अमेरिका में CAA के खिलाफ प्रदर्शनों की वजह से गणतंत्र दिवस समारोह का रंग फीका
वॉशिंगटन। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में जारी प्रदर्शन सिर्फ दिल्ली तक सीमित हों, ऐसा नहीं हैं। अब अमेरिका में भी कानून के खिलाफ प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है। इन प्रदर्शनों की वजह से गणतंत्र दिवस के समारोह भी ठीक से नहीं हो सके और इनमें खासी दिक्कतें आईं। जो प्रदर्शन अमेरिका में हुए उनमें भारी तादाद में भारतीय-अमेरिकी शामिल थे। अलग-अलग जगहों पर शांतिपूर्ण तरीको से मार्च निकालकर कानून का विरोध किया गया।
प्रदर्शनकारी और समर्थक दोनों आक्रामक
अमेरिका में रविवार को प्रदर्शनकारियों में ऐसे लोग भी शामिल थे जो इस कानून का समर्थन कर रहे थे। मगर समर्थकों की संख्या काफी कम थी और इस वजह से प्रदर्शनकारी हावी रहे। कानून के समर्थकों का कहना था कि सरकार की तरफ से लाए गए इस कानून की वजह से देश में बसे किसी भी भारतीय नागरिक पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कानून सिर्फ पड़ोसी देशों में बसे अल्पसंख्यक समुदाय की मदद के लिए है क्योंकि भारत उनकी परवाह करता है। अमेरिका के कई शहरों में सीएए का विरोध करते हुए बैनर्स लेकर प्रदर्शन किया गया। लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे थे और मांग कर रहे थे कि कानून को वापस लिया जाए। साथ ही प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजंस (एनआरसी) को भी खत्म करने की मांग की गई।
Anti CAA protest in Chicago .. thousands of people showed up in freezing temperature..#RepublicDay2020 #NoToCAA_NRC_NPR #USArejectsCAA pic.twitter.com/Ce9d9grml8
— Proud Indian (@Indian_4Justice) January 26, 2020
न्यूयॉर्क से लेकर शिकागो तक प्रदर्शन
न्यूयॉर्क, शिकागो, ह्यूस्टन, अटलांटा और सैन फ्रांसिस्को, जहां पर भारतीय वाणिज्यिक दूतावास हैं वहां और वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास पर प्रदर्शन किए गए। प्रदर्शनकारी 'भारत माता की जय' और 'हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, आपस में सब भाई-भाई' के नारे भी लगा रहे थे। शिकागो में प्रदर्शनकारियों की संख्या सबसे ज्यादा थी। इसमें इसमें भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद (आईएएमसी) इक्वालिटी लैब्स, ब्लैक लाइव्स मैटर (बीएलएम), ज्यूईश वॉयस फॉर पीस (जेवीपी) और मानव अधिकारों के लिए हिंदू (एचएफएचआर) जैसे कई संगठन प्रदर्शन में खासतौर पर शामिल हैं। वहीं, कुछ जगहों पर खालिस्तान समर्थकों ने भारत विरोधी प्रदर्शन किए। आपको बता दें कि दिसंबर 2019 में आए इस कानून की वजह से देश में भी कई जगह पर सरकार के खिलाफ धरनों का दौर जारी है। लोग सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।