रूस और ईरान के हैकर्स कर रहे कोरोना वैक्सीन बनाने वाली लैब को हैक करने की साजिश!
लंदन। कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे अमेरिका और ब्रिटेन को अब हैकर्स को झेलना पड़ रहा है। ब्रिटेन के अखबार डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (यूके) में रिसर्च लैब्स को हैक करने की कोशिशें की जा रही है। साइबर सिक्योरिटी एजेंसियों की तरफ से आगाह किया जा चुका है। डेली मेल के मुताबिक चीन, रूस और ईरान के हैकर्स लगातार स्वास्थ्य संगठनों पर नजर रख रहे हैं।
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अमेरिका और ब्रिटेन की एडवाइजरी
डेली मेल का कहना है कि हैकिंग की कोशिश उस समय की गई जब यूरोपियन लीडर्स ने कोरोना की वैक्सीन को डेवलप करने के लिए 6.5 मिलियन पौंड की धनराशि जुटाने का संकल्प लिया है। यूके के विदेश मंत्री डॉमनिक रॉब ने भी इस बात की पुष्टि की है कि लैब को हैक करने की कोशिशें की गई हैं। अमेरिका की साइबर सिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी के अलावा यूके की नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर की तरफ से कहा गया है कि अपराधियों की तरफ से उन संगठनों पर हमले की कोशिशें की जा रही हैं जो कोरोना की दवा तलाशने में लगे हुए हैं। आपको बता दें कि कोविड-19 महामारी का सबसे ज्यादा नुकसान ब्रिटेन और अमेरिका को उठाना पड़ा है। अमेरिका में दुनिया के सबसे ज्यादारी मरीजों की मौत हुई है।
वैक्सीन डेवलप करने वाले देश को बड़ा फायदा
यूके यूरोप का वह हिस्सा है जहां पर कोरोना वायरस से मौत के आंकड़े में रोजाना इजाफा हो रहा है। यूके ने मृतक संख्या में अब इटली को भी पीछे छोड़ दिया है। जो भी देश कोरोना वायरस की वैक्सीन को सबसे पहले डेवलप करेगा उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में बड़ा कूटनीतिक फायदा होगा। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने बायो-फार्मास्यूटिकल कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया है। यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन का ट्रायल भी शुरू कर दिया है ताकि संकट को खत्म किया जा सके। अमेरिका और यूके की एजेंसियों की तरफ से किसी का नाम नहीं लिया गया है मगर स्काई न्यूज ने कहा है कि चीन, रूस और ईरान इस साजिश के पीछे हैं।