Ram janmabhoomi: जहां हुआ था माता सीता और भगवान राम का विवाह, नेपाल के जनकपुर का क्या रहा माहौल
अयोध्या। बुधवार को अयोध्या में राम जन्मभूमि का पूजन संपन्न हो गया। इस मौके पर पड़ोसी देश नेपाल जिसके साथ रिश्ते इस समय मुश्किल दौर में हैं, वहां पर भी खुशी का माहौल था। नेपाल के जनकपुर से भी एक टीम अयोध्या पहुंची थी। नेपाल की मीडिया की तरफ से उन खबरों को खारिज कर दिया गया जो मंगलवार को भारत की मीडिया में आई थीं कि कोरोना वायरस की वजह से जानकी मंदिर के महंत को बॉर्डर पर रोक दिया गया था। जनकपुर, माता सीता का जन्मस्थल है और यहां पर जानकी मंदिर है।
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चांदी की पांच ईंट लेकर पहुंचे थे महंत
जनकपुर से अयोध्या पहुंची टीम का नेतृत्व जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास कर रहे थे। दास ने नेपाल की वेबसाइट ऑनलाइन खबर को बताया कि उनके पास एक किलो चांदी की बनीं पांच ईंटें हैं जिन्हें लेकर वह अयोध्या पहुंचे थे। नेपाल के जनकपुर में भी अयोध्या के भूमि पूजन की रौनक देखी गई। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसके बारे में जानकारी खंगाली तो टीवी पर लाइव टेलीकॉस्ट भी देखा गया। भारत सरकार की तरफ से महंत तपेश्वर दास को भेजे गए आमंत्रण को एक बड़ा कदम माना गया था। जनकपुर का जानकी मंदिर साल 2018 में उस समय खबरों में था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल दौरे की शुरुआत यहीं से की थी।
रामायण में भी जनकपुर का जिक्र
जानकी मंदिर की वजह से नेपाल के शहर जनकपुर का भारत के लिए एक अलग महत्व है। जनकपुर का जिक्र रामायण में भी है और कहते हैं कि यह वही जगह है जहां पर राजा जनक को सीता माता एक नन्हीं बच्ची के तौर पर मिली थीं। इस शहर को जनकपुर धाम के तौर पर भी जानते हैं। इसकी स्थापना 18वीं सदी में हुई थी। जनकपुरधाम विधेय राजवंश की राजधानी हुआ करता था जिसने प्राचीन समय में मिथिला पर राज किया था। जनकपुर, काठमांडू से 123 किलोमीटर दूर है और यह नेपाल का सांतवा सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है। कई वर्षों पहले तक नेपाल रेलवे की ओर से जनकपुर और बिहार के बीच ट्रेन का संचालन भी होता था।
यहीं हुआ था राम-सीता का विवाह
कहते हैं कि राजा जनक का महल यहीं जनकपुर में था और यह विधेय की राजधानी हुआ करता था। रामायण के अनुसार राजा जनक को यहीं पर एक छोटी बच्ची मिली थी जिनका नाम उन्होंने सीता रखा और फिर उसका पालन-पोषण अपनी बेटी की तरह किया। कहते हैं कि भगवान शिव के जिस धनुष को स्वंयवर में श्रीराम ने तोड़ा था उसे भी जनकपुर में ही छोड़ा गया था। जनकपुर में आज भी वह जगह मौजूद है जहां पर भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था।
कहा जाता है नौलखा मंदिर
सन् 1950 तक जनकपुर में कई गांव थे और यहां पर किसानों से लेकर कलाकार, पुजारी और मठों में काम करने वाले क्लर्क्स का अच्छा-खासा नियंत्रण था। बाद में इसे बढ़ाया गया और इसे एक कमर्शियल सेंटर बनाया गया। सन् 1960 में जनकपुर धनुष जिले की राजधानी बन गया। जनकपुर आज भारत और नेपाल के अलावा दुनिया के अलग-अलग देशों में फैले हिंदुओं के लिए अहम तीर्थस्थल में तब्दील हो चुका है। कहते हैं कि इस मंदिर को बनाने में उस समय नौ लाख रुपए लगे थे, इसीलिए इसे 'नौलखा मंदिर' भी कहा जाता है।