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जानिए, नेपाल में क्यों हो रहा है राजशाही की वापसी के लिए प्रदर्शन ? हिंदू राष्ट्र घोषित करने की भी मांग

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काठमाण्डू। दुनिया के उन देशों में जहां राजशाही कायम है वहां जनता उसे खत्म करने के लिए आंदोलन खत्म करने की खबरें अक्सर सुर्खियां बनती रहती हैं। या फिर जहां पर लंबे समय से कोई वर्ग या तानाशाह सत्ता पर कब्जा कर लेता है तो उसके खिलाफ जनता सड़क पर उतर आती है लेकिन क्या कभी आपने ऐसा सुना है कि ऐसे देश में जहां पर लोकतंत्र काम कर रहा हो वहां की जनता ही फिर से राजशाही बहाल करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आई हो। हमारे पड़ोसी और करीबी देश नेपाल (Nepal) में ऐसा ही हो रहा है।

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नेपाल में राजशाही वापसी और हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग तेज, सड़कों पर प्रदर्शन | वनइंडिया हिंदी
राजशाही बहाल करने के लिए हो रहे प्रदर्शन

राजशाही बहाल करने के लिए हो रहे प्रदर्शन

नेपाल में राजशाही बहाली की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे लेकर प्रदर्शन किए जा रहे हैं। रैलियां आयोजित की जा रही हैं। कई जगह इन रैलियों में हजारों लोग शामिल हुए हैं। राजशाही के समर्थन की ये आवाजें राजधानी काठमाण्डू में भी गूंजने लगी हैं। शनिवार 5 दिसम्बर को सैकड़ों राजशाही समर्थकों ने काठमाण्डू में रैली निकाली। नेपाल का झंडा उठाए ये लोग देश में संवैधानिक राजतंत्र को लागू किए जाने की मांग कर रहे थे।

इसी सप्ताह नेपाल के पोखरा और नवलपरासी में राजशाही को बहाल करने की मांग को लेकर बड़े विरोध प्रदर्शन हुए हैं। यहां पर बड़ी संख्या में लोगों ने जुलूस निकालकर राजशाही के समर्थन में आवाज बुलंद की। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि देश को बचाने के लिए फिर से राजशाही बहाल करना ही एकमात्र विकल्प है।

प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में युवा शामिल

प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में युवा शामिल

इन प्रदर्शनों की खास बात यह है कि इनमें शामिल होने वाले लोग कोई पुराने बुजुर्ग नहीं है बल्कि देश के युवा हैं। इन युवाओं में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली की सरकार के प्रति काफी गुस्सा है और वे इसे चीन परस्त बताते हैं। उनका कहना है कि ओली की पार्टी में फूट है और वह सत्ता पर कब्जा रखने के लिए नेपाल को चीन के सामने कमजोर करते जा रहे हैं। इस देश को बचाने के लिए राजशाही को फिर से बहाल करना ही एकमात्र विकल्प है।

नेपाली में राजशाही की मांग को लेकर आवाज उठाने वाली सबसे प्रमुख पार्टी राष्ट्रीय शक्ति नेपाल है। लेकिन इस अभियान में राष्ट्रीय नागरिक आंदोलन, वीर गोरखाली अभियान जैसी कई गैर राजनीतिक पार्टियां भी अब शामिल हैं। कभी राजा-रानी के टीशर्ट बांटने तक सीमित रहा ये अभियान अब सड़कों पर प्रदर्शन तक पहुंच गया है। सैकड़ों की संख्या में बाइक रैलियां निकाली जा रही हैं। पिछले शनिवार को काठमाण्डू में हुए प्रदर्शन को राष्ट्रीय नागरिक आंदोलन ने आयोजित किया था।

फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की उठी मांग

फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की उठी मांग

सिर्फ इतना ही नहीं इन प्रदर्शनों में राजशाही के साथ ही नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग भी शामिल है। प्रदर्शनकारियों के हाथ में नेपाल को हिंदू राज्य की स्थापना करने राजा पृथ्वी नारायण शाह के पोस्टर नजर आते हैं। पृथ्वी नारायण शाह को आधुनिक नेपाल का निर्माता कहा जाता है और नेपाली समाज में उनका बहुत सम्मान है। इन रैलियों में 'राजा लाओ देश बचाओ' और 'राजा ही देश बचाएंगे' जैसे नारे लगाए जा रहे हैं।

