अमित्र देशों पर रूस का करारा प्रहार, पुतिन ने बंद कर दिए अपने बाजार, भारतीय निवेशकों की चांदी
इस महीने की शुरूआत में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई विदेशी बैंकों और ऊर्जा कंपनियों को रूस में कारोबार से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
मॉस्को, अगस्त 15: यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के 6 महीने होने वाले हैं और इस दौरान अमेरिका और उसके दर्जन भर सहयोगी देशों ने रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाए हुए हैं, लेकिन अब रूस ने प्रतिबंध लगाने वाले देशों पर करारा प्रहार किया है और रूस ने अपने बाजार को अमित्र देशों की लिस्ट बनाते हुए बंद कर दिए हैं। पुतिन के इस कदम से दोस्त देश भारत को जबरदस्त फायदा होने वाला है और भारतीय कंपनियों के लिए रूस का मार्केट पूरी तरह से खुल गया है, जहां अब काफी कम प्रतियोगी होंगे।
रूस बना रहा है टू टायर सिस्टम
रूस ने अपने बाजार के लिए टू टायर सिस्टम बनाने की योजना तैयार की है और रूस के केन्द्रीय बैंकों ने ये प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत केन्द्रीय बैंक के प्रस्तावों से उभरने वाली योजना और स्थानीय प्रतिबंधों को धीरे-धीरे समाप्त कर अपने ही घर पर पूंजी जुटाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और बाहरी कंपनियों के लिए घरेलू बाजार को अनुकूल किया जाएगा। आज से, मॉस्को एक्सचेंज उन देशों के निवेशकों के लिए ऋण प्रतिभूतियों में व्यापार की अनुमति देगा, जो अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में शामिल नहीं हुए हैं, जिसमें एक देश भारत भी है। रूस ने ये कदम उस वक्त जाकर उठाया है, जब फरवरी महीने में अमेरिका और सहयोदी देशों के प्रतिबंध के फौरन बाद घरेलू स्टॉक एक्सचेंज को अचानक गिरने से बचाने के लिए व्लादिमीर पुतिन की सरकार ने अपने देश के शेयर बाजार को बंद कर दिया था और अब करीब 6 महीने होने पर रूसी सरकार ने एक बार फिर से शेयर बाजार खोलने का फैसला किया है, लेकिन इस बार टू-टायर सिस्टम के तहत बाजार खोले जाएंगे।
'अमित्र' देशों के लिए नये नियम
रूस के नये नियम के मुताबिक, "अमित्र" देशों के ग्राहकों के लिए बाजार का विस्तार नहीं किया जाएगा, जिसके तहत विदेशी कंपनियों को लोकल सिक्योरिटीज पर पेमेंट लेने या फिर पेमेंट का भुगतान करने से प्रतिबंधित करने वाले पूंजी नियंत्रण के अधीन रहते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ग्रुप में यूरोपीय संघ के सदस्यों से लेकर कनाडा और जापान जैसे देश शामिल हैं, जिनका पिछले साल तक रूस के कुल पोर्टफोलियो निवेश में लगभग 90% का हिस्सा था। लंदन में टीएस लोम्बार्ड में वैश्विक राजनीतिक अनुसंधान के प्रबंध निदेशक क्रिस्टोफर ग्रानविले ने कहा कि, "शुरुआत में यह स्थिति को स्थिर करने के लिए एक आवश्यक पूंजी नियंत्रण था, लेकिन अब यह फैसला फिर से वापसी करने का है और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गये अभूतपूर्व प्रतिबंधों से पार पाने का है।''
कई कंपनियों पर लगाया गया प्रतिबंध
इस महीने की शुरूआत में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई विदेशी बैंकों और ऊर्जा कंपनियों को रूस में कारोबार से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया। एक अन्य डिक्री ने रूसी उधारदाताओं को जमे हुए विदेशी मुद्रा के साथ उन मुद्राओं में कॉर्पोरेट ग्राहकों के साथ संचालन को रोकने की अनुमति दी थी। और रूस का सॉवरेन वेल्थ फंड अब चीन, भारत और तुर्की जैसे देशों की मुद्राओं में निवेश कर सकता है, क्योंकि जुर्माने के तौर पर यूरो और डॉलर की खरीद बंद कर दिया गया है। इसका मतलब ये हुआ, कि रूस अपने अपने सॉवरेन फंड से भारतीय रुपया खरीद सकता है, जिससे उसके लिए भारत से कारोबार करना काफी आसान हो जाएगा।
