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यूरोप के थिंक‍ टैंक ने जम्‍मू कश्‍मीर पर आई रिपोर्ट को बताया पक्षपाती, दर्ज कराया विरोध

एम्‍सटर्डम। यूरोप के एक थिंक टैंक ने हाल ही में यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स कमीशन की ओर से पाकिस्‍तान केंद्रित 49 पेज की उस रिपोर्ट पर कड़ा विरोध जताया गया है जो जम्‍मू कश्‍मीर पर आधारित है और जिसे ऑफिस ऑफ द यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्‍नर फॉर ह्यूमन राइट्स (ओएचसीएचआर) की ओक र से तैयार किया गया है।

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एम्‍सटर्डम। यूरोप के एक थिंक टैंक ने हाल ही में यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स कमीशन की ओर से पाकिस्‍तान केंद्रित 49 पेज की उस रिपोर्ट पर कड़ा विरोध जताया गया है जो जम्‍मू कश्‍मीर पर आधारित है और जिसे ऑफिस ऑफ द यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्‍नर फॉर ह्यूमन राइट्स (ओएचसीएचआर) की ओक र से तैयार किया गया है। नीदरलैंड के थिंक‍ टैंक यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्‍टडीज (ईएफएसएएस) की ओर से कहा गया है कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से एकतरफा रिपोर्ट है।

कमिश्‍नर अल हुसैन को बताया पक्षपाती व्‍यक्ति

कमिश्‍नर अल हुसैन को बताया पक्षपाती व्‍यक्ति

इस रिपोर्ट को यूएनएचआरसी के कमिश्‍नर जॉर्डन के जैद राद अल हुसैन की ओर से तैयार किया गया है। इएफएसएएस की ओर से कहा गया है कि हुसैन की ओर से जम्‍मू कश्‍मीर पर आई यह पहली रिपोर्ट है और इस रिपोर्ट में पता लगता है कि इसे पूरी तरह से पाकिस्‍तान को ध्‍यान में रखकर तैयार किया गया है। थिंक टैंक ने अल हुसैन को पक्षपाती होने और भारत की ओर से मानवाधिकार उल्‍लंघन का आरोप लगाने वाला व्‍यक्ति माना है। थिंक टैंक ने इस बात पर भी ध्‍यान दिया है कि जम्‍मू कश्‍मीर में सीमा के दूसरी तरफ से आतंकवाद को पनपाया जा रहा है जिसे पाकिस्‍तान में शह मिल रही है।

रिपोर्ट में कई तथ्‍यात्‍मक गलतियां

रिपोर्ट में कई तथ्‍यात्‍मक गलतियां

ईएफएसएएस ने कहा है कि ओएचसीएचआर की रिपोर्ट भारतीय राज्‍य जम्‍मू कश्‍मीर में जुलाई 2016 से अप्रैल 2018 के बीच के हालातों को बयां करती है। साथ ही इसमें पीओके और गिलगित बाल्‍टीस्‍तान में होने वाले मानवाधिकार उल्‍लंघन पर सिर्फ सामान्‍यतौर पर चिंता जताई गई है। थिंक टैंक के मुताबिक रिपोर्ट में गंभीर तथ्‍यात्‍मक और विश्‍लेषात्‍मक गलतियां हैं। थिंक टैंक ने रिपोर्ट की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए हैं। थिंक टैंक के मुताबिक सिर्फ दो वर्ष की समयावधि का ही रिपोर्ट में जिक्र है, साथ ही यूएन की शब्‍दावली से अलग इसमें शब्‍दों का प्रयोग किया गया है।

कश्‍मीर में आतंकवाद का दोषी पाक

कश्‍मीर में आतंकवाद का दोषी पाक

थिंक टैंक के मुताबिक अल हुसैन को इस बात का ध्‍यान रखना चाहिए कि जम्‍मू कश्‍मीर में करीब 30 वर्ष पहले क्‍या हुआ था। उन्‍हें पता होना चाहिए कि 80 का दशक जब खत्‍म हो रहा था तो कैसे पाकिस्‍तान ने यहां पर कई आतंकी संगठनों को तैयार किय, उन्‍हें फंडिंग दी और साथ ही कई हजारों आतंकियों को राज्‍य में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए तैयार किया। रिपोर्ट में इस तथ्‍य को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है कि सीमा पार से जारी आतंकवाद की वजह से 14,000 नागरिकों और करीब 5,000 सैनिकों की जानें गई हैं।

आतंकी संगठनों का गलत जिक्र

आतंकी संगठनों का गलत जिक्र

अल हुसैन ने 38 बार आतंकी संगठनों के लिए 'आर्म्‍ड ग्रुप' शब्‍द का प्रयोग किया है जबकि दुनिया भर में उन्‍हें आतंकी संगठन माना जाता है जैसे लश्‍कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन और जैश-ए-मोहम्‍मद और इन संगठनों को यूएन सिक्‍योरिटी काउंसिल की तरफ से भी आतंकी संगठन मानते हुए बैन कर दिया गया है। इस रिपोर्ट को तैयार करने में जो तेजी, वह रिपोर्ट के लेखक के पक्षपाती रवैये को भी दिखाती है।

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English summary
A think tank in Europe has raised strong objections to a 49-page Pakistan-centric report on Jammu and Kashmir.
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