पुतिन के 'यूक्रेन प्लान' में बुरी तरह से फंसे जो बाइडेन, अफगानिस्तान हार के बाद धूल में मिली प्रतिष्ठा?
पिछले साल अगस्त महीने में राष्ट्र्पति जो बाइडेन की अफगानिस्तान युद्ध में जमकर किरकिरी हो चुकी है और उस दृश्य को शायद ही कोई भूल सकता है, जब कुछ लोग काबुल से भागने के लिए प्लेन पर लटक गये थे।
वॉशिंगटन/मॉस्को, फरवरी 23: अफगानिस्तान संकट को जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संभाला, उससे उससे अमेरिका की जनता की नजरों में उनका कद पहले ही कम हो गया था, लेकिन अब रूस-यूक्रेन विवाद के बीच अमेरिका जिस तरह से फंसा है, उसके बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन की प्रतिष्ठ अमेरिका में धूल में मिलती दिखाई दे रही है। अमेरिका ने भले ही आनन-फानन में रूस के खिलाफ कई आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान कर दिया है, लेकिन यूक्रेन संकट पर अमेरिका उसी तरह से बेबस भी नजर आ रहा है।
बुरी तरह से घिरे जो बाइडेन
अमेरिका में कुछ महीनों के बाद सीनेटर्स के चुनाव होने वाले हैं और जो बाइडेन अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी को यूक्रेन संकट से फायदा दिलवाने की कोशिश में थे, लेकिन इस बार उनका पाला रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से पड़ा था और पुतिन के गेम प्लान में जो बाइडेन इस तरह से उलझे, कि पार्टी को फायदा दिलाने के बजाए, उल्टा उन्होंने नुकसान कर लिया है। अमेरिका में पॉपुलेरिटी इंडेक्स में जो बाइडेन फिर से फिसल गये हैं और लोग एक बार फिर से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को याद कर रहे हैं। यूक्रेन संकट में जो बाइडेन तो फंसे ही हैं, इसके साथ ही घरेलू संकट भी राष्ट्रपति का पूरी रफ्तार से पीछा कर रही है और अमेरिका में महंगाई दर ने पिछले कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
विदेशी और घरेलू राजनीति में फंसे बाइडेन
राष्ट्रपति जो बाइडेन का इस वक्त अमेरिका की घरेलू राजनीति के साथ साथ विदेशी राजनीति भी कठिन टेस्ट लेता हुआ दिखाई दे रहा है और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार उनकी मुसीबत बढ़ा रहे हैं। अमेरिका में राष्ट्रपतियों के लिए एक प्रसिद्ध कहावत है, कि 'राष्ट्रपतियों को अपना गम च्यूंगम की तरफ चबाना चाहिए', लेकिन क्या जो बाइडेन ऐसा कर पा रहे हैं? राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वीकार किया है, कि यूक्रेन संकट के बीच अमेरिका में तेल और गैसोलीन की कीमत में भारी इजाफा होने की आशंका है, लेकिन इसके पीछे उन्होंने यूक्रेन संकट के समाधान करने का तर्क दिया है।
अमेरिका में भी महंगाई की मार
रूसी राष्ट्रपति ने मंगलवार को दनादन रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की बारिश कर दी और रूस के दो बैकों पर प्रतिबंध लगाते हुए उनके अमेरिका और यूरोप में व्यापार करने पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन, इससे अमेरीकियों का दर्द कम नहीं होगा, क्योंकि रूस पर प्रतिबंध के साथ ही अमेरिका में तेल और गैसोलीन पदार्थों की कीमत में भारी उछाल आएगा। बाइडेन ने कहा कि, वह अमेरिकियों के लिए "दर्द" को सीमित करना चाहते हैं और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाने के उद्देश्य से रूस के तेल और प्राकृतिक गैस के निर्यात को भी सीमित कर सकते हैं, जिसके बाद वैश्विक ऊर्जा कीमतों में भारी वृद्धि होगी और अमेरिका भी इससे अछूता नहीं रहेगा।
पुतिन के सामने अमेरिका का कमजोर नेतृत्व?
