रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन बोले-US नहीं, अब चीन और जर्मनी हैं सुपरपावर देश
मॉस्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने एक बड़ा बयान दिया है। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि वह दौर गया जब अमेरिका या रूस दुनिया में सुपरपावर का दर्जा रखते थे। अब यह स्थिति बदल चुकी है। पुतिन के मुताबिक आज के दौर में जर्मनी और चीन दुनिया के सुपरपावर देश हैं। पुतिन का यह बयान बहुत ही अहम माना जा रहा है। एक तरफ जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार चीन को कोरोना वायरस के लिए जिम्मेदार करार दे रहे हैं तो वहीं पुतिन, चीन को सुपरपावर कह रहे हैं। पुतिन का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि रूस, यूनाइटेड नेशंस का स्थायी सदस्य है।
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अमेरिका के पास कोई अधिकार नहीं
राष्ट्रपति पुतिन ने चीन और जर्मनी को लेकर यह टिप्पणी उस समय की जब वह वालदाई डिस्कशन क्लब में एक मीटिंग में मौजूद थे। पुतिन ने कहा कि इस समय अमेरिका का रोल बहुत कम रह गया है। साथ ही ब्रिटेन और फ्रांस के पास भी अब कुछ नहीं हैं। वहीं चीन और जर्मनी दो ऐसे देश हैं जो राजनीतिक और आर्थिक तौर पर काफी ताकतवर हैं। ऐसे में ये देश अब सुपरपावर बनने की तरफ बढ़ रहे हैं। एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि अगर अमेरिका अंतरराष्ट्रीय मंच पर रूस के साथ वार्ता के लिए तैयार नहीं है तो, उनका देश दूसरे देशों के साथ बातचीत करेगा। इसके बाद पुतिन ने कहा कि अमेरिका अब यह दावा नहीं कर सकता है कि वह एक असाधारण देश है। साथ ही उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्यों अमेरिका यह दावा करता है?
नए प्रशासन से है पुतिन को काफी उम्मीदें
तीन नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले राष्ट्रपति पुतिन ने उम्मीद जताई की नया प्रशासन सुरक्षा और परमाणु हथियार नियंत्रण के मसले पर रूस से बातचीत के लिए तैयार होगा। पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से रूस के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था जिसमें पिछली संधि की समय सीमा एक साल तक बढ़ाने का अनुरोध किया गया था। इस प्रस्ताव के तहत रूस ने अनुरोध किया था कि वह रणनीतिक परमाणु हथियार की तैनाती की समय-सीमा भी बढ़ा देसाल 2010 में अमेरिका और रूस के बीच START यानी स्ट्रैटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी हुई थी। फरवरी में यह संधि खत्म होने वाली है। इस संधि के तहत रूस और अमेरिका परमाणु हथिायारों की तैनाती को सीमित रखते हैं। साथ ही मिसाइल्स और ऐसे बॉम्बर्स जो इन्हें कैरी करते हैं, उनकी संख्या भी सीमित होती है। मतभेदों के बाद भी सूत्रों की मानें तो रूस और अमेरिका नई स्टार्ट संधि की डील को सील करने की तरफ बढ़ चुके हैं।