अमेरिका में ग्रीन कार्ड से जुड़े नए बिल सदन में पेश, अगर बन गया कानून तो भारतीयों को होगा सबसे ज्यादा फायदा
वाशिंगटन। अमेरिका में प्रतिनिधि सभा और सीनेट के ताकतवर सांसदों की ओर से ग्रीन कार्ड के कानून से जुड़े दो अहम बिल पेश किए गए हैं। इन दोनों ही बिलों में हर देश के हिसाब से नागरिकता के लिए मिलने वाले ग्रीन कार्ड की अधिकतम सीमा को खत्म करने का प्रस्ताव दिया गया है। प्रस्तावित कानून के पास होने के बाद से अमेरिका में रह रहे हजारों भारतीयों को स्थायी नागरिकता मिल सकेगी। इन बिलों के पास होने के बाद से गूगल और दूसरी कंपनियों को में काम कर रहे प्रोफेशनल्स को बड़े स्तर पर फायदा होगा। बिल को यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की ओर से समर्थन हासिल है। अमेरिका में अभी 140,000 लोगों को हर वर्ष ग्रीन कार्ड जारी किए जाते हैं।
आईटी क्षेत्र को सबसे ज्यादा लाभ
रिपब्लिकन पार्टी के सांसद माइक ली और डेमोक्रेटिक सांसद कमला हैरिस की ओर से बुधवार को फेयरनेस फोर हाई स्किल्ड इमिग्रेंट्स एक्ट पेश किया गया है। अगर इन बिलों को अमेरिकी कांग्रेस की ओर से पास किया जाता है तो फिर यह कानून बन जाएगा। कानून बनने के बाद एच-1बी वीजा पर अमेरिका गए ऐसे तमाम भारतीय प्रोफेशनल्स को स्थायी नागरिकता मिल जाएगी जो पिछले 10 वर्षों से इसका इंतजार कर रहे हैं। एच-1बी वीजा भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के बीच खासा पॉपुलर है। यह एक गैर अप्रवासीय वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कामगारों की भर्ती करने की मंजूरी देता है, खासतौर पर आईटी क्षेत्र के में।
क्या है ग्रीन कार्ड
ग्रीन कार्ड को अमेरिका के आधिकारिक परमानेंट रेजीडेंट कार्ड के तौर पर जाना जाता है। यह कार्ड किसी व्यक्ति को अमेरिका में स्थायी तौर पर रहने और यहां पर काम करने की मंजूरी देता है। अमेरिका में अभी हर वर्ष 140,000 ग्रीन कार्ड जारी किए जाते हैं जो प्रोफेशनल्स के लिए होते हैं जिनमें पहली बार अस्थायी एच-1बी वीजा या एल वीजा पर अमेरिका आने वाले प्रोफेशनल्स भी शामिल हैं। हालांकि मौजूदा नियमों के अनुसार इनमें से किसी भी एक देश के लोगों को सात प्रतिशत से अधिक ग्रीन कार्ड नहीं दिए जा सकते हैं। इस नियम के कारण चीन और भारत जैसे अधिक आबादी वाले देशों के लोगों को दशकों का इंतजार करना पड़ जाता है। हैरिस ने विधेयक पेश करते हुए कहा, 'हम शरणार्थियों का देश हैं और हमारी ताकत हमेशा विविधता और एकता में समाई हुई रही है।' वहीं ली ने कहा, 'अप्रवासी लोगों को उनके देश के आधार पर सजा नहीं देनी चाहिए।'