Stephen Hawking: जिन्होंने अपनी एक किताब से ही विज्ञान के क्षेत्र में इतिहास रच दिया
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नई दिल्ली। जाने माने वैज्ञानिक स्टीफ हॉकिंग का 76 वर्ष की आयु में आज निधन हो गया। स्टीफन हॉकिंग को विश्व विख्यात वैज्ञानिक थे, उन्होंने भौतिक विज्ञान और ब्रम्हांड विज्ञान में काफी बड़ा योगदान दिया है, जिसकी वजह से दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग सिद्धांत को समझाने में अहम भूमिका निभाई थी। वह पिछले कई वर्षों अपनी बीमारी से जूझ रहे थे, उनकी मांसपेशियों का उनके मस्तिष्क से नियंत्रण खत्म हो चुका था, जिसकी वजह से वह हिल-डुल नहीं पाते थे।
इच्छामृत्यु की इच्छा जाहिर की थी
स्टीफन हॉकिंग को दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों में से एक माना जाता है, व्हीलचेयर पर बैठे उनकी तस्वीर हर किसी के जेहन में हमेशा ताजा रहेगी। वह अपने चश्मे में लगे सेंसर को कंप्यूटर से जोड़कर लोगों से बात करते थे। उनके शरीर की सभी मांसपेशियों का मस्तिष्क से नियंत्रण जा चुका था। वह अपनी इस समस्या से कुछ इस कदर परेशान थे कि उन्होंने इच्छामृत्यु की भी इच्छा जताई थी, हालांकि उन्होंने इसपर सिर्फ विचार की बात की थी।
सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब
स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 को इंग्लैंड में हुआ था। उनके पिता का नाम फ्रैंक और मां का नाम इसाबेल हॉकिंग था। उनके परिवार कई तरह की समस्याएं थी, बावजूद इसके उन्होंने अपनी पढ़ाई ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में की और वहां आयुर्विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की। स्टीफन हॉकिंग का जन्म प्रख्या वैज्ञानित गैलीलियो की मृत्यु के ठीक 300 वर्ष बात हुआ था। वह सबसे ज्यादा सुर्खियों में 1988 में आए थे जब उनकी पहली किताब ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम फ्रॉम द बिग बैंग टू ब्लैक होल्स आई थी। इस किताब में उन्होंने कॉस्मोलॉजी पर काफी विस्तार से कई बड़े तथ्यों को सामने रखा था। इस किताब की 1 करोड़ से अधिक प्रतियां बिक गई थीं, इस किताब को दुनियाभर में विज्ञान की सबसे अधिक बिकने वाली किताब के रूप में भी जाना जाता है।
महज 21 वर्ष की आयु में हुए बीमार
महज 21 वर्ष की ही आयु में स्टीफन हॉकिंग एमियोट्रोफिक लैटरल स्क्लेरोसिस सनाम की बीमारी हो गई थी, जिसकी वजह से उनके शरीर के तमाम अंगों ने एक के बाद एक काम करना बंद कर दिया था। यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस बीमारी से पीड़ित लोग अधिकतम 2-5 वर्ष जिंद रहते हैं, लेकिन स्टीफन हॉकिंग ने अपनी इच्छाशक्ति की वजह से ना सिर्फ 76 वर्ष की उम्र तक लड़ा बल्कि विज्ञान के क्षेत्र में खुद के योगदान से दुनिया को चौंका दिया। वह व्हील चेयर के जरिए मूव करते थे, वह दुनिया में पहले ऐसे व्यक्ति थे जोकि इस बीमारी के बावजूद इतने लंबे समय तक जीवित रहे।
जीवन में कभी हार नहीं मानी
शारीरिक रूप से बड़ी चुनौती झेल रहे स्टीफन हॉकिंग ने कभी जीवन में हार नहीं मानी और उन्होने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और लगातार एक के बाद एक कई ऐसे शोध किए जिसका दुनिया लोहा मानती है। वह कंप्यूटर के जरिए दुनियाभर के लोगों से संवाद स्थापित करते थे। स्टीफन हॉकिंग के जीवन से जुड़ी एक फिल्म भी बनी थी जिसका नाम द थियरी ऑफ एवरीथिंग था। यह फिल्म 2014 में रीलीज हुई थी।