राफेल विवाद: दसॉल्ट को रिलायंस के साथ ही हाथ मिलाना अनिवार्य था, नए दस्तावेजों में खुलासा
पेरिस। मीडियापार्ट के बाद फ्रांस की एक ब्लॉग वेबसाइट ने नए दस्तावेज जारी कर राफेल विवाद में नया ट्वि्स्ट ला दिया है। फ्रेंच ब्लॉग पोर्टेल एविएशन ने फ्रांस की वेपन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी दसोल्ट और भारत की रिलायंस के बीच हुए डील के दस्तावेज शेयर किए हैं। इन नए दस्तावेजों के अनुसार, फ्रांस ने अनिल अंबानी की कंपनी के साथ एक ट्रेड-ऑफ एयरोनॉटिक्स प्रमुख दसॉल्ट एविएशन के रूप में 59,000 रुपये की डील की थी। इससे पहले मीडियापार्ट ने दावा किया था कि राफेल विमान सौदे के लिए दसॉल्ट के सामने भारत सरकार ने सिर्फ रिलायंस का नाम आगे रखा था।
फ्रांसीसी ब्लॉग पोर्टेल एविएशन ने दो ट्रेड यूनियन दस्तावेजों को शेयर किया है। ये दस्तावेज 2015 में फ्रांस के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 36 राफेल जेट्स के सौदे पर अब ज्यादा राजनीतिक बवाल खड़ा कर सकते हैं। ये दस्तावेज दसॉल्ट के साथ राफेल बनाने वाली कंपनियां सीएफडीटी और सीजीटी के हैं। इन दस्तावेजों में 11 मई 2017 को पीएम मोदी के साथ 11 मिनट हुई मीटिंग और अनिल अंबानी की कंपनी ज्वॉइंट वेंचर रिलायंस डिफेंस का जिक्र किया गया है।
दसॉल्ट इससे पहले कह चुकी है कि उनके पास और भी चॉइस थी, लेकिन उन्होंने रिलायंस को ही चुना। हालांकि, दो ट्रेड यूनियन दस्तावेजों से बात चीजें साफ हो रही है, एक तो यह कि मिस्टर सागेलन (दसोल्ट एविएशन सीओओ) ने रिलायंस डिफेंस के बारे में बात कर रहे हैं और दूसरा यह है कि भारत सरकार ने अपने 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट के तहत फ्रांस सरकार और दसॉल्ट के आगे रिलायंस का नाम आगे सुझाया था।
हालांकि, ब्लॉग किसी भी प्रकार के 'दबाव' की इसकी पुष्टी नहीं करता है और यह अपना पाठकों पर छोड़ता है कि रिलायंस के साथ सौदा करने के लिए फ्रांस पर दबाव डाला गया था या नहीं। बता दें कि इससे फ्रांस की तरफ से पहले फ्रास्ंवा ओलांद (फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति) फिर मीडियापार्ट और अब ब्लॉग पोर्टेल एविएशन ने भारत सरकार द्वारा इस सौदे में सिर्फ रिलायंस कंपनी को आगे करने की बात कही है।
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