पुतिन एक ऐसा 'माचो मैन' जो किसी से डरता नहीं!
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जुडो में ब्लैक बेल्ट हैं. मार्शल आर्ट के इस खेल की दो ख़ूबियां उनमें ख़ूब दिखती हैं, वो हैं छल और आक्रामकता.
वो चाहे यूक्रेन में फ़ौजी दख़ल देने का फ़ैसला हो या मार्च, 2014 में क्रीमिया को रूस में मिलाने का निर्णय या फिर सीरिया में सरकार विरोधी विद्रोहियों पर बमबारी.
ये पुतिन के वो फ़ैसले थे जिसने कई पर्यवेक्षकों को हैरान कर दिया.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जुडो में ब्लैक बेल्ट हैं. मार्शल आर्ट के इस खेल की दो ख़ूबियां उनमें ख़ूब दिखती हैं, वो हैं छल और आक्रामकता.
वो चाहे यूक्रेन में फ़ौजी दख़ल देने का फ़ैसला हो या मार्च, 2014 में क्रीमिया को रूस में मिलाने का निर्णय या फिर सीरिया में सरकार विरोधी विद्रोहियों पर बमबारी.
ये पुतिन के वो फ़ैसले थे जिसने कई पर्यवेक्षकों को हैरान कर दिया. सीरिया में रूस के दख़ल देने से बशर अल-असद की सरकार के समर्थक बलों को सहारा मिल गया.
65 साल के पुतिन ने रूस की ताक़त दिखलाने से कभी परहेज नहीं किया और न ही ऐसा करने की अपनी चाहत कभी छिपाई.
सालों तक रूस को अमरीका और नेटो सहयोगी देश नज़रअंदाज़ करते रहे.
लेकिन एक ऐसा वक़्त भी आया जब अमरीका में पुतिन के पुराने साथी येवगेनी प्रिगोज़हिन पर 2016 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में दख़ल देने का आरोप लगा.
रूस-अमरीका रिश्ते
कहा जाता है कि पुतिन की शह पर येवगेनी प्रिगोज़हिन ने अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव को ट्रंप के पक्ष में प्रभावित करने की कोशिश की.
चुनावों में कथित धोखाधड़ी का ये मामला सोशल मीडिया पर ख़ूब उछला और इसका नतीजा ये निकला कि अमरीका ने पुतिन के क़रीबी अफ़सरों पर कई प्रतिबंध लगाए.
मार्च, 2014 के बाद से यूक्रेन में रूस की सैनिक दख़लंदाज़ी को लेकर यूरोपीय संघ और अमरीका ने कुछ प्रुमख रूसी अधिकारियों और कंपनियों पर लगे कई प्रतिबंध लगाए.
इन प्रतिबंधों के कारण पुतिन के कई सहयोगियों के पश्चिमी देशों की यात्रा पर रोक लग गई और उनके बिज़नेस पर इसका असर पड़ा.
राष्ट्रपति ट्रंप ये बात सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि वे पुतिन को पसंद करते हैं और रूस के साथ अमरीका के रिश्ते सुधारना चाहते हैं.
लेकिन कुछ लोग अमरीका-रूस संबंधों पर पड़े पाले को नए शीत युद्ध का नाम दे रहे हैं. ये भी कहा जा रहा है कि दोनों मुल्कों के बीच अविश्वास की खाई और गहरी हो रही है.
'रणनीतिक साझीदार'
हालात ऐसे हैं कि रूस अब यूरोपीय संघ का 'रणनीतिक साझीदार' भी नहीं है.
पश्चिमी देश पुतिन पर पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थक विद्रोहियों को हथियारों और सैन्य मदद पहुंचाने का आरोप लगाते हैं.
हालांकि पुतिन ने केवल इतना स्वीकार किया कि कुछ रूसी लोग अपनी मर्जी से उन बाग़ियों की मदद के लिए वहां गए थे.
यूक्रेन की अंदरूनी राजनीति में दख़ल देने के आरोपों पर भी पुतिन भड़क जाते हैं.
उनका कहना है कि यूक्रेन में 'तख्तापलट' से मजबूर होकर तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच फ़रवरी, 2014 में रूस भाग गए थे.
यूक्रेन संकट से पहले पुतिन ने सोवियत संघ के पतन को '20वीं सदी का सबसे बड़ा महाविनाश' कहा था.
रूस की सरहदों तक नेट के विस्तार का पुतिन ने मुखर विरोध किया था.
