
अमेरिकी चुनाव: पुतिन ने ट्रंप के पक्ष में अभियान को दी थी मंजूरी, खुफिया रिपोर्ट में खुलासा
वाशिंगटन। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2020 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में अभियान चलाने का निर्देश दिया था। मंगलवार को जारी एक खुफिया रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट के आने के बाद रूस पर प्रतिबंधों की संभावना बढ़ गई है।

रूस पर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को हैक करने का आरोप तो 2016 में ही लग गया था जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने थे। मामले में जांच भी बैठी और उस दौरान इस मामले में दोषी ठहराया गया लेकिन डोनाल्ड अपने पूरे कार्यकाल में इससे इनकार करते रहे। यही नहीं ट्रंप ने लगातार अपने 'दोस्त' पुतिन का इस मुद्दे पर बचाव किया था और प्रतिबंध लगाने से पीछे हटते रहे थे लेकिन अब बाइडेन प्रशासन के सत्ता में होने के चलते इन आरोपों पर रूस की मुश्किल बढ़ सकती है।
मॉस्को के हाथों में खेलने का आरोप
नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर कार्यालय की 15 पन्नों की रिपोर्ट में ट्रंप के ऊपर काफी लंबे समय से लगे रहे आरोपों को आगे बढ़ाते हुए कहा गया है कि ट्रंप के कुछ शीर्ष सहयोगी उस समय के उम्मीदवार जो बाइडेन के रूस से जुड़े यूक्रेनी आंकड़ों बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे थे, ऐसा करके वे मॉस्को के हाथों में खेल रहे थे।
इस रिपोर्ट में पुतिन को सीधे जिम्मेदार ठहराते हुए कहा गया है कि ट्रम्प को लाभ पहुंचाने के लिए पुतिन या तो सीधे शामिल रहे या फिर कम से कम ऐसा करने का निर्देश दिया था। इस रिपोर्ट में आरोपों के सामने आने के बाद अगले सप्ताह वाशिंगनट के रूस पर प्रतिबंध लगाने की उम्मीद की जा रही है। इस प्रतिबंधों को लागू किए जाते समय पुतिन की भूमिका के बारे में निष्कर्षों पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है।
इसके साथ ही खुफिया रिपोर्ट में अमेरिकी वोटर्स को प्रभावित करने के दूसरे तरीकों का भी जिक्र किया गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव के पास आने के पास ईरान पर प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया था।
चीन के हस्तक्षेप पर क्या कहा ?
रिपोर्ट में ट्रंप के सहयोगियों द्वारा बाइडेन के समर्थन में चुनाव को प्रभावित करने की चीनी कोशिशों के आरोपों को खारिज किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग ने चुनाव की कोशिशों को खारिज करने का कोई प्रयास नहीं किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने संबंधों को ठीक करना चाह रहा है और उसने चुनावी नतीजों में हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं की। क्योंकि यह चीन के लिए जितना फायदामंद है उससे ज्यादा पकड़े जाने पर नुकसान हो जाना था।