राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे पर रूसी मीडिया का विश्लेषण...कैसा हो भारत-रूस संबंध ?
रूसी मीडिया में राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे को प्रमुखता से जगह दी गई और भारत को सबसे ज्यादा विश्वसनीय और परखा हुआ पार्टनर बताया गया है।
नई दिल्ली/मॉस्को, दिसंबर 07: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा खत्म हो गया है, लेकिन पुतिन के भारत दौरे पर चीन और अमेरिका के साथ साथ पूरी दुनिया की निगाहें थीं। पूरी दुनिया की मीडिया में इस बात की चर्चा थी, कि जिस पुतिन ने ग्लासको जी-20 दौरा रद्द कर दिया, जिस पुतिन ने चीन का दौरा रद्द कर दिया हो और जिस पुतिन ने सीओपी-26 का दौरा रद्द कर दिया हो, उन्होंने यूक्रेन से जंग के हालात में भी भारत का दौरा क्यों किया? दुनियाभर के विश्लेषक अपने अपने हिसाब से पुतिन-मोदी मुलाकात का विश्लेषण कर रहे हैं। वहीं, रूस की मीडिया ने भी पुतिन के भारत दौरे का विश्लेषण किया है।
भारतीय दौरे की प्रमुखता से कवरेज
रूसी मीडिया में राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे को प्रमुखता से जगह दी गई और भारत को सबसे ज्यादा विश्वसनीय और परखा हुआ पार्टनर बताया गया है। रूस के प्रमुख अखबार मॉस्को टाइम्स में भारत और रूस का संबंध कैसा हो, इसको लेकर विश्लेषण किया गया है। जिसमें इस बात पर जो दिया गया है कि, पुतिन ने अपने कई विदेशी दौरों को रद्द कर भारत का दौरा चुना है। मॉस्को टाइम्स ने कहा गया है कि, चीन से बढ़ती नजदीकियों के बाद भी पुतिन ने शी जिनपिंग के साथ वर्चुअल बैठक किया था और बीजिंग का दौरा टाल दिया था, जबकि मोदी से मिलने से पुतिन खुद को रोक नहीं पाए। मॉस्को टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में उम्मीद जताते हुए लिखा है कि, राष्ट्रपति पुतिन का यह कदम पारंपरिक रूप से रूस-भारत संबंध को गर्माहट प्रदान करता है और पश्चिमी देशों से तनावपूर्ण संबंध के बीच पता चलता है कि, दुनिया के एक कदम में भारत जैसा देश है, जो रूस का दोस्त है। वहीं, मॉस्को टाइम्स में लिखा गया है कि, फिर भी, भले ही रूस के भारत के साथ संबंध अच्छे हों, उन्हें महान बनने के लिए एक बड़े प्रयास की आवश्यकता है।
दिल्ली के साथ 'विशेषाधिकार संबंध'
मॉस्को टाइम्स ने भारत-रूस संबंध का विश्लेषण करते हुए लिखा है कि, ''रूस की नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी का जुलाई-2021 ए़़डिशन नई दिल्ली के साथ संबंधों को "स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप" के रूप में वर्णित करता है और रूस-चीनी संबंधों के समान पैराग्राफ में उनकी चर्चा करता है। पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच व्यक्तिगत केमिस्ट्री बेहतरीन है। मॉस्को टाइम्स ने रूस के पूर्वी हिस्से में भारत द्वारा किए गये महत्वपूर्ण निवेश का जिक्र करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की है और कहा है कि, भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के सुदूर पूर्व में आर्थिक परियोजनाओं में भारत की रुचि का प्रदर्शन किया है, इस प्रकार नई दिल्ली की ''लुक इस्ट पॉलिसी'' को व्लादिवोस्तोक तक विस्तारित किया है।
एस-400 मिसाइल खरीद का जिक्र
मॉस्को टाइम्स ने खास तौर पर भारत का अमेरिकी दबाव में नहीं आकर रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने का जिक्र किया है और कहा है कि, भारत ने वॉशिंगटन की तमाम आपत्तियों को खारिज कर दिया। मॉस्को टाइम्स ने लिखा है कि, प्रधानमंत्री मोदी उन चार विदेशी नेताओं में से एक हैं, जिन्हें रूस के सर्वोच्च सम्मान 'ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू' से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा मॉस्को टाइम्स ने आम रूसी जनता के नजरिए से भारत के साथ संबंधों को विस्तारपूर्वक बताने की कोशिश की है और लिखा है कि, रूस के आम नागरिक भारत को अपना सबसे विश्वसनीय दोस्त मानते हैं।
