कल चीन के शहर किंगदाओ पहुंचेंगे पीएम मोदी, फिर होगी जिनपिंग और पुतिन से मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल चीन के शहर किंगदाओ पहुंचेंगे। पीएम मोदी यहां पर दो दिनों तक रुकेंगे और वह शंघाई-कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) समिट में हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं। माना जा रहा है कि भारत इस मंच से आतंकी नेटवर्क के खिलाफ क्षेत्रीय और ग्लोबल एक्शन के बारे में बात करेगा।
किंगदाओ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल चीन के शहर किंगदाओ पहुंचेंगे। पीएम मोदी यहां पर दो दिनों तक रुकेंगे और वह शंघाई-कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) समिट में हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं। माना जा रहा है कि भारत इस मंच से आतंकी नेटवर्क के खिलाफ क्षेत्रीय और ग्लोबल एक्शन के बारे में बात करेगा और साथ ही साथ व्यापार बढ़ाने के जरूरी संपर्कों पर भी चर्चा होगी। पिछले वर्ष भारत को चीन के प्रभुत्व वाले इस संगठन में फुल मेंबरशिप मिली थी। इस संगठन में आठ सदस्य हैं और माना जा रहा है कि भारत की एंट्री से एशिया की राजनीति में बदलाव आ सकता है।
वुहान के बाद किंगदाओ में द्विपक्षीय वार्ता
किंगदाओ पहुंचने के बाद पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ शनिवार को द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात में दोनों नेता व्यापार और निवेश के क्षेत्र में संबंधों को मजबूत करने के विकल्पों के बारे में चर्चा करेंगे साथ ही साथ वह द्विपक्षीय सहयोग के बारे में भी बात करेंगे। यह मुलाकात अप्रैल में हुई वुहान समिट के बाद हो रही है। दो माह से पहले ही दोनों नेता दूसरी बार मुलाकात करेंगे। शनिवार की मुलाकात में मोदी और जिनपिंग उन लागू हुए फैसलों प्रगति पर चर्चा करेंगे जो वुहान समिट के दौरान लिए गए थे। पीएम मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे।
आतंकवाद पर चर्चा करेगा भारत
एससीओ समिट के बारे में अधिकारियों का कहना है कि भारत इस सम्मेलन में आतंकवाद की बढ़ती चुनौतियों के अलावा एससीओ देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर जोर देगा। भारत, एससीओ देशों के साथ सुरक्षा से जुड़े सहयोग को और मजबूत करना चाहता है और साथ ही साथ वह रीजनल एंटी-टेररिज्म स्ट्रक्चर (रैट्स) को और मजबूत करना चाहता है। रैट्स मूलत: सुरक्षा और रक्षा से जुड़े मुद्दों से जुड़ा हुआ है। साल 2005 से भारत बतौर पर्यवेक्षक एससीओ के साथ जुड़ा था। हर वर्ष मंत्री स्तर पर भारत की ओर से इस सम्मेलन में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई जाती रही है।
साल 2001 में बना एससीओ
साल 2001 में चीन के शहर शंघाई में एससीओ समिट की शुरुआत हुई थी। रूस, चीन, कीर्ग रिपब्लिक, कजाखिस्तान, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने उस वर्ष इस संगठन की नींव रखी थी। भारत और पाकिस्तान को पिछले वर्ष ही इस संगठन में फुल मेंबरशिप मिली है। अधिकारियों का कहना है कि भारत क्षेत्रीय संपर्क को आगे बढ़ाने के बारे में चर्चा कर सकता है। वहीं सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक भारत इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सीमा पार से जारी आतंकवाद का मुद्दा भी जोर-शोर से उठा सकता है। भारत कई बार अलग-अलग मंच से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का जिक्र पाकिस्तान पर दबाव बनाने के मकसद से करता आया है।
पाकिस्तान के नेता से नहीं मिलेंगे पीएम मोदी
माना जा रहा है कि पीएम मोदी एससीओ देशों के नेताओं के साथ करीब आधा दर्जन मुलाकातें करेंगे। पाकिस्तान की तरफ से राष्ट्रपति ममनून हुसैन इस सम्मेलन में शामिल होंगे। चीन में भारत के राजदूत गौतम बंबावले ने कहा है कि कि न तो भारत और न ही पाकिस्तान की ओर से एससीओ समिट के दौरान किसी औपचारिक मुलाकात का अनुरोध किया गया है। नेता समिट से अलग बात कर सकते हैं लेकिन कोई भी औपचारिक वार्ता या मुलाकात इस दौरान नहीं होगी।