इस साउथ अमेरिकन जानवर में मिली कोरोना वायरस को बेअसर करने की शक्ति
नई दिल्ली- लामा नाम के जानवर के एंटीबॉडी में कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता का पता चला है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसके एंटीबॉडी जिसे इसके छोटे आकार की वजह से नैनोबॉडीज कहा जा रहा है- उससे इतनी क्षमता हासिल की जा सकती है कि कोविड-19 के गंभीर मरीजों का भी इलाज किया जा सकता है। बता दें कि लामा मुख्य रूप से एक दक्षिण अमेरिकी देशों में पाया जाने वाला जानवर है, जिसकी गर्दन लंबी और लंबे बाल होते हैं और उस इलाके में इसका इस्तेमाल मीट, दूध, ऊन के साथ-साथ भारी सामान ढोने के लिए किया जाता है। लेकिन, अगर अब वह कोरोना वायरस से इंसान को छुटकारा दिलाने में भी सफल हो जाता है तो यह बहुत ही बड़ी बात होगी।
लामा में मिली कोरोना को कंट्रोल करने की शक्ति
वैज्ञानिकों का कहना है कि शरीर पर जब वायरस का हमला होता है तो उसका इम्यून सिस्टम एंटीबॉडीज पैदा करता है; और लामा, ऊंट और भेड़ की तरह के एक जानवर alpacas प्राकृतिक तौर पर बड़ी मात्रा में छोटे एंटीबॉडीज पैदा करते हैं, जिनकी संरचना बहुत ही सामान्य होती और प्रयोगशालाओं में उन्हें नैनोबॉडीज में परिवर्तित किया जा सकता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, रोजालिंड फ्रैंकलिन इंस्टीट्यूट, डायमंड लाइट सोर्स और इंग्लैंड के पब्लिक हेल्थ के वैज्ञानिकों की टीम ने लामाओं के खून की कोशिकाओं से एंटीबॉडीज निकालकर यह नया नैनौबडीज तैयार किया है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि यह नैनोबॉडीज SARS-CoV-2 वायरस (नोवल कोरोना वायरस) के स्पाइक प्रोटीन को कसकर बांध देता है, जिससे यह इंसान की कोशिकाओं में नहीं घुस पाता, जिससे इंफेक्शन रुक जाता है।
गंभीर रोगियों पर भी हो सकता है प्रभावी
रोजालिंड फ्रैंकलिन इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्ट्रक्चरल बायोलॉजी के प्रोफेसर जेम्स नैस्मिथ ने कहा है, 'इन नैनोबॉडीज में यह क्षमता है, जिसका इस्तेमाल उसी तरह से स्वास्थ्य के लिए लाभकारी सीरम की तरह किया जा सकता है, जो कि इस वायरस से बीमार रोगियों में इसके प्रकोप को प्रभावी तौर पर रोक सकता है।.......हमने एक नैनोबॉडीज को इंसान के एंटीबॉडी के साथ भी मिला लिया और पाया कि यह मेल अकेले से कहीं ज्यादा ताकतवर था। यह मेल खासकर इसलिए उपयोगी है, क्योंकि निकल भागने के लिए वायरस कई चीजों को बदल देता है- लेकिन इससे वायरस का वैसा करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।' ये रिसर्च नेचर स्ट्रक्चरल एंड मोलेक्युलर बायोलॉजी में प्रकाशित हुई है। यह रिसर्च अब तक एंटीबॉडी पर हुए काम से पूरी तरह से अलग है, जिसमें उस नैनोबॉडीज का पता लगाया गया है, जो कोरोना के क्राउन या स्पाइक को ही अपनी गिरफ्त में ले लेता है।
कोरोना के क्राउन को बांध देता है नैनोबॉडीज
शोधकर्ताओं का कहना है कि नैनोबॉडीज डायग्नोसिस करने में भी बहुत प्रभावी हो सकता है। नैनोबॉडी प्रोग्राम के प्रमुख और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रे ओएंस के मुताबिक शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि वो इस खोज को प्री-क्लिनिकल ट्रायल के लिए आगे बढ़ा सकते हैं। इस कार्यक्रम से जुड़े प्रोफेसर डेविड स्टुअर्ट ने कहा, 'इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोपी स्ट्रक्चर से हमें पता चला है कि तीन नैनोबॉडीज वायरस के स्पाइक को बांध सकता है, जिससे कि उसका प्रोटीन पूरी तरह से ढक जाता है, जिसका इस्तेमाल वायरस इंसानी कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता है।' शोधकर्ताओं ने पहले प्रयोगशाला के लाइब्रेरी में मौजूद लामा के एंटीबॉडीज से रिसर्च की शुरुआत कई और अब फ्रैंकलिन लामा के एंटीबॉडीज की स्क्रीनिंग कर रहे हैं।
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