
G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जर्मनी पहुंचे पीएम मोदी, जानिए भारत के लिए कितना है महत्वपूर्ण?
म्यूनिख, जून 26: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को जर्मनी की दो दिवसीय यात्रा पर म्यूनिख पहुंचे हैं, जहां वो जी-7 शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे। जर्मनी में शक्तिशाली जी7 ब्लॉक के नेताओं के साथ पीएम मोदी ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, आतंकवाद, पर्यावरण और लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। आपको बता दें कि, भारत जी-7 के स्थाई सदस्य नहीं है, बल्कि भारत को हर साल बतौर मेहमान देश बुलाया जाता है और भारत को जी7 में शामिल करने की पिछले कई सालों से मांग की जा रही है।

जर्मनी पहुंचे पीएम मोदी
जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के निमंत्रण के बाद प्रधानमंत्री मोदी 26 और 27 जून को होने वाले जी 7 शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। दुनिया के सात सबसे अमीर देशों के समूह G7 की इस साल बतौर अध्यक्ष जर्मनी मेजबानी कर रहा है और जर्मनी ने भारत को शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए न्योता भेजा था। इस बात की पूरी उम्मीद है, कि इस साल का जी7 सम्मेलन का पूरा फोकस यूक्रेन युद्ध पर रहेगा, जिसपर रूसी आक्रमण ने पूरी दुनिया में उथल-पुथल को जन्म दिया है और यूरोपीय देशों पर उर्जा संकट के साथ साथ दर्जनों देशों पर गंभीर खाद्य संकट मंडरा रहा है। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मनी की यात्रा से पहले जारी एक बयान में कहा कि, ‘सम्मेलन के सत्रों के दौरान, मैं पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, आतंकवाद का मुकाबला, लैंगिक समानता और लोकतंत्र जैसे सामयिक मुद्दों पर G7 काउंटियों, G7 भागीदार देशों और अतिथि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करूंगा'।
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भारतीय विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
वहीं, भारतीय विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने शुक्रवार को कहा कि, पीएम मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर जी-7 के नेताओं और अतिथि देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकें और चर्चा करेंगे। भारत के अलावा, G7 शिखर सम्मेलन के मेजबान जर्मनी ने, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका को वैश्विक दक्षिण के लोकतंत्रों को अपने भागीदारों के रूप में मान्यता देने के लिए अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। पीएम मोदी ने कहा कि, वह पूरे यूरोप से भारतीय डायस्पोरा के सदस्यों से मिलने के लिए भी उत्सुक हैं, जो अपनी स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ यूरोपीय देशों के साथ भारत के संबंधों को समृद्ध करने में बहुत योगदान दे रहे हैं। जर्मनी से पीएम मोदी 28 जून को संयुक्त अरब अमीरात जाएंगे और खाड़ी देश के पूर्व राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर शोक व्यक्त करेंगे।

भारत के लिए कितना अहम है जी7?
जी-7 सात बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का मिलन है। हालांकि, भारत इस संगठन का हिस्सा तो नहीं है लेकिन भारत पिछले कई सालों से बतौर मेहमान जी-7 में भाग लेता आया है और जी-7 देशों से भारत की बेहद अच्छी दोस्ती है। पीएम मोदी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी जी-7 की बैठकों में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होते थे। जी-7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं और इस बार जी-7 की मेजबानी जर्मनी कर रहा है, जबकि पिछली बार मेजबानी ब्रिटेन ने की थी, हालांकि वो बैठक वर्चुअल हुई थी।
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क्या भारत जी7 में होगा शामिल?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2020 में जी7 समूह को 'पुराना समूह' बताते हुए इसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को शामिल करने की मांग की थी। जी7 के 46वें शिखर सम्मेलन को स्थगित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, कि G7 समूह पुराना हो चुका है, और अपने वर्तमान प्रारूप में यह वैश्विक घटनाओं का सही तरीके से प्रतिनिधित्व करने में सक्षम नहीं है। 2019 में 45वें जी7 समिट का आयोजन फ्रांस में किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विशेष अतिथि के तौर पर बुलाया गया था। वहीं, कोरोना वायरस की वजह से 2020 में जी7 शिखर सम्मेलन को स्थगित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अब वक्त आ गया है, जब जी7 ग्रुप को जी10 या फिर जी11 बना दिया जाए। ट्रंप ने जी7 ग्रुप में भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया के अलावा रूस को भी शामिल करने की मांग की थी। हालांकि, अब जबकि रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है, तो पूरी दुनिया की राजनीति काफी बदल चुकी है।

जी7 पर क्या रहता है भारत का रूख?
भारत अपनी इकोनॉमी को बढ़ाकर 5 ट्रिलियन डॉलर करना चाहता है और पीएम मोदी के इस लक्ष्य को कोविड की वजह से बड़ा झटका लगा है। फिलहाल भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 3 ट्रिलियन डॉलर से करीब है। हालांकि, पिछले दो सालों से कोरोना वायरस की वजह से लगाए गये लॉकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा झटका दिया है, बावजूद इसके भारत का लक्ष्य बदला नहीं है। अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत भी जी7 ग्रुप में शामिल होना चाहता है, ताकि भारतीय उद्योगों को यूरोपीय बाजार में रियायत के साथ ही आधुनिक टेक्नोलॉजी मिल सके। नरेन्द्र मोदी अब तक जहां दो बार जी7 समिट में शामिल हुए हैं, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जी7 समिट में पांच बार हिस्सा लिया था। ऐसे में अगर भारत जी7 ग्रुप का हिस्सा बनता है, तो निश्चित तौर पर उसे वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान बनाने में कामयाबी हासिल होगी।
यूक्रेन
की
बहादुर
बकरी!
ग्रेनेड
लेकर
घुस
गई
रूसी
सेना
की
भीड़
में,
दर्जनों
सैनिकों
को
अकेले
उड़ाया