यूक्रेन संकट के बीच ब्रिटेन के राजनीतिक विश्लेषक डगलस मरी ने कहा है कि, पुतिन काफी खतरनाक हो चुके हैं और वो जो कर रहे हैं, वो एक पागलपन है, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन पुतिन के आगे कमजोर नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि, यूरोप में होने जा रहे इस युद्ध को लेकर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि, पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से रूसी राष्ट्रपति यूक्रेन की सीमा पर हथियार और सैनिकों को जमा करते आ रहे हैं। पिछले साल मार्च में ही राष्ट्रपति पुतिन ने करीब 90 हजार सैनिकों को यूक्रेन की सीमा पर भेजा था, लेकिन अमेरिका ने क्या किया? पुतिन बार बार कह रहे हैं, कि यूक्रेन एक 'काल्पनिक' देश है और ये रूस से ताल्लुक रखता है, लेकिन अमेरिका ने पुतिन के खिलाफ क्या एक्शन लिया?
सिर्फ अमेरिका ही रूस को रोकने में सक्षम
ब्रिटिश राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि, अगर दुनिया में कोई देश रूस को रोकने में सक्षम है, तो वो देश सिर्फ और सिर्फ अमेरिका है, लेकिन हमें एक चीज माननी होगी, कि अमेरिका में इस वक्त जो नेतृत्व है, वो एक कमजोर नेतृत्व है। डगलस मरी ने कहा कि, भले ही आप पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पसंद करें या नहीं करे, लेकिन उनके शासनकाल में पुतिन की ये हिम्मत नहीं होती, कि वो यूक्रेन में घुसपैठ कर दें। उन्होंने कहा कि, डोनाल्ड ट्रंप अपने फैसलों के लिए जाने जाते थे और उनके रहते पुतिन को हिम्मत नहीं होती, कि वो यूक्रेन के खिलाफ इस तरह के कदम उठा सकें। उन्होंने कहा कि, रूसी राष्ट्रपति ने बाइडेन की कमजोरी को पकड़ लिया है और इसीलिए वो अपनी मर्जी से फैसले ले रहे हैं।
रूस पर प्रतिबंध, अमेरिका पर ही असर?
व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि, "मैं यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी कोशिश करना चाहता हूं, कि हमारे प्रतिबंधों का दर्द रूसी अर्थव्यवस्था पर लक्षित हो, न कि हमारी।" उन्होंने कहा कि, "हम किसी भी व्यवधान के लिए ऊर्जा आपूर्ति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। हम तेल उत्पादक कंपनियों के साथ लगातार कॉर्डिनेट कर रहे हैं और उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि तेल और ऊर्जा पदार्थों की ग्लोबल सप्लाई में कोई बाधा नहीं आए।
अफगानिस्तान में भी हुई किरकिरी
पिछले साल अगस्त महीने में राष्ट्र्पति जो बाइडेन की अफगानिस्तान युद्ध में जमकर किरकिरी हो चुकी है और उस दृश्य को शायद ही कोई भूल सकता है, जब कुछ लोग काबुल से भागने के लिए प्लेन पर लटक गये थे। करीब 20 साल नाटो की सेना अफगानिस्तान में काबिज रही, लेकिन अमेरिका की सेना जिस तरह से रात के अंधेरों में अफगानिस्तान से निकली थी, उसने बता दिया था कि, अमेरिका का मौजूदा प्रशासन दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता नहीं रखता है। पिछले एक साल से यूक्रेन संकट बना हुआ है और अब यूक्रेन अपने पूर्वी हिस्से को भी खो चुका है, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन झुनझुना बजाते ही नजर आ रहे हैं, जबकि आगे उन्हें ताइवान को भी बचाना है।
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