यूक्रेन युद्ध, जर्मनी की शर्त, 3 देश और विश्व नेताओं के साथ 25 बैठकें... पीएम मोदी का यूरोप दौरा क्यों है खास?
नई दिल्ली, मई 02: यूक्रेन युद्ध के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इस साल का पहला विदेश दौरा शुरू हो चुका है और इस दौरे में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की यात्रा करेंगे। पीएम मोदी ने यूरोप यात्रा की शुरुआत ऐसे समय में की है, जब यूक्रेन में रूस के हमले जारी हैं और यूरोपीय देश भारत से बार बार इसलिए नाराजगी जता रहे हैं, क्योंकि भारत ने अभी तक रूस की आलोचना नहीं की है और अमेरिका भी कई बार दबी जुबान में नाराजगी और खुली जुबान में भारत की आलोचना कर चुका है। जाहिर है, ऐसे वक्त में पीएम मोदी का ये दौरा बेहद खास होने है, क्योंकि जर्मनी ने पीएम मोदी के दौरे से पहले ही एक शर्त रख दी है।

यूरोप दौरे का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के साथ मुलाकात करेंगे, जिसके बाद वह डेनमार्क जाएंगे, जहां पीएम मोदी अपने समकक्ष मेटे फ्रेडरिकसेन के निमंत्रण पर 3-4 मई को कोपेनहेगन की यात्रा करेंगे, इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और फिर पीएम मोदी नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। भारत वापसी के वक्त पीएम मोदी फ्रांस भी जाएंगे, लेकिन फ्रांस में उनका ठहरने का कार्यक्रम कम ही देर का है, इस दौरान वो फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे।

यात्रा से पहले जर्मनी ने रखी शर्त
जर्मनी की सरकार में कई सालों के बाद चांसलर बदले हैं और दिसंबर 2021 में ओलाफ स्कोल्ज़ के नये चांसलर बने और ओलाफ के चांसलर बनने के बाद पीएम मोदी की ये पहली जर्मनी यात्रा है। लेकिन, बैठक से पहले चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया कि, वो "आश्वस्त" हैं कि, भारत और जर्मनी के बीच एक "व्यापक समझौता" होगा, जिसमें रूसी कार्रवाइयां, जो "संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धांतों" का उल्लंघन करती हैं, और इस सिद्धांत पर, कि "नागरिक आबादी के खिलाफ नरसंहार युद्ध अपराध हैं" और "जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए", इन मुद्दों को लेकर भारत के साथ अहम बातचीत होगी। यानि, जर्मनी की कोशिश भारत के साथ बातचीत के दौरान यूक्रेन युद्ध को उठाने की होगी। वहीं, पिछले दिनों खबर आई थी, कि जी-7 की बैठक, जिसकी मेजबानी इस बार जर्मनी कर रहा था, वो इस बार भारत को बुलाने पर ना-नुकुर कर रहा था और अब जर्मन चांसलर का पीएम मोदी के बर्लिन पहुंचने से ठीक पहले यूक्रेन में नरसंहार की बात करना... एक शर्त के तौर पर भी देखा जा रहा है।

65 घंटे में 25 बड़े कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा 2022 में उनकी पहली विदेश यात्रा होगी, जो जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस के रास्ते खृत्म होगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान प्रधानमंत्री के करीब 65 घंटे में 25 व्यस्त कार्यक्रम होंगे। बर्लिन पहुंचकर नरेंद्र मोदी जर्मनी के फेडरल चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ से बातचीत करेंगे. विदेश मंत्रालय ने पहले कहा था कि दोनों नेता भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के छठे संस्करण की सह-अध्यक्षता करेंगे। पिछले दिसंबर में एंजेला मर्केल से जर्मनी की कमान संभालने वाले चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के साथ मोदी की यह पहली मुलाकात होगी। जर्मन चांसलर 2012 में भारत आए थे जब वह हैम्बर्ग के मेयर थे।
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डेनमार्क में नार्डिक शिखर सम्मेलन
जर्मनी के बाद, नरेंद्र मोदी कोपेनहेगन की यात्रा करेंगे जहां वह प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन के निमंत्रण पर डेनमार्क द्वारा आयोजित दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। भारत ने पहली बार 2018 में डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड और आइसलैंड के नॉर्डिक देशों के साथ जुड़ना शुरू किया था, जिसका उद्देश्य सहयोग के नए क्षेत्रों का पता लगाना था। पीएम मोदी ने कहा कि, 'सम्मेलन में महामारी के बाद आर्थिक सुधार, जलवायु परिवर्तन, इनोवेशन और टेक्नोलॉजी, नवीकरणीय ऊर्जा, विकसित वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और आर्कटिक क्षेत्र में भारत-नॉर्डिक सहयोग जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।" अपनी डेनमार्क यात्रा के द्विपक्षीय पहलू के अलावा, पीएम मोदी महामहिम महारानी मार्ग्रेथ-II के साथ भी बातचीत करेंगे। नमार्क दौरे के दौरान पीएम मोदी डेनमार्क में शीर्ष कंपनियों के सीईओ के साथ भी बैठक करेंगे, जिसमें उनसे भारत में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने का आग्रह किया जाएगा।

फ्रांस में काफी अहम कार्यक्रम
अपनी यात्रा के कोपेनहेगन चरण के बाद, पीएम मोदी फिर पेरिस में अपने 'मित्र' इमैनुएल मैक्रों से मिलने के लिए रुकेंगे। मैक्रों ने हाल ही में इतिहास रच दिया है, जब वह जैक्स शिराक के बाद लगातार दो बार फ्रांस के राष्ट्रपति बनने वाले पहले नेता हैं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति से मुलाकात को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि, 'राष्ट्रपति मैक्रों और मैं विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर आकलन साझा करेंगे और चल रहे द्विपक्षीय सहयोग का जायजा लेंगे। यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि वैश्विक व्यवस्था के लिए समान दृष्टिकोण और मूल्यों को साझा करने वाले दो देशों को एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ सहयोग में काम करना चाहिए'।

भारत के यूरोप एजेंडे में क्या सब?
नरेंद्र मोदी की यूरोप यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रहा है जब रूस यूक्रेन पर अपना हमला जारी रखे हुए है। भारत ने इस मामले पर तटस्थ रुख बनाए रखा है और हथियारों और तेल को लेकर मास्को के साथ व्यापार करना जारी रखा है। पिछले कुछ हफ्तों में ब्रिटेन, पोलैंड, पुर्तगाल, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे के विदेश मंत्रियों और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष के साथ भारत के दौरे पर राजनयिक यात्राओं की झड़ी लग गई है। लिहाजा, पीएम मोदी के यूरोप दौरे में रूस-यूक्रेन युद्ध के अलावा, ऊर्जा सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मामला होगा।
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कोविड महामारी के बाद की दुनिया...
भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने यात्रा से पहले कहा कि, 'ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा के बदलते तत्व, अंतरिक्ष में चुनौतियां और इन चुनौतियों का शमन और इन्हें लेकर हम जो समाधान खोज सकते हैं, स्वाभाविक रूप से ये कुछ प्रमुख तत्व पीएम मोदी की यूरोप यात्रा के दौरान रहने वाले हैं'। विदेश यात्रा इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करेगी कि कोरोनोवायरस महामारी से बिखरी दुनिया में विकास को पुनर्जीवित करने में कैसे मदद की जाए।