मुश्किल बचपन
व्लादिमीर पुतिन की परवरिश लेनिनग्राद (अब सेंट पीट्सबर्ग) में ऐसे माहौल में हुई थी जहां स्थानीय लड़कों के बीच मार-पीट आम बात थी.
ये लड़के कई बार पुतिन से बड़े और ज़्यादा ताक़तवर होते थे और यही बात पुतिन को जुडो की तरफ़ ले गई.
क्रेमलिन की वेबसाइट के अनुसार पुतिन अपनी स्कूलिंग पूरी करने से काफ़ी पहले से सोवियत गुप्तचर सेवा में शामिल होना चाहते थे.
अक्टूबर, 2015 में पुतिन ने कहा था, 50 साल पहले लेनिनग्राद की सड़कों ने मुझे एक नियम सिखाया था. अगर लड़ाई होनी तय है तो पहला पंच मारो.
उन्होंने समझाया था कि रूस में चरमपंथियों के हमले का इंतज़ार करने से बेहतर है सीरिया में उनसे लड़ना.
पुतिन सड़क पर लड़ने वाले किसी शोहदे की जुबान भी बोलते सुने गए.
चेचेन्या में अलगाववादी विद्रोहियों के ख़िलाफ़ रूस की सैनिक कार्रवाई का समर्थन करते हुए पुतिन ने उन्हें टॉइलेट तक से साफ़ कर देने की क़सम ली थी.
मुस्लिम बहुल नॉर्थ कॉकेसस का इलाक़ा 1999-2000 के दौरान भारी लड़ाई से तबाह हो गया था, इसमें हज़ारों आम लोग मारे गए थे.
पुतिन के लिए जॉर्जिया में एक और मोर्चा खुला. साल 2008 में रूसी सैनिकों ने जॉर्जियाई सेना को खदेड़ दिया और अबकाज़िया और साउथ ऑसेटिया पर क़ब्ज़ा कर लिया.
उस दौरान जॉर्जिया के तत्कालीन नेटो समर्थक राष्ट्रपति मिखाइल साकाशविली से पुतिन की निजी तल्खी बढ़ गई थी.
इससे ये लगा कि सोवियत संघ के पूर्व घटक देशों में पश्चिम समर्थक नेताओं से निपटने के लिए पुतिन तैयार हैं.
व्लादिमीर पुतिनः जासूस से राष्ट्रपति तक का सफर
- 1952 : इस साल 7 अक्टूबर को लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) में पुतिन का जन्म हुआ.
- उन्होंने क़ानून की पढ़ाई की. इसके बाद वो सुरक्षा एजेंसी केजीबी से जुड़ें.
- पुतिन साम्यवादी पूर्वी जर्मनी में जासूस भी रहें. सुरक्षा एजेंसी केजीबी के कुछ सहयोगी पुतिन युग में शीर्ष पदों पर रहें.
- 1990 : इस दशक में सेंट पीटर्सबर्ग के मेयर एंटोनी सोबचक, जिन्होंने उन्हें पहले कानून पढ़ाया था, पुतिन से मिलें.
- 1997 : पुतिन रूस के पहले राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन की सरकार में शामिल हुएं. उन्हें संघीय सुरक्षा सेवा का प्रमुख (प्रधानमंत्री) बनाया गया.
- 1999 : येल्तसिन ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दे दिया और पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया.
- 2000 : व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्रपति चुनाव आसानी से जीता.
- 2004 : एक बार फिर वो दोबारा राष्ट्रपति बनें.
- तीसरी बार रूसी संविधान के अनुसार वो राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ सकते थे, बावजूद इसके वो प्रधानमंत्री बनें.
- 2012 : पुतिन तीसरी दफा राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की.
माचो मैन और दयालु छवि वाले पुतिन
पुतिन माचो मैन (मर्दों वाली छवि) की तरह ज़िंदगी के आनंद लेते दिखें. वो साल 2000 में चुनावों के दौरान फाइटर जेट उड़ाते दिखें. 2011 में बाइकर्स फेस्टिवल में पुतिन स्पोर्ट्स बाइक चलाते हुए शामिल हुए.
द नाइट वुल्फ बाइकर्स गैंग ने 2014 में पूर्वी यूरोप में काला सागर के क्रीमिया प्रायद्वीप पर क़ब्ज़ा जमाने में अहम भूमिका निभाई. गैंग ने इस दौरान देशभक्ति की भावना को हवा देने का काम किया था.
कुत्तों को प्यार और विलुप्त हो रहे अमूर बाघों की प्रजाति की देखभाल करते पुतिन की तस्वीरों ने रूसी मीडिया में उनकी छवि एक दयालु शख़्स के रूप में बनाई.
