मोटापे से ग्रस्त लोगों पर पूरी तरह असर नहीं कर रही कोरोना वैक्सीन, रिसर्च में खुलासा
नई दिल्ली: साल 2020 में कोरोना महामारी ने जमकर कहर बरपाया। इस बीच कई देशों के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत के बाद कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार कर ली, जिसकी डोज दुनियाभर में दी जा रही है। इसके बावजूद भी लगातार वैज्ञानिक वैक्सीन के प्रभाव पर रिसर्च कर रहे हैं, जिसमें अब एक नई बात सामने आई है। जिसके तहत फाइजर की कोरोना वैक्सीन मोटे लोगों पर कम प्रभावी हो सकती है। ऐसे में उन्हें सावधान रहने की जरूरत है।
कम वजन के लोगों में अच्छी एंटीबॉडी
इटैलियन शोधकर्ताओं के मुताबिक ज्यादा वजन वाले कई लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक दी गई थी। इसके बाद जब उनके अंदर बनी एंटीबॉडी की जांच की गई तो वो सामान्य से आधी थी। शोधकर्ताओं का मानना है कि मोटे लोगों को इस वायरस से बचाने के लिए एक दूसरी खुराक या फिर टॉप-अप वैक्सीन की जरूरत पड़ सकती है।
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मोटे लोगों में बीमारियों को खतरा ज्यादा
शोधकर्ताओं ने बताया कि जांच ने दोनों डोज लेने के बाद अलग-अलग वजन के लोगों में अलग-अलग परिणाम दिखे। उनके बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं था, लेकिन उन्हें और ज्यादा टेस्ट की जरूरत है, क्योंकि मोटे लोगों में कम एंटीबॉडी दिखी है। आमतौर पर जब ज्यादा वजन वाला व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी की चपेट में आता है, तो उसके मरने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके अलावा मोटे लोगों के शुगर और ब्लड प्रेशर से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा रहती है, ऐसे में हो सकता है कि वो अधिक कमजोर हो जाते हों।
इम्यूनिटी भी होती है कमजोर
शोधकर्ताओं के मुताबिक BMP 30 से ऊपर होने पर उसे मोटापा कहा जाता है। इससे पहले फ्लू वैक्सीन को लेकर जब रिसर्च हुई थी, तो भी ये देखा गया कि वो ज्यादा वजन वाले लोगों पर कम प्रभावी थी। इसके अलावा एक तर्क ये भी है कि ज्यादा वजन होने से शरीर की इम्यूनिटी पावर कमजोर पड़ सकती है, इससे भी काम बिगड़ता है। एक रिपोर्ट में ये बताया गया था कि इंग्लैंड में करीब एक तिहाई वयस्क और अमेरिका में करीब 40 फीसदी लोग मोटे हैं।
248 लोगों पर हुई रिसर्च
शोध में 248 लोगों को रोम स्थित Istituti Fisioterapici Ospitalieri अस्पताल में फाइजर वैक्सीन की दो खुराकें दी गईं। इसके सात दिन बाद उनके एंटीबॉडी के स्तर की जांच हुई। जिसमें पता चला कि सामान्य लोगों में एंटीबॉडी वैल्यूम (High Concentration) 325.8 था, जबकि मोटे लोगों में ये आधा यानी 167.1 था। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस रिसर्च में सिर्फ 26 मोटे लोग ही शामिल थे, ऐसे में और ज्यादा टेस्टिंग की आवश्यकता है।
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