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Assembly Election Results 2018: फीकी हो गई 'ब्रांड मोदी' की चमक, बढ़ रहा पीएम पर खतरा-न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स

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न्‍यूयॉर्क। लोकसभा चुनावों से पहले राजस्‍थान, छत्‍तीसगढ़ और मध्‍य प्रदेश के विधानसभा चुनावों के नतीजे फाइनल से पहले का सेमीफाइनल है। केंद्र की सत्‍ताधारी बीजेपी इस सेमीफाइनल को हार चुकी है। अमेरिकी अखबार टाइम्‍स ने इस हार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के लिए खतरे की घंटी करार दिया है। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने लिखा है, 'मोदी की पार्टी बीजेपी को भारत के 'सेमीफाइनल' में बुरी तरह से हार दिया गया है। इसके साथ ही अखबार ने सवाल के अंदाज में तंज कसते हुए लिखा है, 'क्‍या भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खतरे में हैं?' यह भी पढ़ें-एक बार फिर 11 दिसंबर साबित हुआ राहुल गांधी के लिए सुपर लकी

सत्‍ता पर मंडराया खतरा

सत्‍ता पर मंडराया खतरा

अखबार ने पीएम मोदी की कही गई '56 इंच वाली छाती' वाली बात को भी व्‍यंग्‍य के लहजे में उठाया है। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स के बुधवार को छपे आर्टिकल में लिखा है सफेद दाढ़ी और जोशीले भाषणों के साथ पीएम मोदी ने चार वर्ष पहले देश की बागडोर संभाली थी। उन्‍होंने राजनीति के पॉपुलिस्‍ट ब्रांड को आगे बढ़ाया जिसमें हिंदू राष्‍ट्रवाद को लचीली अर्थव्‍यवस्‍था के साथ मिलाया गया था। लेकिन मंगलवार को आए चुनावी नतीजे बीजेपी के लिए वज्रपात से कम नहीं हैं। पार्टी को हाल के वर्षों में सबसे खराब हार का मुंह देखना पड़ा है। अब हर कोई इस बात की आशंका जता रहा है कि शायद अगले वर्ष होने वाले संसदीय चुनावों से पहले पीएम मोदी की सत्‍ता खतरे में है और हो सकता है कि वह लोकसभा चुनावों में हार जाए।

अब अजेय नहीं रहे पीएम

अब अजेय नहीं रहे पीएम

अखबार के मुताबिक अभी ज्‍यादा वक्‍त नहीं बीता है जब पीएम मोदी अजेय से लगते थे लेकिन अब वह खतरे में हैं क्‍योंकि अब मोदी नामक यह ब्रांड अपनी चमक खो रहा है। इसी समय विपक्षी पार्टी कांग्रेस जिसे एक पल को अचेतन मान लिया था, उसमें अचानक से नई जिंदगी मिल गई है। भारतीय मतदाता जिन्‍होंने एक समय पर एक पार्टी या फिर एक राजनेता को पूरे प्‍यार से गले लगाया था अब उसी उत्‍साह से उसके खिलाफ वोट कर रहे हैं। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने अपने आर्टिकल में इस बात का जिक्र किया है कि पीएम मोदी ने किसानों को नजरअंदाज किया। वह उन वादों को भी पूरा करने में नाकामयाब रहे जो उनकी पार्टी ने किए थे जिसमें हर माह 10 लाख नौकरियां पैदा करना था और इस वादे को अर्थशास्त्रियों ने भी असंभव बताया था। इसके अलावा अखबार के मुताबिक देश में रहन-सहन का स्‍तर महंगा होता जा रहा है।

लोकसभा चुनावों में क्या जुटा पाएंगे बहुमत

लोकसभा चुनावों में क्या जुटा पाएंगे बहुमत

बीजेपी हिंदु चरमपंथियों पर नरम रवैया अपना रही है खासतौर पर जिस तरह से भीड़ लोगों को गोकशी के नाम पर मार रही है और पार्टी को इसकी वजह से आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। अखबार ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि अगर अगला चुनाव पूरी तरह से लो‍कप्रियता के आधार पर लड़ा जाए और लड़ाई पीएम मोदी और राहुल गांधी के बीच होगी, मोदी को हार का सामना करना पड़ेगा। लेकिन भारत में चुनाव उस तरह से नहीं होते हैं। देश का संसदीय तंत्र और स्‍थानीय मुद्दे चुनावों को खासा प्रभावित करते हैं। राजनीतिक गठबंधन काफी अहम होता है और यही पीएम मोदी के लिए बड़ी समस्‍या हो सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि पीएम मोदी को अगले वर्ष कई सीटों से हाथ धोना पड़ सकता है। सवाल यही है कि क्‍या वह सरकार बनाने के लायक बहुमत हासिल कर पाएंगे।

पीएम मोदी भी नतीजों से परेशान

पीएम मोदी भी नतीजों से परेशान

अखबार की मानें तो भारत की आर्थिक दर सात प्रतिशत से ज्‍यादा है लेकिन मोदी भारत को अगला चीन नहीं बना सके। लाल फीताशाही आज भी भारत में मौजूद है और साथ ही देश के कई हिस्‍सों में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्‍टर जैसे टेक्‍सटाइल को घाटे का सामना करना पड़ा है। किसान संकट में हैं, उन्‍हें बिजली और खाद की कीमतों में इजाफे का सामना करना पड़ रहा है लेकिन अपने उत्‍पाद के लिए किसानों को बहुत कम कीमत मिल रही है। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने बीजेपी की नेशनल एग्जिक्‍यूटिव कमेटी के सदस्‍य शेषाद्रीचारी के हवाले से लिखा है, 'नतीजों से पीएम मोदी व्‍यक्तिगत रूप से खासे परेशान होंगे।'

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English summary
Prime Minister Narendra Modi is in trouble writes New York Times after poor performance of BJP in Rajasthan, Chhattisgarh and Madhya Pradesh.
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