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राष्ट्रपति ट्रंप ने जर्मनी को दिया बड़ा झटका, वहां तैनात 12 हजार सैनिकों को वापस बुलाया

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नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जून में दिए संकेतों पर अमल करते हुए बुधवार को जर्मनी में तैनात 35000 से अधिक सैनिकों की संख्या में एक तिहाई कटौती करते हुए कुल 12,000 सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया हैं। अमेरिका ने यह कदम जर्मनी द्वारा लगातार नाटो सैन्य बजट के लिए निर्धारित जीडीपी का 2 फीसदी खर्च करने में नाकाम रहने पर लिया है। अमेरिका ने यह फैसला ट्रंप की जर्मनी से सैनिकों को वापस बुलाने की इच्छा को देखते हुए लिया है।

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6,400 सैनिकों को वापस लाएगा और 5,600 सैनिकों को यूरोप भेजेगा

6,400 सैनिकों को वापस लाएगा और 5,600 सैनिकों को यूरोप भेजेगा

दरअसल, अमेरिका जर्मनी से अपने करीब 6,400 सैनिकों को वापस लाएगा और करीब 5,600 सैनिकों को यूरोप के किसी अन्य देशों में भेजेगा। माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में सैनिक इटली जाएंगे और कुछ जर्मनी से बेल्जियम में अमेरिकी यूरोपीय कमान मुख्यालय और विशेष अभियान कमान यूरोप जाएंगे। इस योजना पर अरबों डॉलर का खर्च आएगा और इसे पूरा होने में कई साल लगेंगे।

 कई सांसदों ने ट्रंप के जर्मनी से सैनिकों की संख्या में कटौती की निंदा की

कई सांसदों ने ट्रंप के जर्मनी से सैनिकों की संख्या में कटौती की निंदा की

हालांकि इस योजना का भविष्य अभी अनिश्चित है, क्योंकि यह कांग्रेस के समर्थन और फंडिंग पर निर्भर करता है तथा कई सदस्यों ने इस पर विरोध जताया है। सांसदों ने सैनिकों की संख्या में कटौती की निंदा की है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका जर्मनी से सैनिकों को कब हटाया जाएगा, क्योंकि इस बारे में कोई ब्यौरा नहीं दिया गया है।

व्हाइट हाउस में ट्रंप ने कहा, हम नहीं चाहते कि कोई हमें और ज्यादा चूसे

व्हाइट हाउस में ट्रंप ने कहा, हम नहीं चाहते कि कोई हमें और ज्यादा चूसे

सैन्य बल में कटौती का फैसला लेने के बाद व्हाइट हाउस में ट्रंप ने पत्रकारों कहा, हम नहीं चाहते कि कोई हमें और ज्यादा चूसे। जर्मनी से हम इसलिए सैनिक बुला रहे हैं, क्योंकि वह उनके खर्च का धन नहीं देता। यह बहुत सामान्य सी बात है। वहीं, रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने इस योजना का बचाव करते हुए कहा कि वैसे तो यह फैसला ट्रंप के आदेश के बाद लिया गया है, लेकिन यह रूस को रोकने, यूरोपीय सहयोगियों को पुन: आश्वस्त करने और सैनिकों को काला सागर तथा बाल्टिक क्षेत्रों में स्थानांतरित करने के वृहद सामरिक लक्ष्यों को भी पूरा करता है।

अगर जर्मनी बिल देना शुरू कर दें तो फैसले पर विचार कर सकते हैं: ट्रंप

अगर जर्मनी बिल देना शुरू कर दें तो फैसले पर विचार कर सकते हैं: ट्रंप

हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बाद में कहा कि अगर जर्मनी अपने बिल देना शुरू कर दें तो वे सैनिकों को वहां से वापस बुलाने के फैसले पर फिर से विचार कर सकते हैं। इस बीच नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने अमेरिका के कदम का स्वागत किया और कहा कि वाशिंगटन ने हाल ही में इस मामले में सहयोगियों से विचार-विमर्श किया था।

सैनिकों को हटाने के अमेरिकी फैसले की जर्मनी ने आलोचना की

सैनिकों को हटाने के अमेरिकी फैसले की जर्मनी ने आलोचना की

नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) के सदस्य के रूप में जर्मनी अमेरिका का नजदीकी सैन्य सहयोगी है। जर्मनी ने नाटो के बजट में पर्याप्त हिस्सा न देकर यह कहा कि अमेरिका इसके बदले द्विपक्षीय व्यापार में फायदा उठा लेता है, इसलिए जर्मनी उस नुकसान की भरपाई नाटो के लिए कम धन देकर करता है। बीते दिनों चांसलर मर्केल के सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव ब्लॉक के एक सदस्य पीटर बेयर ने देश से हजारों सैनिकों को हटाने के अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले की आलोचना की थी। उन्‍होंने कहा था कि यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

