोनाह' से सम्मानित किया था.
पैग़ंबर मोहम्मद के चित्रण को इस्लाम में प्रतिबंधित समझा जाता है और मुसलमान इसे बहुत अपमानजनक समझते हैं.
फ़्रांस में इस मुद्दे को ख़ासा गंभीर समझा जाता है और इसकी शुरुआत व्यंग्य पत्रिका शार्ली हेब्दो से हुई थी जब पत्रिका ने पैग़ंबर मोहम्मद के कार्टून को प्रकाशित किया था.
पत्रिका में कार्टून के प्रकाशन के बाद साल 2015 में पत्रिका के दफ़्तर पर इस्लामी चरमपंथियों ने हमला किया था जिसमें 12 लोग मारे गए थे.
शार्ली हेब्दो के दफ़्तर पर हमले और सैमुअल पैटी के सिर क़लम करने के मामले के बाद देश में धर्मनिरपेक्षता या लैसिटे पर बहस शुरू हो गई थी. लैसिटे को राष्ट्रीय पहचान का केंद्रीय स्तंभ समझा जाता है.
इस सिद्धांत के तहत राष्ट्र धार्मिक मामलों में दख़ल नहीं दे सकता है और किसी समुदाय को सुरक्षित रखने की भावनाओं को सीमित नहीं कर सकता है.