नेल्सन मंडेला: महात्मा गांधी को आदर्श मानने वाले मंडेला को अमेरिका ने रखा था टेरर वॉच लिस्ट में!
नेल्सन मंडेला, इस नाम ने दुनिया के कई युवाओं को अपनी जिंदगी से प्रभावित किया और आज भी जब वह हमारे बीच नहीं हैं, उनकी जिंदगी हम सबके लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हुई है। मंडेला जो महात्मा गांधी से प्रभावित थे, साउथ अफ्रीका के पहले अश्वते राष्ट्रपति थे।
जोहान्सबर्ग। नेल्सन मंडेला, इस नाम ने दुनिया के कई युवाओं को अपनी जिंदगी से प्रभावित किया और आज भी जब वह हमारे बीच नहीं हैं, उनकी जिंदगी हम सबके लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हुई है। मंडेला जो महात्मा गांधी से प्रभावित थे, साउथ अफ्रीका के पहले अश्वते राष्ट्रपति थे। उन्होंने अश्वेत और समाज के उस वर्ग के लिए लड़ाई लड़ी, जिसे दबाया जाता था। आज उनका 100वां जन्मदिन है और इस मौके पर दुनियाभर के लोग उन्हें याद कर रहे हैं। मंडेला की जिंदगी को या उनकी कही हुई बातों को किसी देश की सीमा में कैद करके नहीं रखा जा सकता है। वह कई सदियों बाद एक ऐसे नेता के तौर पर सामने आए थे जिन्हें लोग फॉलो करना चाहते थे। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मानें तो वह अपनी जिंदगी में मंडेला की कहीं हुई बातों को उतारने की कोशिश हर पल करते रहते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मंडेला को अमेरिका ने आतंकवादियों की लिस्ट में डाला हुआ था। उनकी जिंदगी के साथ इस तरह के कई किस्से जुड़े हुए हैं। आज उनके 100वें जन्मदिन पर आपको उनकी जिंदगी के कुछ इसी तरह के रोचक किस्सों के बारे में बताते हैं।
कौन थे नेल्सल मंडेला
नेल्सन मंडेला का पूरा नाम नेल्सन रोलिह्नआहला मंडेला था और उनका जन्म 18 जुलाई 1918 को हुआ था। मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बनने का उनका सफर काफी मुश्किलों से भरा था। राष्ट्रपति बनने से पहले वहे दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे रंगभेद का विरोध करने वाले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस और इसके आर्म्ड ग्रुप उमखोंतो वे सिजवे के अध्यक्ष भी रहे थे। रंगभेद के खिलाफ संघर्ष की वजह से मंडेला को 27 वर्ष जेल में बिताने पड़े थे। उन्हें रॉबेन द्वीप के जेल में रखा गया था और यहां पर मंडेला कोयला खदान के मजदूर के तौर पर काम करते थे। साल 1990 में श्वेत सरकार से हुए एक समझौते के बाद उन्होंने नए दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया। इसके बाद मंडेला पूरे दक्षिण अफ्रीका के साथ ही साथ पूरी दुनिया में रंगभेद का विरोध करने के प्रतीक बन गये। यूनाइटेड नेशंस ने तो उनके जन्म दिनको नेल्सन मंडेला इंटरेनशनल डे के तौर पर मनाने का भी निर्णय लिया था। पांच दिसंबर 2013 को 95 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था।
कैसे शुरू हुआ संघर्ष
12 वर्ष की उम्र में पिता को खोने वाले मंडेला का राजनीतिक संघर्ष 1941 में जोहान्सबर्ग से शुरू हुआ। यहां पर उनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई। उन दोनों ने राजनीतिक रूप से मंडेला को बहुत प्रभावित किया। मंडेला ने जिंदगी बसर करने के लिए एक लॉ फर्म में क्लर्क की नौकरी कर ली लेकिन धीरे-धीरे राजनीति में सक्रिय होते गए। रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने के उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 1944 में वे अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गये जिसने रंगभेद के विरूद्ध आन्दोलन चला रखा था। इसी वर्ष उन्होंने अपने मित्रों और सहयोगियों के साथ मिल कर अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की। साल 1947 में वे लीग के सचिव चुने गये। 1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा भी चलाया गया लेकिन उन्हें निर्दोष माना गया।
27 वर्ष की जेल भी नहीं कर सकी कमजोर
पांच अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर केसचला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें 27 वर्ष उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। सजा के लिए उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में भेजा गया किन्तु इतनी सजा भी उनके हौसलों को कमजोर नहीं कर सकी। जेल में भी मंडेला ने अश्वेत कैदियों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। जीवन के 27 साल जेल में बिताने के बाद 11 फरवरी 1990 को वह जेल से रिहा हो गए। रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतांत्रित और नए अफ्रीका की नींव रखीं।
फिर बने अफ्रीका के राष्ट्रपति
साल 1994 में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस को 62 प्रतिशत वोट्स मिले और बहुमत के साथ इस पार्टी ने अपनी सरकार बनाई। 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। दक्षिण अफ्रीका के नये संविधान को मई 1996 में संसद की ओर से सहमति मिली जिसके तहत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जांच के लिये कई संस्थाओं की स्थापना की गयी। साल 1997 में मंडेला ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और इसके दो वर्ष बाद यानी याल 1999 में अफ्रीकन कांग्रेस-अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया।
महात्मा गांधी से हुए प्रभावित
नेल्सन मंडेला बहुत हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसा की समर्थक थे। उन्होंने गांधी को अपना प्रेरणा स्त्रोत माना था और उन्हीं के आदर्शों पर चलते हुए हुए अपना संघर्ष आगे बढ़ाया। उन पर महात्मा गांधी का प्रभाव इस हद तक था कि उन्हें साउथ अफ्रीका का राष्ट्रपति और यहां का महात्मा गांधी कहा जाने लगा। भारत और साउथ अफ्रीका के बीच तो मंडेला और महात्मा गांधी की याद में एक क्रिकेट सीरिज तक हो चुकी है। जिस समय मंडेला का निधन हुआ उस समय पूरे देश ने मंडेला के साथ-साथ गांधी को भी याद किया था। दोनों का ही संघर्ष एक जैसा रहा और दोनों के ही आदर्श एक जैसे थे। इसलिए ही आज भी दोनों पूरी दुनिया के आदर्श और प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं।
अमेरिका की टेरर वॉच लिस्ट में था नाम
नेल्सन मंडेला का नाम अमेरिका की टेरर वॉच लिस्ट में भी रहा है और साल 2008 में जब बराक ओबामा अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने, तो उनका नाम इस लिस्ट से हटा दिया गया। उनके साथ अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के कुछ सदस्यों को भी अमेरिका ने इस लिस्ट में डाला हुआ था। ऐसा इसलिए था क्योंकि अमेरिका मानता था कि रंगभेद नीति के खिलाफ मंडेला और अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस की लड़ाई एक आतंकी लड़ाई है।