जनता से जनता का रिश्ता
मॉस्को टाइम्स ने लिखा है कि, रूस का एक साधारण नागरिक भारत को एक विश्वसनीय मित्र देश के रूप में देखते हैं, जिसके साथ रूस का बिना किसी समस्या का मधुर संबंध है। आम रूसियों का मानना है कि, बड़े देशों में भारत ही एकमात्र देश है, जिससे रूस के एक भी मतभेद नहीं हैं। वहीं, मॉस्को टाइम्स ने लिखा है कि, एक आम भारतीय भी रूस को अपना परखा हुआ दोस्त मानता है। और भारत की आजादी के 75 साल बाद भी रूस को भारत से किसी भी तरह का कोई सामरिक या आर्थिक नुकसान नहीं हुआ है।
कई मुद्दों पर बात करने की जरूरत
मॉस्को टाइम्स ने भारत-रूस संबंध में मधुरता का जिक्र करते हुए लिखा है कि, हालांकि, दोनों देशों के बीच के संबंध काफी अच्छे हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच अब कई ऐसे में मुद्दे आ रहे हैं, जिनके ऊपर दोनों देशों के नेताओं को बातचीत करने की जरूरत है और इक्कीसवीं सदी के माहौल के अनुरूप संबंधों को ढालने, उनपर पुनर्विचार करने और उनपर एक समान राय बनाने की जरूरत है। मॉस्को टाइम्स ने लिखा है कि, बदलते वैश्विक हालात के बीच मॉस्को और नई दिल्ली पारंपरिक दोस्त बने हुए हैं, लेकिन दोनों ही देश, प्रतिद्वंदी महाशक्तियों चीन और अमेरिका के बीच आपसी तालमेल बनाने में जुटे हुए हैं। भारत जहां अमेरिका की तरफ झुका है तो चीन की तरफ रूस बढ़ा है।
चीन-अमेरिका के बीच सामंजस्य कैसे?
मॉस्को टाइम्स ने लिखा है कि, 2020 में चीन के साथ गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की हिंसक झड़प हो चुकी है और भारत और चीन के संबंध काफी खराब हो चुके हैं। दूसरी तरफ 2014 यूक्रेन संकंट के बाद रूस और अमेरिका के संबंध काफी खराब हो चुके हैं। वहीं, भारत और अमेरिका एक दूसरे के करीब आ चुके हैं तो चीन और रूस भी एक दूसरे के करीब आ चुके हैं। ऐसे में दो सबसे अच्छे दोस्त, दो सबसे खराब दुश्मनों के खेमे में खड़े दिखाई दे रहे हैं। लिहाजा मॉस्को टाइम्स ने सलाह देते हुए लिखा है कि, नई दिल्ली और मॉस्को दोनों के लिए मुख्य कार्य भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को व्यापक और तेजी से प्रतिकूल वैश्विक संदर्भ से बचाना और आपसी विश्वास को बनाए रखना है।
व्यापार और निवेश बढ़ाने की जरूरत
मॉस्को टाइम्स ने लिखा है कि, भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा से लेकर अंतरिक्ष और आर्कटिक तक में सहयोग विकसित हुए हैं, बावजूद इसके भारत और रूस के बीच व्यापारिक भागीदारी काफी कम है। मॉस्को टाइम्स ने लिखा है कि, चीन और अमेरिका के बीच संबंध काफी खराब हैं, फिर भी दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर से ज्यादा का व्यापार हो रहा है। जबकि, भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और उसके भी चीन से 100 अरब डॉलर से ज्यादा का व्यापार हो रहा है, लेकिन दो दोस्त देश होने के बाद भी रूस और भारत के बीच का व्यापार सिर्फ 10 अरब डॉलर का है। मॉस्को टाइम्स ने लिखा है कि, भारत की अर्थव्यवस्था का 85 प्रतिशत हिस्सा अब निजी हाथों में है, लेकिन भारत-रूस आर्थिक संबंध अभी भी सरकार-से-सरकार के बीच हुए समझौतों पर ही आधारित है। लिहाजा, दोनों देशों की कंपनियों को सरकार से हटकर समझौते करने चाहिए और व्यापारिक भागीदार को बढ़ाने की जरूरत है।
6 लाख करोड़ का इकोनॉमिक इंजेक्शन, चीन को सबक, पुतिन ने पांच घंटे में भारत के बड़े-बड़े काम कर दिए