रूस के साथ संबंधों पर अमेरिका को एस जयशंकर का कड़ा संदेश, हथियार खरीदने में किसी देश का दखल पसंद नहीं
वॉशिंगटन। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय तीन दिनों के अमेरिका दौरे पर हैं। जयशंकर ने आज अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पोंपेयो से मुलाकात की है। अब उनकी मुलाकात रक्षा मंत्री मार्क एस्पर से होगी। पोंपेयो के साथ मुलाकात में विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका को कड़ा संदेश दिया है। रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीद के सिलसिले में विदेश मंत्री ने स्पष्ट कह दिया है कि रूस से हथियार खरीदने के मामले में कोई हमें आदेश करे, यह बात हरगिज नापसंद है। जयशंकर के इस संदेश को एक अहम कूटनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
हमें कौन सा हथियार खरीदना है, यह हम तय करेंगे
जयशंकर ने यह बात उस समय कही जब वह पोंपेयो के साथ मुलाकात कर रहे थे और एस-400 की डील को लेकर अमेरिकी चिंताओं पर चर्चा हो रही थी। जयशंकर ने पोंपेयो के साथ मीटिंग के बार रिपोर्ट्स से बात करते हुए, अमेरिका को साफ कर दिया कि भारत अपने फैसले पर अडिग है। मिलिट्री उपकरण खरीद पर वह टस से मस नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'हमने हमेशा इस बात को कायम रखा है कि हम जो भी खरीदते हैं, मिलिट्री उपकरण, वह हमारा संप्रभु अधिकार है।' जयशंकर ने आगे कहा, 'हमें यह पसंद नहीं है कि कोई और देश हमें यह बता कि रूस से हमें क्या खरीदना है और क्या नहीं और अमेरिका से क्या नहीं खरीदना और खरीदना है।' जयशंकर ने आगे कहा, 'हम अपनी इच्छा के मुताबिक मिलिट्री उपकरण खरीदने के लिए आजाद हैं और हमें लगता है कि इस बात को समझना यह हर किसी के हित में है।'
अमेरिका ने दी थी प्रतिबंधों की धमकी
भारत और रूस, शीत युद्ध के समय से साझीदार हैं और उस समय इसे सोवियत संघ के नाम से जाना जाता था। भारत और रूस के बीच पिछले वर्ष एस-400 की खरीद को लेकर डील हुई थी। 5.2 बिलियन डॉलर की इस डील के बाद डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगी। साल 2017 के एक कानून के तहत अमेरिका ने रूस से होने वाली बड़े हथियारों की डील को बैन कर दिया है। अमेरिका ने यह फैसला यूक्रेन और सीरिया में रूस के शामिल होने और साल 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में उस हस्तक्षेप के चलते लिया था। टर्की, जो नाटो का साझीदार है उसने जून माह में एस-400 की डील फाइनल की थी। इसके बाद अमेरिका उससे खासा नाराज हो गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टर्की के साथ एफ-35 फाइटर जेट प्रोग्राम को कैंसिल कर दिया था। हालांकि अभी तक अमेरिका की तरफ से किसी तरह के किन्हीं प्रतिबंधों का ऐलान नहीं किया गया है। अमेरिका की तरफ से उन तमाम देशों पर प्रतिबंध की बात कही जा चुकी है जो रूस के साथ हथियारों की डील करेंगे।