म्यांमार की जेल में बंद रॉयटर्स के दोनों जर्नलिस्ट्स आजाद, 500 से ज्यादा दिन रहे जेल में
यंगून। म्यांमार की जेल में बंद न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के दोनों रिपोर्ट्स को जेल से रिहा कर दिया गया है। एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से न्यूज एजेंसी ने यह जानकारी दी है। दोनों रिपोर्ट्स को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट को तोड़ने का दोषी पाया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों की ओर से बताया गया कि मंगलवार को दोनों रिपोर्ट्स को जेल में 500 से ज्यादा दिन बिताने के बाद यंगून के बाहरी इलाके में देखा गया। इन दिनों को सितंबर 2018 में जेल की सजा सुनाई गई थी।
कोर्ट ने सुनाई थी सात वर्ष की सजा
32 वर्षीय वा लोन और 28 वर्ष के क्याव सो को कोर्ट ने सात वर्ष की सजा सुनाई थी। इस केस ने म्यांमार की सरकार को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया था। कई लोगों ने यहां तक कह दिया था कि देश में अब लोकतंत्र खतरे में है। कई राजनयिकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। राष्ट्रपति विन मिंट ने पिछले माह हजारों कैदियों की सजा माफ की है। 17 अप्रैल से म्यांमार से का नया साल शुरू होता है और इस मौके पर म्यांमार में अथॉरिटीज की तरफ से देशभर की जेलों में बंद कैदियों को रिहा करने की परंपरा है।
क्यों सुनाई गई थी सजा
जिस केस में कोर्ट की ओर से जर्नलिस्ट्स को सजा सुनाई गई थी उसे साउथ-ईस्ट एशिया में एक एतिहासिक केस करार दिया गया था। दोनों ही जर्नलिस्ट्स म्यांमार में रोहिंग्या संकट से जुड़ी स्टोरीज पर काम कर रहे थे। दोनों पत्रकारों को उस समय कानून को तोड़ने का आरोपी माना गया था जब कुछ सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स दोनों के हाथ लग गए थे। जज ने सजा सुनाते हुए कहा, 'दोषियों ने ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के सेक्शन 3.1 को तोड़ा है और इन्हें सात वर्ष की सजा सुनाई जाती है।' जज ने अपने फैसले में कहा कि दोनों ही आरोपियों ने 12 दिसंबर 2017 से जेल में थे और सजा में इस अवधि का ध्यान रखा जाएगा।
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