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कोरोना का पॉलिटिकल इफैक्ट,मोदी और मर्केल को मिला नया मुकाम

By अशोक कुमार शर्मा
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नई दिल्ली। कोरोना मानव जीवन पर एक गंभीर संकट है। मौत जब सामने खड़ी हो तो जिंदगी की अहमियत समझ में आती है। तब इंसान सारे पूर्वाग्रहों को छोड़ कर नये तरीके से सोचने लगता है। कोरोना का आर्थिक परिणाम तो अभी से नजर आने लगा है लेकिन इसका राजनीति परिणाम क्या होगा ? विपत्ति के समय राजनीति की बात अनुचित है, लेकिन यह भी सत्य है कि इस घटना का राजनीति पर असर जरूर पड़ेगा। लोग इस बात का मूल्यांकन अवश्य करेंगे कि उनके देश के शासक ने जिंदगी बचाने के लिए क्या-क्या किया। किसी भी राजनीतिक नेतृत्व के लिए यह समय अग्निपरीक्षा का है। कोरोना के खिलाफ कारगर और सटीक कदम उठाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की दुनिया भर में तारीफ हो रही है। इन दोनों नेताओं ने स्थिति से निबटने के लिए जो तेजी और सूझबूझ दिखायी है उससे उनको जबर्दस्त राजनीतिक फायदा मिला है। मोदी और मर्केल पिछले कुछ समय से राजनीतिक चुनौतियां झेल रहे थे। लेकिन अब ये सक्षम और लोकप्रिय नेता के रूप में सामने हैं।

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 मोदी नम्बर एक

मोदी नम्बर एक

तीन अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों का मानना है कि कोरोना से निबटने के मामले में नरेन्द्र मोदी दुनिया के नम्बर एक नेता हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी नरेन्द्र मोदी के कामकाज की तारीफ की है। नरेन्द्र मोदी ने कोरोना संक्रमण रोकने के लिए सही समय पर लॉकडाउन की घोषणा की थी। अगर भारत ने 23 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा नहीं की होती तो आज कोरोना संक्रमितों की संख्या लाखों में होती। जांच की सुविधा कम रहते हुए भी मृत्यु दर पर नियंत्रण रखना एक बड़ी कामयाबी है। समय पर राहत पैकजों के एलान से पीड़ित लोगों की मदद की गयी। मोदी ने कूटनीतिक स्तर पर भी अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। कोरोना के खिलाफ सार्क देशों की संयुक्त रणनीति बनाने की पहल से मोदी ने सुर्खियां बटोरीं। जी-20 शिखर सम्मेलन में भी मोदी की पहल की चर्चा हुई। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय, दोनों मोर्चों पर मोदी ने फ्रंट से लीड किया। ऐसे में विरोधी दलों के लिए राजनीति की कोई गुंजाइश ही नहीं बची। अब हालात ऐसे बन गये हैं कि मोदी विरोध के लिए कोई स्पेस ही नजर नहीं आ रहा।

कोरोना के खौफ से बदली स्थिति

कोरोना के खौफ से बदली स्थिति

कोरोना संकट से पहले नागरिकता संसोधन कानून को लेकर मोदी सरकार गहरे दबाव में थी। देश में राजनीतिक अशांति का माहौल बन गया था। सरकार के विरोध में धरना और प्रदर्शनों की बाढ़ आ गयी थी। शाहीनबाग का मसला सरकार के लिए सिरदर्द बन गया था। जो काम सरकार नहीं कर पायी उसे कोरोना के खौफ ने कर दिखाया। नागरिकता संशोधन कानून पर हो रही राजनीति एक झटके में खत्म हो गयी। कोरोना त्रासदी के बीच मोदी ने सकारात्मक पहल की। मोदी ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, एच डी देवेगौड़ा, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रतिभा पाटिल से बात की। कोरोना से निबटने के लिए सरकार के फैसलों से इन दिग्गज नेताओं को अवगत कराया। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, द्रमुक नेता एमके स्टालिन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव से फोन पर बातचीत की और उनसे सहयोग मांगा। मोदी ने जब लोगों से कोरोना वारियर्स को सम्मान देने के लिए थाली बजाने और दीप जलाने की अपील की तो पूरा देश समर्थन में खड़ा हो गया। इस जनसमर्थन को देख कर विरोधी दल के नेता पशोपेश में हैं कि अब वे किस बात को लेकर मोदी की आलोचना करें। अभी भोजन और रोजगार पर आफत है , इसके बावजूद लोगों ने मोदी के कामकाज पर भरोसा जताया है।

 एंजेला मर्केल को अभयदान

एंजेला मर्केल को अभयदान

जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल पूर्व शोध वैज्ञानिक हैं। इसलिए भी उन्होंने कोरोना के खिलाफ कामयाबी से लड़ाई लड़ी। वे 2005 से जर्मनी की चांसलर हैं। वे 15 साल से शासन में हैं लेकिन पिछले कुछ समय से उनको राजनीति चुनौतियां झेलनी पड़ रहीं थीं। वे अभी जर्मनी में गठबंधन की सरकार चला रही हैं। एंजेला से मतभेद होने की वजह से गृहमंत्री और घटक दल के नेता होर्स्ट सीहोफर ने 2018 में इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। तब एंजेला सरकार पर संकट के बाद छा गये थे। मर्केल चांसलर होने के साथ-साथ सत्तारुढ़ क्रिस्टियन डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी की अध्यक्ष भी थीं। प्रांतीय चुनावों में हार के बाद उन्होंने 2018 में पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। 2019 में लगातार इस बात के कयास लगाये जाते रहे कि एंजेला चांसलर पद से भी इस्तीफा दे सकती हैं। इस साल के शुरू तक यह कहा जाता रहा कि एंजेला सत्ता से दूर होती जा रही हैं। लेकिन जैसे ही कोरोना संकट का दौर हुआ एंजेला मर्केल की सियासी किस्मत पलट गयी। शांत स्वभाव और निर्णय लेने की क्षमता ने उनका काम आसान कर दिया। मर्केल ने जनवरी में कोरोना से निबटने की तैयारी शुरू कर दी थी। अधिक से अधिक टेस्ट किट बनाये गये जिससे एक हफ्ते में ही एक लाख से अधिक लोगों की जांच हो गयी। एंजेला मर्केल ने इस संकट की घड़ी में जो नेतृत्व कौशल दिखाया उससे जनता उनकी मुरीद हो गयी। अब एंजेला मर्केल दुनिया की सबसे मजबूत नेता मानी जा रही हैं।

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English summary
PM Narendra Modi and Germany's Chancellor Angela Dorothea Merkel work against Coronavirus is praised by World leader.
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