आर्कटिक सागर पर रूस का कब्जा, लगाएगा न्यूक्लियर पावर प्लांट
मॉस्को। रूस, आर्कटिक सागर पर परमाणु संयत्र यानी न्यूक्लियर पावर प्लांट तैयार कर रहा है। इस खबर ने हर किसी के होश उड़ा दिए हैं। रूस, अपने इस प्लांट को आर्कटिक सागर के बीचों-बीच लगाएगा। प्लांट को समंदर के रास्ते लाया जाएगा और आर्कटिक के पूर्व में इसे स्थापित किया जाएगा। इस प्लांट को तैयार होने में पूरे दो दशक का समय लगा है और इसे 'एकेडमिक लोमोनोसोव' नाम दिया गया है। आलोचकों ने इसे 'फ्लोटिंग चर्नोबिल' नाम दिया है।
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सूनसान इलाकों को पहुंचेगी बिजली
रूस का कहना है कि इस प्लांट का मकसद आर्कटिक के तहत उसके हिस्से में आने वाले निर्जन इलाकों को बिजली की सप्लाई करना है। अगस्त माह के अंत में एक जहाज के जरिए प्लांट को पेवेक लाया जाएगा। पेवेक, आर्कटिक के छुकोत्का क्षेत्र में बसा एक शहर है। यह प्लांट 144 मीटर यानी 472 फीट लंबा है और इसे रूस के झंडे के रंग में रंगा गया है। पेवेक सिटी, राजधानी मॉस्को से करीब 7,000 किलोमीटर दूर है। यह न्यूक्लियर प्लांट छुकोत्का क्षेत्र में स्थित कंपनियों और संस्थानों को बिजली सप्लाई करने के काम आएगा।
पुतिन का अहम प्रोजेक्ट
यह प्लांट, राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के उस एजेंडा का हिस्सा है जिसके तहत उन्होंने आर्कटिक क्षेत्र में विस्तार की योजना बताई थी। रूस के इस प्लांट से अमेरिका समेत कुछ और देशों को चिंताएं हो गई हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट्स, सूनसान इलाकों में ऊर्जा की आपूर्ति करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इनके लिए बड़े निवेश की जरूरत भी नहीं होती है। लेकिन आर्कटिक सागर पर न्यूक्लियर रिएक्टर्स के होने से पर्यावरणविद परेशान हो गए हैं।
लोगों ने कहा तैरता चर्नोबिल
पर्यावरणविदों ने इसे 'बर्फ का चर्नोबिल' या 'तैरता चर्नोबिल' तक कहना शुरू कर दिया है। अप्रैल 1986 में हुई चर्नोबिल हादसे का आज भी सबसे भयानक हादसा माना जाता है। लोमोनोसोव दुनिया का पहला ऐसा न्यूक्लियर प्लांट होगा जो उत्तरी हिस्से से ऑपरेट होगा। करीब दो आर्कटिक क्षेत्र के आसपास रूसी नागरिकों की आबादी करीब 20 लाख है। पेवेक में तो कुछ संस्थान ऐसे हैं जहां पर सिर्फ पानी वाले जहाज या फिर हवाई जहाज के जरिए ही पहुंचना संभव है, वह भी अगर मौसम ठीक रहा तो। यह पूरा हिस्सा रूस की जीडीपी में 20 प्रतिशत तक का योगदान करता है।
दिसंबर में शुरू बिजली सप्लाई
साइबेरिया क्षेत्र में मौजूद तेल और गैस के लिए भी यह हिस्सा काफी कारगर साबित होता है। दिसंबर माह के यह प्लांट पेवेक को एनर्जी की सप्लाई शुरू कर देगा। इस प्लांट में दो केएलटी-40एस रिएक्टर्स हैं। ये रिएक्टर्स 70 मेगावॉट्स तक की बिजली उत्पादित करने की क्षमता रखते हैं। साथ ही इनसे एक घंटे में 50 गिगाकैलोरीज हीट एनर्जी पैदा हो सकेगी। एक सिंगल यूनिट 100,000 की आबादी वाले शहर के लिए बिजली का उत्पादन कर सकती है।