डोनाल्ड ट्रंप नहीं अब पीएम मोदी बन गए हैं जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल के फेवरिट, जानिए क्यों
म्यूनिख में एक चुनावी रैली के दौरान जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल ने अमेरिका के खिलाफ अपनाया था सख्त रुख। यूरोपियन देशों को अमेरिका पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए कहा था।
बर्लिन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार से जर्मनी में हैं और चांसलर एंजेला मार्केल के साथ डिनर के अलावा एक मीटिंग अलग से कर चुके हैं। पीएम मोदी का जर्मनी दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब जर्मनी और अमेरिका के रिश्तों के बीच तल्खियों को आसानी से महसूस किया जा सकता है।
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ट्रंप और मार्केल के बीच तनाव
पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जर्मन लोगों को बुरा कहा तो चांसलर मार्केल ने यूरोपियन देशों से अमेरिका पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए कहा। ऐसे में पीएम मोदी का जर्मनी दौरा और चांसलर मार्केल के साथ करीबियों से साफ है कि जर्मनी अब भारत और पीएम मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के विकल्प के तौर पर देखने लगा है।
अमेरिका पर खत्म हो निर्भरता
पिछले दिनों म्यूनिख में एक चुनावी रैली हुई थी। इस रैली में चांसलर मार्केल ने अमेरिका के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया और यूरोप से अपील की कि अब अमेरिका पर अपनी निर्भरता को खत्म करें। मार्केल ने कहा, 'दूसरों पर निर्भर रहने का दौर अब खत्म हो चुका है और मैं पिछले कई दिनों से इस बात को महसूस कर रही हूं। यूरोपियन देशों के लोगों को अपना भविष्य अब अपने हाथ में लेना होगा न कि उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना चाहिए।
होगी चीनी राष्ट्रपति से भी मुलाकात
मार्केल का निशाना साफतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप थे। ट्रंप ने पेरिस क्लाइमेट डील में संभावित बदलाव के साथ ही जर्मनी को एक चुनौती भी दी है। इस हफ्ते चासंलर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मिलेंगी और इसके साथ ही नए रिश्तों की शुरुआत भी हो सकती है।
मोदी-मार्केल की खास मीटिंग
सोमवार को मार्केल और मोदी के बीच एक खास मुलाकात हुई। इस मुलाकात में क्लाइमेट कंट्रोल जैसे मुद्दे के अलावा अफगानिस्तान और आतंकवाद का भी जिक्र हुआ। पीएम मोदी पहले ही साफ कर चुके हैं भारत क्लीन एनर्जी के रास्ते पर ही चलेगा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अमेरिका क्या करता है। इसी तरह का मैसेज चीन की ओर से भी आया है जिसके प्रधानमंत्री ली कियांग साफ कर चुके हैं कि वह जर्मनी के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं।
भारत पर टिकीं मार्केल की उम्मीदें
मार्केल कई बार इस बात पर जोर दे चुकी हैं कि यूरोपियन यूनियन को नई उभरती आर्थिक महाशक्तियों के साथ चलना होगा। मार्केल ने साफ कर दिया कि डोनाल्ड ट्रंप और ब्रेग्जिट के इस दौर में जर्मनी सिर्फ अमेरिका और ब्रिटेन पर निर्भर नहीं रह सकता। मार्केल का इशारा साफ था कि मार्केल एशिया में उभरती हुई शक्ति भारत की ओर आशाभरी नजरों से देख रही हैं।