भारत-चीन सीमा विवाद में भारत के साथ आया पुराना दोस्त, चीन को लेकर कह दी ये बड़ी बात
चीन के साथ बॉर्डर विवाद के बीच भारत के पुराने दोस्त रूस ने बेहद अहम बयान दिया है।
मास्को/नई दिल्ली: भारत-चीन विवाद पर रूस का बड़ा बयान सामने आया है। रूस ने कहा है कि भारत और चीन सीमा विवाद पर किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है और दोनों देश को साथ मिलकर शांतिपूर्वक बातचीत के जरिए सीमा विवाद को सुलझाना चाहिए।
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भारत के साथ आया रूस
रूस भारत का सबसे पुराना दोस्त रहा है और सभी अहम मौकों पर रूस ने खुलकर भारत का साथ दिया है। चीन के साथ चले आ रहे सीमा विवाद को लेकर भी रूस ने भारत के पक्ष में ही बयान दिया और भारत के लिहाज से रूस का बयान काफी महत्वपूर्ण भी है। रूस की विदेश मंत्रालय ने भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर कहा है कि दोनों देशों को सीमा विवाद शांतिपूर्वक माहौल में सुलझाना चाहिए और रूस भारत-चीन सीमा विवाद को बेहद करीब से देख रहा है। रूसी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा है कि रूस भारत और चीन के बीच पैंगोंग सो लेक में शांतिपूर्वक सैनिकों के डिसइंगेजमेंट का स्वागत करता है और मानता है कि दोनों देश आपस में शांतिपूर्वक समाधान पर पहुंच जाएंगे। रूस की तरफ से बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच किसी तीसरे देश के आने की जरूरत नहीं है। रूस ने कहा है कि बिना किसी तीसरे देश के दखलअंदाजी के भारत और चीन द्विपक्षीय वार्ता के जरिए शांतिपूर्वक सीमा विवाद का समाधान करें।
भारत का पुराना दोस्त है रूस
भारत और रूस के बीच काफी पुराना संबंध रहा है और रूस ने हर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर हर बार भारत का साथ दिया है। हालांकि पिछले कुछ सालों में भारत का झुकाव अमेरिका की तरफ हुआ है और रूस भी चीन के करीब आया है लेकिन फिर भी रूस ने अपने पुराने दोस्त भारत का साथ नहीं छोड़ा है। पिछले साल भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रूस का दौरा किया था जिसमें दोनों देशों के बीच सैन्य क्षमता विकसित करने को लेकर बातचीत हुई थी।
भारत और रूस के बीच S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेकर भी डील है जिसकी आपूर्ति इस साल रूस की तरफ से होना है। अमेरिका की मनाही और प्रतिबंध की धमकी के बाद भी भारत ने इस डील को रद्द नहीं किया है और माना जा रहा है कि इस साल अंत तक भारत को एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम रूस से मिल जाएगा। एस-400 डिफेंस सिस्टम बेहद खतरनाक डिफेंस सिस्टम है और इससे एक साथ 36 जगहों पर निशाना लगाया जा सकता है। चीन के पास यह डिफेंस सिस्टम पहले से ही और उसे भी रूस ने ही दिया था मगर उसके बाद भी चीन की नाराजगी मोल लेते हुए रूस ने भारत को यह डिफेंस सिस्टम दिया और अब एक बार फिर से भारत को रूस का साथ मिला है।