17 साल की उम्र में राष्ट्रपति का किया फोन हैक, स्कूल ड्रॉपआउट हैकर अब है दुनिया का बड़ा बिजनेसमैन
नई दिल्ली। स्कूल के दिनों में ही कम्प्यूटर में गहरी दिलचस्पी। कम्प्यूटर और इंटरनेट में ऐसा मन रमा कि मूल पढ़ाई छूट गयी। फिर खेल-खेल में रोमांच के लिए शुरू कर दी हैकिंग। 17 साल की उमर में किसी का फोन हैक करना, किसी वेबसाइट को हैक करना उसके बाएं हाथ का खेल हो गया। एक दिन एक सरकारी एजेंसी ने उसे बुलाया और अपने ही राष्ट्रपति का फोन हैक करने का काम सौंप दिया। वह कोई जासूस नहीं था लेकिन उसने जोखिम का काम किया। वह राष्ट्रपति के फोन को हैक कर जो भी सूचनाएं प्राप्त करता, सरकारी एजेंसी को दे देता। वह स्कूल ड्राप आउट था लेकिन टेक्नोलॉजी का मास्टर था। बाद में उसने गलत शोहबत से तौबा कर ली। अपने पैशन को रोजगार का जरिया बनाया। आज यह शख्स एक बड़े अखबार का मालिक है। टेलीकॉम बिजनेस की नामचीन हस्ती है। दौलत और शोहरत अब इसके कदम चूम रही है।
हैक किया था राष्ट्रपति का फोन
बैड ब्वॉय से गुड ब्वॉय बने इस शख्स का नाम है जेवियर नील। जेवियर नील फ्रांस के प्रमुख अखबार ‘ली मोंडे' के सहमालिक हैं। टेलीकॉम इंडस्ट्री के सफल उद्यमी हैं। वे फ्रांस के 21 वें सबसे अमीर आदमी हैं। जेवियर नील ने फ्रांस के पार्लियामेंट्री चैनल से बातचीत में इस बात का खुलासा किया है कि वे जब टीनएजर थे तब 1986 में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रास्कवां मित्तरां का मोबाइल फोन हैक किया था। उन्होंने कहा कि तब यह काम रोमांचक खेल समझ कर किया था। जेवियर ने कहा कि उस समय उनकी उम्र 17 साल थी। कम्प्यूटर से खेलना उनकी लत थी। इसके चलते उन्होंने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। उस समय टेलीकम्यूनिकेशन में कम्प्यूटर तकनीक का इस्तेमाल नया-नया था। ऐसे में किसी सिस्टम को हैक करना बहुत रोमांचकारी लगता था। 1985 के आसपास फ्रांस के डायरेक्टोरेट ऑफ टेरिटोरियल सर्विलांस ने उन्हें पार्ट टाइम काम के लिए बुलाया। उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति मित्तरां का मोबाइल फोन हैक कर जानकारी देने को कहा गया। लेकिन बाद में राष्ट्रपति मित्तरां की सुरक्षा एजेंसी ने फोन हैकिंग को पकड़ लिया। इस घटना को फ्रांस का वाटरगेट कांड कहा जाता है। उस समय फ्रांस के करीब एक सौ प्रमुख लोगों के मोबाइल फौन हैक किये गये थे। नील के ग्रुप में कई हैकर थे।
हैकर बना बिजनेसमैन
स्कूल के दिनों में नील को उनके पिता ने जन्मदिन पर एक कम्प्यूटर गिफ्ट किया था। तब यह बिल्कुल नयी बात थी। इस तोहफे ने नील की जिंदगी बदल दी थी। उन्होंने स्वाध्याय से ही इसमें महारत हासिल कर ली थी। राष्ट्रपति मित्तरां का फोन हैक करने के बाद नील का दयरा और बढ़ गया। इसके बाद नील और उनके हैकर दोस्तों ने प्रमुख कार निर्माता कंपनी रेनो (Renault) के लिए काम किया। नील ने अपनी प्रतिभा के बाल पर रेनो को बताया कि आस्ट्रेलिया का कोई व्यक्ति उनकी कंपनी का साइट हैक कर कई टुकड़ों में डाटा डाउनलोड कर रहा है। इसके बाद कंपनी अपनी कार डिजाइन को लेकर सतर्क हो गयी। लेकिन जेवियर नील का मन जल्द ही हैकिंग से उब गया। 20 साल की उम्र में उन्होंने हैकिंग की दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन जो नया काम शुरू किया वह भी बहुत अच्छा नहीं था। उन्होंने इंटरनेट पर इरोटिक और एडल्ट साइट शुरू की। इस धंधे में पैसा कमाया तो उन्होंने रास्ता बदल लिया। 1995 में फ्रांस की पहली इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी ‘वर्ल्ड नेट' में पूंजी निवेश किया। इसके बाद वे व्यवसाय में लगातार आगे बढ़ते रहे। आज जेवियर नील 8 बिलियन यूरो (6 खरब 62 अरब 82 करोड़ रुपये से भी अधिक) के मालिक हैं और फ्रांस की चर्चित हस्तियों में शामिल हैं। स्कूल का एक ड्राप आउट लड़का आज कामयाबी की बुलंदियों पर खड़ा है।
फ्रांस में राष्ट्रपति की जासूसी
1986 में राष्ट्रपति मित्तरां के मोबाइल फोन को हैक करने से जो जानकारी मिली, उसका किस रूप में इस्तेमाल हुआ ? जेवियर नील ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया है। लेकिन इतना तो सच है कि फ्रांस के राष्ट्रपतियों की जासूसी होती रही है। 2015 में विकिलिक्स और फ्रांस के अखबार लिबरेशन ने एक बड़ा खुलासा किया था। इस खुलासे के मुताबिक अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी ने फ्रांस के तीन राष्ट्रपतियों ज्याक शिराक, निकोलस सरकोजी और फ्रांसवां ओलांद की जासूसी करायी थी। अमेरिका अपने मित्र देशों के शासनाध्यक्षों की बात सुनने के लिए डिजिटल जासूसी तकनीक का सहारा लेता रहा है। इस सनसनीखेज जानकारी के बाद उस समय फ्रांस और अमेरिका में ठन गयी थी। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा को इस मामले में सफाई देनी पड़ी थी और फ्रांस से सुलह के लिए मजबूर होना पड़ा था।
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