मेट्रो में गर्भवती महिला पर बल प्रयोग से मचा स्वीडन में हंगामा
मशहूर ब्लॉगर लवट जलॉ ने शिकायती लहज़े में कहा, "इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि अफ़्रीकी की मूल के स्वीडिश लोगों के साथ नस्लवादी व्यवहार होता है. उनके साथ अक्सर बदसलूकी की जाती है."
उन्होंने लिखा, "मैं सिर्फ़ ये उम्मीद करती हूं कि उनका बच्चा ठीक हो." लवट ने कहा कि वो महिला के परिवार के संपर्क में हैं. "वो महिला आठ महीने से गर्भवती हैं और फ़िलहाल अस्पताल से घर वापस जा चुकी हैं."
स्वीडन में एक बहुत ही हैरान कर देने वाला वीडियो सामने आया है. इसमें स्टॉकहोम मेट्रो के दो गार्ड एक गर्भवती महिला के साथ हाथापाई करते दिख रहे हैं. इस वीडियो को लेकर स्वीडन के लोगों में काफी गुस्सा है.
अधिकारियों के मुताबिक ये महिला अपनी एक बच्ची के साथ बिना टिकट के सफ़र कर रही थी.
सुरक्षा गार्ड के साथ बहस होने के बाद इस महिला को खींच कर ट्रेन से उतारा गया और एक बेंच पर बैठा दिया गया.
घटना के बाद महिला को अस्पताल ले जाया गया. मामले में दो गार्ड को सस्पेंड कर दिया गया है.
पुलिस का कहना है कि महिला को चोटें आई हैं, इसलिए वो इस मामले को एक हमला मानकर जांच कर रही है.
स्टॉकहोम के एसएल पब्लिक ट्रांसपोर्ट प्रोवाइडर के अधिकारी हेनरिक पाल्मर ने स्वीडन की मीडिया से कहा, "इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए हैं, जिनमें दिख रहा है कि सुरक्षा गार्डों ने महिला पर बल प्रयोग किया."
हेनरिक पाल्मर ने कहा कि कारण जो भी रहा हो लेकिन उसे इस तरह हैंडल नहीं किया जाना चाहिए था.
इस घटना की वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है. कई लोग शिकायत कर रहे हैं कि इस काली महिला को जानबूझकर निशाना बनाया गया.
लोग ये देखकर भी हैरान हुए कि जिस वक्त महिला पर बल प्रयोग किया जा रहा था, उनकी बच्ची वहीं पास ही खड़ी रो रही थी.
स्वीडन में काले लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा
मशहूर ब्लॉगर लवट जलॉ ने शिकायती लहज़े में कहा, "इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि अफ़्रीकी की मूल के स्वीडिश लोगों के साथ नस्लवादी व्यवहार होता है. उनके साथ अक्सर बदसलूकी की जाती है."
उन्होंने लिखा, "मैं सिर्फ़ ये उम्मीद करती हूं कि उनका बच्चा ठीक हो." लवट ने कहा कि वो महिला के परिवार के संपर्क में हैं. "वो महिला आठ महीने से गर्भवती हैं और फ़िलहाल अस्पताल से घर वापस जा चुकी हैं."
एसएल पब्लिक ट्रांसपोर्ट कंपनी ने शुक्रवार को बीबीसी से कहा कि मामले की जांच की जा रही है, "लेकिन उनके अधिकारियों को ये अधिकार प्राप्त है कि वो नियमों का उल्लंघन करने वाले शख्स को निकाल सकते हैं या उसे हिरासत में ले सकते हैं."
एसएल के प्रवक्ता ने कहा, "हमें बताया गया है कि उस महिला के पास टिकट नहीं था. फिर उसपर जुर्माना लगाया गया. उसने जुर्माना भरने से मना कर दिया, तो नियमों के मुताबिक महिला को वहां से जाने के लिए कहा गया."
प्रवक्ता के मुताबिक, "लेकिन उसने बाहर निकलने से भी मना कर दिया. जब हमारे पुलिस अधिकारियों ने उसे बाहर ले जाने की कोशिश की तो वो चिल्लाने लगी और विरोध करने लगी."
स्वीडन की फेमनिस्ट-एंटी-रेसिस्ट ऑर्गेनाइज़ेशन मैन फॉर जेंडर इक्वालिटी ने कहा कि सुरक्षा गार्डों ने ऐसा पहली बार नहीं किया है, वो बीते कई महीनों में इस तरह बल प्रयोग करते रहे हैं.
संस्था के अध्यक्ष अलान अली ने कहा, "जब बात रंग की आती है- काले स्वीडिश लोगों की आती है- तो हमने ऐसे कई सबूत देखे हैं, जो कहते हैं कि सुरक्षा गार्ड हिंसात्मक तरीका अपनाते हैं और कई बार इसकी बिल्कुल ज़रूरत नहीं होती."
उन्होंने कहा कि गार्ड्स को निलंबित करना तो पहला क़दम भर है. ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी और सिक्योरिटी कंपनी को नस्लवाद को लेकर ट्रेनिंग कोर्स कराने चाहिए.