धमाकों के बीच इराक के ऐतिहासिक दौरे पर पोप फ्रांसिस, इस्लामिक नेताओं से करेंगे शांति पर बातचीत
ईसाई समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का ऐतिहासिक इराक दौरा शुरू हो चुका है। इराक दौरे में पोप फ्रांसिस मुस्लिम धर्मगुरुओं से मिलकर शांति की अपील करेंगे।
बगदाद: एक तरफ कोरोना वायरस का खतरा तो दूसरी तरफ हर दूसरे दिन कहीं ना कहीं रॉकेट हमले...इन सबके बीच ईसाई धर्म के सर्वोच्च गुरु पोप फ्रांसिस इराक दौरे पर हैं। कोरोना संक्रमण फैलने के बाद पहली बार ईसाई धर्म गुरु पोप फ्रांसिस किसी देश के दौरे पर निकले हैं। लेकिन पोप फ्रांसिस के दौरे के साथ सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सुरक्षा में खतरे को देखते हुए भी पोप फ्रांसिस इराक दौरे पर क्यों जा रहे हैं।
सुरक्षा का खतरा फिर भी इराक की यात्रा
इराक यात्रा के दौरान पोप फ्रांसिस कई कार्यक्रम में शिरकत करने वाले हैं। इराक में उनकी मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि सम्मानित शिया धर्मगुरुओं से उनकी मुलाकात होगी। इसके साथ ही पोप फ्रांसिस मोसूल में आयोजित प्रार्थना सभा में भी वो शिरकत करेंगे। साथ ही पोप फ्रांसिस एक स्टेडियम में जनसभा को भी संबोधित करेंगे। इस बीच पोप फ्रांसिस के इराक यात्रा को लेकर चिंता जताई जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि इराक एक बार फिर से अशांति के चौराहे पर खड़ा है। पिछले एक महीने के दौरान अमेरिकी एयरबेस पर दो हमले हो चुके हैं जिनमें एक अमेरिकन कॉन्ट्रेक्टर की मौत हुई थी। इसके साथ ही इराक में कोरोना वायरस का खतरा भी है। इराक के कई पादरियों ने पोप फ्रांसिस की इस यात्रा को लेकर कहा है कि उन्हें इस वक्त इराक का दौरान नहीं करना चाहिए था।
पोप फ्रांसिस क्यों कर रहे हैं इराक यात्रा
बीबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस उन ईसाइयों से मुलाकात कर सकते हैं जो धार्मिक आधार पर सताए गये हैं। वहीं कई धार्मिक और पॉलिटिकल नेताओं से भी पोप फ्रांसिस मुलाकात करेंगे। जिसमें वो पूरी दुनिया के लिए शांति का आह्वान कर सकते हैं। इराक के लोगों के लिए जारी किए गये वीडियो संदेश में उन्होंने कहा है कि वो एक तीर्थयात्री के तौर पर इराक का यात्रा कर रहे हैं और आतंकवाद और वर्षों की जंग के बाद सुलह और खुदा से क्षमा की खातिर आ रहा हूं। पोप फ्रांसिस के साथ 75 जर्नलिस्ट भी इराक की यात्रा पर आ रहे हैं।
इराक में साल 2003 में करीब 15 लाख से ज्यादा ईसाई समुदाय के लोग रहते थे मगर धीरे धीरे उनकी संख्या कम होती चली गई। इस वक्त इराक में महज 3 लाख ईसाई ही रहते हैं। वहीं, इराक में बड़े पैमाने पर चर्च भी ध्वस्त किए गये है। रिपोर्ट के मुताबिक इराक में 58 से ज्यादा चर्च को इस्लामिक कट्टरपंथियों ने गिरा दिया, वहीं हजार से ज्यादा ईशाइयों का इराक में कत्ल कर दिया गया। अलकायदा आतंकियों ने बड़े पैमाने पर इराक में चर्चों को गिराए तो कई पादरियों की अपहरण कर उनकी हत्या तक कर दी। ऐसे में माना जा रहा है कि सताए गये ईशाइयों के जख्म पर पोप फ्रांसिस मरहम रखने का काम करेंगे।