नाटो देशों ने 2024 तक GDP का 2 % रक्षा पर खर्च करने का संकल्प लिया है

नाटो देशों ने 2024 तक GDP का 2 % रक्षा पर खर्च करने का संकल्प लिया है

उधर, जर्मनी की चांसलर मर्केल ने जर्मनी के रक्षा खर्च का बचाव करते हुए कहा कि यह बढ़ा है और देश दो प्रतिशत के मानदंड को पूरा करने की ओर काम करता रहेगा। नाटो देशों ने 2024 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद का दो फीसदी रक्षा पर खर्च करने का संकल्प लिया है और जर्मनी इस लक्ष्य से अब भी पीछे है।

अमेरिका जर्मनी में अपने सैनिकों की तैनाती पर बहुत ज्यादा खर्च करता है

अमेरिका जर्मनी में अपने सैनिकों की तैनाती पर बहुत ज्यादा खर्च करता है

अमेरिका जर्मनी में अपने सैनिकों की तैनाती पर बहुत ज्यादा खर्च करता है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का अनुमान है कि 2020 में उसका करीब 7 अरब यूरो का खर्च आएगा, पिछले साल जर्मनी ने अमेरिकी सैनिकों की तैनाती के लिए 13.2 करोड़ यूरो का भुगतान किया था, जबकि अमेरिका का खर्च इसका 55 गुना है। दुनिया भर में और कोई अमेरिकी सैनिक अड्डा नहीं है, जिस पर अमेरिकी करदाताओं को इससे ज्यादा खर्च करना पड़ता हो, लेकिन अमेरिकी सेना को इसका किसी भी दूसरे अड्डे से ज्यादा फायदा भी होता है।

राष्ट्रपति ट्रंप का आरोप है कि जर्मनी प्रतिरक्षा पर बहुत कम खर्च करता है

राष्ट्रपति ट्रंप का आरोप है कि जर्मनी प्रतिरक्षा पर बहुत कम खर्च करता है

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का आरोप है कि जर्मनी प्रतिरक्षा पर बहुत कम खर्च करता है। नाटो ने कुछ साल पहले सदस्य देशों द्वारा रक्षा बजट पर सकल घरेलू उत्पाद का 2 फीसदी खर्च करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन जर्मनी अभी उससे बहुत दूर है। हालांकि पिछले सालों में जर्मनी ने अपना रक्षा बजट लगातार बढ़ाया है, लेकिन 1.38 फीसदी के साथ वह 2 फीसदी के लक्ष्य से काफी दूर है। अमेरिका अपने रक्षा बजट पर 3.4 फीसदी खर्च करता है। ट्रंप का आरोप है कि अमेरिका जर्मनी में अपने सैनिकों की तैनाती पर भारी खर्च करता है जबकि जर्मनी उसका आर्थिक फायदा उठाता है।

ट्रंप ने जून में जर्मनी से 9,500 सैनिकों को हटाने वाली योजना को मंजूरी दी

ट्रंप ने जून में जर्मनी से 9,500 सैनिकों को हटाने वाली योजना को मंजूरी दी

राष्ट्रपति ट्रंप ने जून में जर्मनी से 9,500 अमेरिकी सैनिकों को हटाने वाली योजना को मंजूरी दे दी थी। अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने राष्ट्रपति के सामने यह योजना पेश की थी। पेंटागन के प्रवक्ता जोनाथन हॉफमैन ने कहा है कि इस योजना से "रूस को लेकर प्रतिरोध" बढ़ेगा, नाटो को "मजबूती मिलेगी। ट्रंप जर्मनी द्वारा रूस से ऊर्जा खरीदने के फैसले पर भी नाराजगी जताई थी।

वर्तमान में जर्मनी में 35,000 से अधिक अमेरिकी सैनिक तैनात हैं

वर्तमान में जर्मनी में 35,000 से अधिक अमेरिकी सैनिक तैनात हैं

अभी भी अमेरिका के करीब 35,000 सैनिक जर्मनी में तैनात हैं। उनकी तैनाती पर अरबों का खर्च होता है। मुख्य भार अमेरिका उठाता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि जर्मनी का उस पर कोई खर्च नहीं आता है। जर्मनी ने पिछले 10 सालों में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती पर करीब 1 अरब यूरो खर्च किया है। ये बात जर्मन वित्त मंत्रालय ने लेफ्ट पार्टी डी लिंके की सांसद ब्रिगिटे फ्राइहोल्ड के सवाल के जवाब में बताई।

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English summary
US President Donald Trump has decided to call back a total of 12,000 troops, following a signal in June that cut a third of the more than 35,000 troops stationed in Germany on Wednesday. The US has taken this step after Germany failed to spend 2% of its GDP for a sustained NATO military budget. The US has taken this decision in view of Trump's desire to withdraw troops from Germany.
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