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49 दिनों तक समंदर में बिना खाना और पानी के, 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' जैसी असली कहानी

फजर फ़िरदौस के मुताबिक़, "आल्दी को जब भी कोई बड़ा जहाज़ दिखता, उनके मन में एक उम्मीद जग जाती. 10 से ज़्यादा जहाज़ उनके रास्ते से गुज़रे लेकिन न तो किसी की नज़र उन पर पड़ी और न ही कोई जहाज़ रुका."

आल्दी की मां ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि उन्हें अपने बेटे के ग़ायब होने का पता कैसे चला.

उन्होंने कहा, "आल्दी के बॉस ने मेरे पति को बताया कि वो लापता हो गया है.

By BBC News हिन्दी
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आल्दी नोवेल आदिलांग
AFP
आल्दी नोवेल आदिलांग

एक टूटी हुई नाव में अनजान समंदर के बीचों-बीच 49 दिनों तक रहना. वो भी बिना खाना और पानी के. क्या ये आपको 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' या किसी ऐसी ही फ़िल्म की याद दिलाता है?

ये किसी फ़िल्म की नहीं बल्कि असली कहानी है.

18 साल के आल्दी नोवेल आदिलांग जुलाई महीने में इंडोनेशियाई समुद्र तट से तक़रीबन 125 किलोमीटर की दूरी पर एक 'फ़िशिंग हट' यानी मछली पकड़ने के लिए बनी झोपड़ीनुमा नाव में थे. इसी समय अचानक तेज़ हवाएं चलने लगीं और नाव का लंगर टूट गया.

जहाज
EPA/INDONESIAN CONSULATE GENERAL OSAKA
जहाज

नतीजा, आल्दी की फ़िशिंग हट बेकाबू हो गई और हज़ारों किलोमीटर दूर गुआम के पास जाकर रुकी. हालात ऐसे थे कि आल्दी का ज़िंदा बचना मुश्किल था लेकिन ख़ुशकिस्मती से पनामा के एक जहाज़ ने उन्हें 49 दिनों बाद सुरक्षित बचा लिया.

इंडोनेशियाई के सुलावेसी द्वीप समूह के रहने वाले आल्दी एक 'रोम्पॉन्ग' पर काम करते थे. रोम्पॉन्ग मछली पकड़ने वाली एक नाव होती है जो बिना किसी पैडल या इंजन के चलती है.

इंडोनेशिया के 'जकार्ता पोस्ट' अख़बार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, आल्दी का काम नाव पर उस ख़ास लैंपों को जलाना और उनकी देखरेख करना था जिसकी वजह से मछलियां नाव की तरफ़ आकर्षित होती हैं.

मछली पकड़ने के लिए बनाए इस झोपड़ीनुमा नाव को समंदर में रस्सियों के सहारे चलाया जाता है.

आल्दी नोवेल आदिलांग
EPA
आल्दी नोवेल आदिलांग

मछलियां पकड़कर खाईं

14 जुलाई को जब तेज़ हवाओं की वजह से आल्दी की नाव बेकाबू हुई, उनके पास बहुत कम खाना बचा था. ऐसी स्थिति में उन्होंने हिम्मत और सूझबूझ से काम लिया. आल्दी ने मछलियां पकड़ीं और नाव पर बने लकड़ियों के बाड़ जलाकर उन्हें पकाया.

अभी ये पता नहीं चला है कि आल्दी ने पानी का इंतज़ाम कहां से किया.

जापान में मौजूद इंडोनेशिया के राजनायिक फजर फ़िरदौस ने 'द जकार्ता पोस्ट' को दिए इंटरव्यू में बताया कि इन 49 दिनों में आल्दी बुरी तरह डरे रहते थे और वो अक्सर रोया करते थे.

किसी की नज़र नहीं गई...

फजर फ़िरदौस के मुताबिक़, "आल्दी को जब भी कोई बड़ा जहाज़ दिखता, उनके मन में एक उम्मीद जग जाती. 10 से ज़्यादा जहाज़ उनके रास्ते से गुज़रे लेकिन न तो किसी की नज़र उन पर पड़ी और न ही कोई जहाज़ रुका."

आल्दी की मां ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि उन्हें अपने बेटे के ग़ायब होने का पता कैसे चला.

उन्होंने कहा, "आल्दी के बॉस ने मेरे पति को बताया कि वो लापता हो गया है. इसके बाद हमने सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया और उसकी सलामती के लिए लगातार दुआएं मांगते रहे."

इंडोनेशिया
BBC
इंडोनेशिया

आख़िरकार एक जहाज़ रुका...

31 अगस्त को आल्दी ने अपने पास एक पनामा का एक जहाज़ देखा और आपातकालीन रेडियो सिग्नल भेजा.

इसके बाद जहाज़ के कैप्टन ने गुआम के कोस्टगार्ड से संपर्क किया. कोस्टगार्ड ने जहाज़ के क्रू को निर्देश दिया कि वो आल्दी के अपने गंतव्य तक यानी जापान लेकर जाएं.

ये जानकारी ओसाका में इंडोनेशिया के कॉन्सुलेट जनरल के फ़ेसबुक पेज पर दी गई है.

अब जश्न की तैयारी

आल्दी 6 सितंबर को जापान पहुंचे और दो दिन बाद उन्होंने इंडोनेशिया के लिए उड़ान भरी. इसके बाद आख़िरकार वो अपने परिवार से मिला. बताया जा रहा है उनकी सेहत अच्छी है.

आल्दी की मां ने कहा, "अब वो वापस आ गया है. 30 सितंबर को उसका जन्मदिन है, वो 19 साल का हो जाएगा. हम जश्न की तैयारी में हैं."

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English summary
Real story like Life of Pie without any food and water in the sea for 49 days
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