ऑफ ड्यूटी पुलिस अफसर थे अमेरिकी संसद पर हुए हमले में शामिल, कई अधिकारियों का इस्तीफा
Capitol Hill Riot: वाशिंगटन: 6 जनवरी को अमेरिकी इतिहास के लिए काले दिन के तौर पर याद रखा जाएगा। जब अमेरिकी लोकतंत्र को युद्ध मैदान में बदल दिया गया था। डोनल्ड ट्रंप के हजारों समर्थकों ने कैपिटल हिल पर धावा बोल कर अमेरिकी संविधान को बंधक बनाने की कोशिश कर डाली थी। अमेरिकी संसद पर हुए इस हमले के बाद अब सुरक्षा एजेंसियां दंगाईयों पर नकेल कसने के लिए लगातार तफ्तीश कर रही है। जांच के दौरान खुलासा हुआ है कि अमेरिकी संसद हमले में वो पुलिसवाले भी शामिल थे, जो उस दौरान छुट्टी पर चल रहे थे। अब अमेरिका में पुलिस महकमा अपने ही उन पुलिस अधिकारियों को दबोचने की कोशिश में जुट गई है, जिन्होंने अपने शपथ को दरकिनार किया और लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश की।

अब तक 13 ऐसे पुलिसवालों की शिनाख्त की गई है, जो दंगाईयों की भीड़ में शामिल थे। आशंका जताई जा रही है कि आगे की जांच में अभी कई और पुलिसवालों के नाम का खुलासा हो सकता है। अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियां दंगे की वीडियो फूटेज, तस्वीरों और वहां मौजूद अधिकारियों के जरिए दंगाईयों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। FBI के अधिकारी विद्रोह करने वाले अपने ही डिपार्टमेंट के उन अधिकारियों की जांच कर रहे हैं, उन्हें सजा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्होंने देश के खिलाफ विद्रोह की आग को हवा दी थी।
ह्यूस्टन पुलिस चीफ ने 18 साल के एक पुलिस जवान का इस्तीफा मंजूर करते हुए कहा कि जिन पुलिसवालों ने अपनी सीमा रेखा का उल्लंघन किया है उन्हें किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। 18 साल का इस पुलिस जवान ने ट्रंप के समर्थन में निकली रैली में शामिल होने के बाद पुलिस डिपार्टमेंट से इस्तीफा दे दिया था।
पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल
दंगे में पुलिस अधिकारियों के शामिल होने के बाद अब अमेरिकन पुलिस के सामने विश्वसनीयता का सवाल खड़ा हो गया है। क्योंकि ना सिर्फ 13 पुलिस अधिकारियों की अभी तक शिनाख्त की गई है, बल्कि अभी कई और पुलिस अधिकारी दंगे में शामिल होने की वजह से बेनकाब हो सकते हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है, कि देश के खिलाफ विद्रोह में पुलिसवालों का शामिल होना दिल दुखाने वाला है। ऐसे पुलिस अधिकारियों को डिपार्टमेंट से निकालकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
ह्यूस्टन पुलिस चीफ असेवेडो ने कहा ''अमेरिका का संविधान हर पुलिसवाले को राष्ट्रपति के समर्थन में विरोध करने का अधिकार है, लेकिन हिंसक विरोध करने का अधिकार किसी को हासिल नहीं है। और जब पुलिसवाले ही दंगे में शामिल होने लगेंगे तो फिर पुलिसवालों की विश्वसनीयता कैसे बचेगी''
FBI और दूसरी एजेसियों की जांच में खुलासा हुआ है, कि कई पुलिस अधिकारियों ने सोशल मीडिया के जरिए दंगाईयों और रैली में शामिल ट्रंप समर्थकों का समर्थन किया और उन्हें उकसाने की कोशिश की।
पुलिसवालों ने क्यों किया ट्रंप का समर्थन?
ट्रंप के समर्थन में निकाली गई रैली में पुलिसवालों के शामिल होने के पीछे ट्रंप के लिए गये वो फैसले हैं, जो पुलिसवालों के हित में थे। और आलम ये है कि कुछ पुलिस यूनियनों ने ना सिर्फ खुले तौर पर डोनल्ड ट्रंप का समर्थन किया है बल्कि सस्पेंड किए गये पुलिसवालों के खिलाफ चलने वाले मुकदमों का विरोध करने का फैसला भी किया है।
दरअसल, राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने उन जांच समितियों को निरस्त कर दिया, जो पुलिसवालों के मानवाधिकार उल्लंघन की जांच कर रही थी। दरअसल, पुलिसवालों के मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जस्टिस डिपार्टमेंट का गठन किया था, जहां पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमे चलाए जाते थे, मगर ट्रंप प्रशासन ने जस्टिस डिपार्टमेंट को निस्क्रीय कर दिया। इतना ही नहीं, अमेरिका में जब 2016 में नस्लीय हिंसा के विरोध में निकाली गई रैली पर पुलिसवालों ने डंडा चला दिया और जब उन पुलिसवालों खिलाफ जांच टीम बिठाई गई, तो डोनल्ड ट्रंप ने सस्पेंड किए गये पुलिसवालों को कानूनी सहायता अपने पैसों पर मुहैया करा दी।
हिंसा में शामिल पुलिसवालों के खिलाफ जांच
हालांकि, हिंसा करने वाले और दंगा भड़काने की कोशिश करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ पेनसिल्वानिया, मैरीलैंड, न्यूयॉर्क, नार्थ केरोलिना और वाशिंगटन के पुलिस विभागों में अपने ही अफसरों के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों ने अमेरिकी जनता को विश्वास दिलाया है, कि एक भी दोषी पुलिसवाले को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।