हांगकांग के नए सांसदों ने गांधी का उल्लेख कर किया चीन का विरोध
नई दिल्ली। हांगकांग के बागी सांसदों ने विधायी परिषद की पहली बैठक में ही खूब हंगामा काटा और चीन का विरोध किया। यह हंगामा तब हुआ जब परिषद की पहली बैठक के दौरान शपथग्रहण हो रहा था।
(हांगकांग में चीन के विरोध प्रदर्शन की फाइल फोटो)
यहां से चुनकर गए सांसदों ने 'निरंकुशता' के खिलाफ नारे लगाए। इससे क्षेत्र को चीन से अलग होने की मांग को और भी बल मिला।
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बता दें कि बीते माह हुए चुनाव में कई ऐसे सांसदों ने जीत हासिल की है, जो हांगकांग को अधिक स्वराज्य या फिर आजादी दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
यह है मामला
गौरतलब है कि सन् 1997 में ब्रिटेन की ओर चीन को हांगकांग लौटाए जाते समय 'एक देश, दो व्यवस्था' के अंतर्गत शहर को अर्द्ध स्वायत्त दर्जा मिला हुआ है।
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इसके तहत हांगकांग की आजादी अगले 50 सालों तक के लिए सुरक्षित है लेकिन शहर में चीन की बढ़ती पकड़ के कराण लोगों को डर है कि कहीं उनकी आजादी खत्म न हो जाए।
बता दें कि विधायी परिषद में चुनकर आने के बाद सांसदों को शपथ लेनी होती है जिसमें यह कहना होता है कि हांगकांग चीन का विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है।
सरकार ने सांसदों को पहले ही आगाह कर दिया था कि यदि शपथ ठीक तरीके से नहीं लिया गया तो वे अपनी सदस्यता खो सकते हैं।
ये कहा सांसद ने
बुधवार (12 अक्टूबर) को हुए शपथ ग्रहण समारोह में आजादी समर्थक सांसद 23 वर्षीय नॉथन लॉ ने परिषद में शपथ ग्रहण के दौरान भारत की आजादी की लड़ाई के नेता महात्मा गांधी के कथन का उल्लेख किया।
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लॉ ने कहा कि 'आप मुझे जंजीरों में जकड़ सकते हैं, यातना दे सकते हैं, यहाँ तक की आप इस शरीर को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन आप कभी मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते।'
इसके बाग दो अन्य सांसद बेगियो ल्यूंग और यौ वाई-चिंग ने शपथ ग्रहण के प्रारूप में नए शब्द जोड़ते हुए कहा कि 'हांगकांग राष्ट्र' की सेवा करने की शपथ ली और सांसद ल्यूंग ने चीन के शब्द का उच्चारण 'चीना' किया।
इतना ही नहीं दोनों सांसदों ने 'हांकांग की इज नॉट चाइना' लिखा हुआ बैनर भी लहराया।
हालांकि सांसदों की ओर से चीन का विरोध किए जाने के बाद उनकी सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है।