
गैस आपूर्ति में कटौती कर यूरोप को धीमी मौत मार रहा रूस, इन अमीर देशों की हालत होने वाली है खराब
मास्को, 22 जूनः रूस द्वारा गैस आपूर्ति में कटौती किए जाने से इन दिनों पूरे यूरोप में अफरातफरी मची हुई है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से ही मास्को और पश्चिमी देशों के बीच तनाव चरम सीमा पर है। यूरोप देशों के नेताओं को इस बात से पसीना आ रहा है कि रूस द्वारा प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में हेरफेर से अगली सर्दी या उससे पहले ही आर्थिक और राजनीतिक संकट पैदा हो जाएगा। रूस ने इस स्थिति के लिए यूरोप समेत पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराया है।

60 फीसदी तक कटौती
रूस ने पिछले हफ्ते यूरोपियन यूनियन के पांच देशों को गैस की आपूर्ति कम कर दी है। इसमें जर्मनी जैसा देश भी शामिल है जिसकी अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी है और वह बिजली और ऊर्जा के लिए रूसी गैस पर बहुत अधिक निर्भर है। रूसी सरकारी ऊर्जा कंपनी गजप्रोम ने रूस से लेकर जर्मनी तक बाल्टिक सागर के नीचे चलने वाली नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन में 60 फीसद तक की कटौती कर दी है। फिलहाल रूस द्वारा इटली की आपूर्ति करीब आधी हो गई है और ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य और स्लोवाकिया जैसे देशों में भी भारी कटौती हो चुकी है। जर्मनी अपने 35 फीसदी और इटली 40 फीसदी गैस आयात के लिए रूस पर निर्भर है।

प्रतिबंधों को ठहराया जिम्मेदार
गजप्रोम ने गैस की कटौती को लेकर कहा है कि पश्चिमी देशों ने ऐसी चीजों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं जिसके कारण नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन के रखरखाव में दिक्कत आ रही है। कंपनी ने कहा है कि कनाडा में मरम्मत के लिए गईं गैस टरबाइन पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंधों के चलते वापस रूस नहीं लाई जा सकी हैं, इसी के चलते यूरोपीय देशों की गैस आपूर्ति में बाधा आई है।

उपकरणों की मरम्मत कराए यूरोप
वहीं, रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि हमारे पास पर्याप्त गैस है और हम उसे देने के लिए भी तैयार हैं। लेकिन उपकरणों की मरम्मत की जिम्मेदारी यूरोप की है। वे मरम्मत कराकर जब उपकरण हमें दे देंगे, हम उन्हें गैस की आपूर्ति शुरू कर देंगे। रूस नार्ड स्ट्रीम वन पाइपलाइन के जरिये जर्मनी को गैस की आपूर्ति करता है, वहां से यह गैस अन्य देशों को जाती है।

भूमिगत गैस भंडारण पर जोर
यूरोप के देश सर्दियों से पहले भूमिगत गैस भंडारण को भरने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। रूसी कटौती से रिफिलिंग स्टोरेज भी महंगा हो सकता है। प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल ग्लासमेकर और स्टील निर्माता जैसे कई ऊर्जा इंडस्ट्री द्वारा किया जाता है। मौजूदा वक्त में यूरोप की भूमिगत भंडारण 57 फीसदी भरी हुई है। यूरोपियन यूनियन का नया प्रस्ताव हर देश को भंडार को 1 नवंबर तक 80 फीसदी तक पहुंचाने का है। विश्लेषकों का मानना है कि बुल्गारिया, हंगरी और रोमानिया जैसे देश मौजूदा स्पीड से 80 फीसदी के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएंगे। इसके साथ ही जर्मनी, ऑस्ट्रिया और स्लोवाकिया जैसे देशीं को भी भंडारण में बहुत मुश्किल होने वाली है।

यूरोपीय देशों के प्रयास नाकाफी
यूक्रेन युद्ध से पहले यूरोप के देश रूसी गैस पर 40 फीसद तक निर्भर थे। यूरोप ने 2022 के आखिरी तक रूसी गैस आयात में दो तिहाई तक की कटौती करने और 2027 तक रूसी गैस पर निर्भरता पूरी तरह से खत्म करने का प्लान तैयार किया है। लक्ष्य 850 मिलियन डॉलर के रूसी गैस को हर दिन कम करना है। कई देश अक्षय ऊर्जा पर ध्यान दे रहे हैं लेकिन यह काफी होता नहीं दिख रहा है। 2030 तक कोयले को बाय-बाय करने के प्लान पर काम कर रहे जर्मनी ने अस्थायी तौर पर कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को फिर से शुरू करने के लिए कानून बना रहा है।
दुनिया
भर
में
तेल
रिफाइनिंग
पर
संकट
से
रिलायंस
को
कैसे
फायदा
हो
रहा
है?