भारत को होगा जबरदस्त फायदा
रूसी केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय के पूर्व अधिकारी ओलेग व्युगिन ने कहा कि, "परिस्थितियों को देखते हुए, उन देशों के साथ व्यापार और वित्तीय संबंध विकसित करना आवश्यक होगा जो रूस के साथ ऐसा करने के लिए तैयार हैं।" यानि, भारत उन देशों में शामिल होगा, जिसके रूस के साथ व्यापार पिछले तीन महीने में कई गुना बढ़ चुका है और रूस अब विश्व का दूसरा देश बन चुका है, जो भारत को सबसे ज्यादा तेल बेचता है। आपको बता दें कि, 24 फरवरी को यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने सबसे पहले रूस को वित्तीय तौर पर सजा देने की कोशिश की थी, जिसका अब रूस करारा जवाब दे रहा है। क्रेमलिन को दंडित करने के लिए, अमेरिका और सहयोगी सरकारों ने व्यापार और रूसी फाइनेंस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं और कई रूसी बैंकों की संपत्ति को फ्रीज कर दिया गया है, जिससे रूस के पास जमा आधा से ज्यादा संपत्ति फंस गया है और रूस के कई बैंकों को SWIFT वैश्विक पेमेंट सिस्टम से बाहर कर दिया गया है। जिसके बाद रूस ने चीन की करेंसी युआन और सोने में व्यापार करने का सिस्टम बनाया, लेकिन ये नाकाफी था, लिहाजा अब रूस ने अपने शेयर बाजार को खोलने का फैसला किया है और टू-टायर सिस्टम बनाया है। जिसमें एक तरफ अमित्र देश हैं, तो दूसरी तरफ रूस के दोस्त देश हैं।
तूफान से बच निकला रूसी बाजार
प्रतिबंध के फौरन बाद रूसी बाजार के क्रैश करने की आशंका थी, लेकिन अब रूस ने उस पृष्ट को बदल दिया है और अब रूस का घरेलू बाजार उस तूफान से बच गया लगता है। पवन ऊर्जा राजस्व और आयात में गिरावट ने रूबल को जबरदस्त वापसी करने में मदद की, जिससे अधिकारियों को पूंजी नियंत्रण पर प्रतिबंध वापस लेने की अनुमति मिली। वहीं, रूसी लोकल बॉन्ड प्रतिफल युद्ध शुरू होने के पहले के स्तर पर वापस आ गए हैं। हालांकि, अभी तक साफ नहीं हो पाया है, कि आंशिक तौर पर घरेलू बाजार को खोलने के बाद अमित्र देशों के निवेशकों के होल्डिंग्स पर क्या प्रभाव पड़ेगा, लेकिन, लंदन में एबर्डन के एक फंड मैनेजर विक्टर स्जाबो के अनुसार, अब भी, निवेशकों के लिए अपनी हिस्सेदारी बेचना संभव है, भले ही वो काफी कम कीमतों पर ही क्यों ना हों।
ऑनशोर-ऑफशोर रूबल रेट कन्वर्जन
जैसे ही रूसी बाजार एक बार फिर से खुलता है और चलह-पहल लौटती है, अधिकारी इस बात को देखने के लिए तैयार हैं, कि अमित्र देशों के निवेशकों की गैर-हाजिरी में रूसी वित्तीय प्रणाली पर क्या प्रभाव पड़ता है, जिनकी रूसी बाजार में हिस्सेदारी युद्ध से पहले आधे से ज्यादा दी और जिनका स्थानीय सरकारी बांडों में नॉन-रेजिडेंट होल्डिंग्स की विशालकाय हिस्सेदारी थी, जिसे ओएफजेड के रूप में जाना जाता है। रूस ने जो किया है, उसे "परिस्थितियों का एक असाधारण परिवर्तन" कहा जा रहा है और इसका सामना करने के लिए, रूस के केंद्रीय बैंक ने सार्वजनिक चर्चा के लिए एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें इनोवेशन को फिर से मदद करने की बात कही गई है, ताकि रूस के अंदर नये नये कारोबारी उभरकर सामने आ सकें।
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