नेपाल में 12 साल पहले 25 मई 2008 को राजतंत्र को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था। इसकी जगह देश में लोकतांत्रिक प्रणाली की शुरुआत की गई। लेकिन यहां लोकतंत्र के शुरुआती वर्षों में ही सरकार गठन को लेकर कई बार पेंच का सामना करना पड़ा है।

नेपाल में विश्लेषक इस आंदोलन के जोर पकड़ने के पीछे वर्तमान में केपी ओली सरकार की असफलता और पार्टी में गुटबंदी के चलते लोगों को हो रही मुश्किल मुख्य वजह बताते हैं। ओली सरकार दरअसल कम्युनिष्ट दलों सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन का गठबंधन है। सरकार में ओली की पार्टी और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प दहल प्रचंड की पार्टी में गुटबंदी बढ़ी है। एक समय ऐसा भी आया था जब लग रहा था कि ओली को पद से हटना पड़ेगा।

चीन की दखलंदाजी से सबसे ज्यादा नाराजगी

चीन की दखलंदाजी से सबसे ज्यादा नाराजगी

इसके साथ ही लोगों की बड़ी शिकायत नेपाल में चीन की बढ़ती दखलंदाजी है। केपी शर्मा की सरकार पर खतरा आया था उसी समय उनके साथ चीन के राजदूत की मुलाकात की खबरें चर्चा में आईं। इन खबरों के आने के बाद जनता में नाराजगी और बढ़ गई है। लोग सभी पार्टियों से निराश हैं और नया विकल्प चाह रहे हैं जो कि उन्हें राजतंत्र में ही नजर आ रहा है।

वैसे तो यह आंदोलन काफी समय से चल रहा है लेकिन इसमें तेजी दो साल पहले दो युवकों की गिरफ्तारी की घटना के बाद आई। इन दोनों युवकों को पुलिस ने पुराने राजशाही के समय के राष्ट्रगान गाने का आरोप लगाया था। गिरफ्तारी के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में इस राष्ट्रगान को गाने की शुरुआत हुई। इस दौरान वीर गोरखाली अभियान ग्रुप के नेतृत्व में राजा-रानी के पोस्टर वाली टीशर्ट पहने युवा इन प्रदर्शनों में शामिल होते। इसमें शामिल युवा सोशल मीडिया का भी खूब सहारा ले रहे हैं और इससे उनके अभियान को फैलने में मदद मिली है।

आंदोलनों में राजशाही के साथ ही हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग भी प्रमुखता से है। दरअसल नेपाल के इन युवाओं को लगता है कि नेपाल की कम्युनिष्ट सरकार के चीन से करीबी रिश्ते हैं और वह नेपाल में हिंदू धर्म को लेकर उपेक्षा का रवैया रख रही है। कोरोना वायरस के चलते नेपाल सरकार ने मंदिरों को बंद करने का आदेश दिया था जिसके चलते लोग बहुत नाराज है। नेपाल के सबसे प्रभावशाली मंदिरों में एक पशुपतिनाथ मंदिर को बंद करने को कई लोगों ने धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप की तरह देखा।

धार्मिक उपेक्षा का लग रहा है आरोप

धार्मिक उपेक्षा का लग रहा है आरोप

विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रवादी झुकाव रखने वाले युवा इस आंदोलन से तेजी से जुड़ रहे हैं। युवाओं की नाराजगी सबसे ज्यादा इस बात से है कि नेपाल चीन की कठपुतली बनता जा रहा है। कोरोना वायरस को लेकर सरकारी इंतजामों से लोग पहले ही नाराज थे। इस बीच प्रधानमंत्री केपी ओली ने भारत से तनातनी के बीच कह दिया कि भगवान राम का जन्मस्थान जिस अयोध्या को कहा जाता है वह नेपाल में है। ओली के इस बयान को सिर्फ राष्ट्रवादी नहीं बल्कि दूसरे तबकों में भी विरोध किया गया। लोगों का कहना था कि पड़ोसी देश से तनाव के बीच प्रधानमंत्री को धर्म के बारे में कोई गलत बात नहीं कहनी चाहिए। खासकर तब जब वह उस देश के प्रधानमंत्री हैं जिसकी बहुसंख्यक आबादी हिंदू है। इन बयानों के साथ ही चीन का बढ़ता दखल और मंदिर बंद करने जैसी घटनाओं ने लोगों को सड़क पर उतरने की वजह भी दे दी है।

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English summary
reason behind nepal people protesting to restore monarchy again
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