पुतिन की बेटियां
रॉयटर्स न्यूज एजेंसी की जांच में यह पता चला कि पुतिन की छोटी बेटी कातेरिना को पढ़ाई के दौरान मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी में शीर्ष प्रशासनिक पद पर नौकरी दी गई. वो डांस प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेती हैं.
पुतिन की बड़ी बेटी मारिया भी शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही हैं. वो बायॉलजी में विशेषज्ञता हासिल कर रही हैं.
रॉयटर्स की पड़ताल में यह पता चला कि पुतिन के क़रीब रहे लोगों के बच्चे बड़ी-बड़ी नौकरियों पर रहे हैं.
रूस में भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों के नेता अलेक्सी नवलानी ने पुतिन की सरकार को 'नव सामंती प्रणाली' का तमगा दिया है, जो समाज के एक छोटे तबके और संभ्रांत लोगों की फ़िक्र करती है.
रूसी शहर सोची में 2014 में हुए विंटर ओलंपिक में पुतिन काल का भव्य प्रदर्शन किया गया. इस आयोजन में करीब 33 ख़रब रुपए खर्च किए गएं, जो ओलंपकि के खेलों पर अब तक का सबसे बड़ा खर्च है.
पुतिन को जूडो और आइस हॉकी खेलना काफ़ी पसंद है. टेश के टेलीविजन चैनल ने उनकी आइस हॉकी की बारीकियों को ख़ूब दिखाया.
पुतिन, राष्ट्रवाद और मीडिया
एक लंबे शासन के बावजूद लोग उन्हें पसंद करते हैं. रूसी मीडिया के मुताबिक पुतिन की लोकप्रियता ऐसी है, जो पश्चिमी नेताओं के लिए सिर्फ़ सपना हो सकता है.
रूसी मीडिया में पुतिन का राष्ट्रवादी चेहरा छाया रहता है. वहां के मीडिया में उनके पक्ष की ख़बरें ख़ूब दिखती हैं. यही कारण है कि उनके आलोचकों की आवाज़ वहां दब जाती है.
2012 में वो तीसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव जीते. इससे पहले राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के कार्यकाल में वो प्रधानमंत्री रहे, लेकिन सत्ता में उनका हस्तक्षेप कम नहीं हुआ.
उनके पहले दो कार्यकाल में रूस ने तेल और गैस के निर्यात से ख़ूब कमाई की. रूसी नागरिकों का रहन-सहन बेहतर हुआ.
साल 2008 के बाद वैश्विक मंदी का रूस की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा. देश ने खरबों रुपए का विदेशी निवेश खो दिया.
तीसरी बार चुनाव लड़ने का मन बना चुके पुतिन को व्यापक आंदोलन का सामना करना पड़ा. रूस सोवियत काल के बाद सबसे बड़े सरकार विरोधी आंदोलन का गवाह बना.
अंदोलन में शामिल विरोधियों को जेल या फिर उन्हें हाशिए पर लाकर खड़ कर दिया गया. इसके शिकार पुतिन के मुख्य विपक्षी नेता अलेक्सी नावलनी भी हुए.
अलेक्सी ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का उजागर कर पुतिन का विरोध किया और उनकी पार्टी यूनाइटेड रसिया को "बदमाशों और चोरों की पार्टी" बताया.
मानवाधिकार हनन की चिंता
पुतिन का तीसरा कार्यकाल रूढ़िवादी रूसी राष्ट्रवाद के रूप में देखा गया. उन्होंने कट्टर चर्च के प्रोत्साहन पर कई पाबंदियां लगाईं.
समलैंगिक "प्रॉपेगैंडा" का प्रसार करने वाले समूहों पर प्रतिबंध लगा दिए गए, जिसका समर्थन चर्च ने किया था.
राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन ने उदारवादियों को हाशिए पर ला खड़ा किया. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार हनन की चिंता तब बढ़ी जब दुनिया के सबसे अमीर शख़्स रहे मिखाइल खोडोर्कोव्स्की को उन्होंने जेल में डाल दिया.
ब्रिटेन के साथ पुतिन के संबंध 2006 के बाद ख़राब होने लगे जब उनके विरोधी रहे अलेक्जेंडर लिटविनेनको को ज़हर देकर मार दिया गया था. रूसी एजेंटों पर उनकी हत्या के आरोप लगे थे.
वैश्विक मंच पर रूस की मुखरता के कई और प्रमाण देखने को मिले.