टोंगा ज्वालामुखी: तेल बहने से पेरू के समुद्र तटों पर भारी तबाही, हजारों जीव मरे, सरकार ने कहा- आपदा
टोंगा ज्वालामुखी फटने के बाद पेरू के समुद्री तट तेल बहने से काले पड़ चुके हैं। पेरू सरकार ने इसे पारिस्थितिक आपदा कहा है।
लीमा, जनवरी 21: टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट के बाद कई देशों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसमें एक देश पेरू भी है, जिसने पर्यावरण आपातकाल की घोषणा कर दी है। टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट के बाद पेरू के 21 समुद्र तटों पर इतना ज्यादा तेल आ गया है, कि लाखों समुद्री जीवों की मौत की आशंका जताई जा रही है और समुद्री तट पर समुद्री जीवों को मरा हुआ देखा जा सकता है। वहीं, पेरू ने इसे एक तबाही बताते हुए स्पेन की तेल कंपनी से हर्जाना भी मांगा है।
पेरू के समुद्री तटों पर तबाही
पेरू की तरफ से कहा गया है कि, स्पेन की तेल कंपनी रेप्सोल द्वारा संचालित तेल रिफाइनरी से तेल का रिसाव हुआ है, जिसने पेरू के 21 समुद्री तटों में तबाही मचा दी है, लिहाजा स्पेनिश तेल कंपनी को मुआवजा जेनी चाहिए। पेरू के राष्ट्रपति पेड्रो कैस्टिलो ने गुरुवार को कहा कि, पर्यावरण की रक्षा के उद्देश्य से राष्ट्रीय नीतियों को ध्यान में रखते हुए संकट से निपटने के तरीकों का प्रस्ताव करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। आपको बता दें कि, पेरू के समुद्री तटों की स्थिति वास्तव में काफी भयावह है और वहां से आने वाली तस्वीरें विचलित करने वाली हैं।
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समुद्री तटों की हो रही है सफाई
आपको बता दें कि, पेरू में मछुआरे टोंगा में ज्वालामुखी विस्फोट और सुनामी लहरों के कारण रिफाइनरी में विनाशकारी तेल रिसाव के लिए स्पेनिश तेल कंपनी रेप्सोल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। मछुआरों का कहना है कि, स्पेनिश कंपनी की लापरवाही से रिफाइनरी से तेल बहा है। वहीं, पेरू के प्रधानमंत्री मिर्था वास्केज ने कहा कि, स्पेनिश कंपनी रेप्सोल ने समुद्री तटों की साफ- सफाई में हाथ बंटाने, स्थानीय मछुआरों और प्रभावित परिवारों की मदद करने का वादा किया है।
पर्यावरण को भारी नुकसान
आपको बता दें कि, रिफाइनरी से तेल बहने की वजग से पेरू के सेन्ट्रल समुद्र तट पर करीब 2 किलोमीटर तक खराब तेल भरा हुआ है, जिससे समुद्र की पारिस्थितिक तंत्र को भीषण नुकसान पहुंचा है। पेरू सरकार ने तटीय जिले वेंटानिला की सफाई की निगरानी कर रही है। वही, पेरू के कैलाओ, वेंटानिला में कच्चे तेल की एक काली परत समुद्री तट के साथ लगभग 3 किमी तक फैली हुई देखी जा सकती है और आशंका जताई जा रही है कि लाखों समुद्री जीवों की मौत हो चुकी होगी।
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कैसे रिफाइनरी से बहा तेल?
पेरू के नागरिक सुरक्षा संस्थान के मुताबिक, टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट के बाद ला पैम्पिला रिफाइनरी में एक जहाज से तेल उतार रहा था, जब ज्वालामुखी विस्फोट के बाद उठी सुनामी की तेज लहरों ने जहाज को धक्का दिया, जिससे समुद्री पक्षी, मछलियां, डॉल्फ़िन, सीगल, ऊदबिलाव मारे गए हैं। वहीं, पेरूवियन सोसाइटी फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ के संरक्षण विशेषज्ञ क्रिस्टेल शेस्के ने कहा कि, "रेप्सोल तेल रिसाव के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव विनाशकारी हैं और कंपनी की प्रतिक्रिया कमजोर रही है।"
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समुद्र में बहा 6 हजार बैरल तेल
वहीं, पेरू की राजधानी लीमा के पास तट पर पंपिला रिफाइनरी में एक टैंकर को उतारने के दौरान बैरल तेल गिरने के बाद अधिकारियों ने सोमवार को कई समुद्र तटों को सील कर दिया है। पेरू के पर्यावरण मंत्री रूबेन रामिरेज ने रेप्सोल के अधिकारियों से मुलाकात की और कहा कि कंपनी के अनुसार लगभग 6,000 बैरल तेल समुद्र में गिरा है। आपको बता दें कि, ला पैम्पिला पेरू की सबसे बड़ी रिफाइनरी है और स्थानीय ईंधन बाजार के आधे से ज्यादा की आपूर्ति करती है।
समुद्र में भारी नुकसान
सोशल मीडिया पर पेरू से जो तस्वीरें आ रही हैं, उसमें काले समुद्र तटों पर तेल में भीगें हुए सैकड़ों मृत समुद्री पक्षी दिख रहे हैं। वहीं दुर्लभ हम्बोल्ट पेंगुइन के भी मारे जाने की आशंका है। वहीं, तेल कंपनी रेप्सोल के प्रवक्ता टाइन वैन डेन वॉल बेक ने इस घटना की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। कंपनी की तरफ से कहा गया है कि, "हमने इस पारिस्थितिक आपदा का कारण नहीं बनाया और हम यह नहीं कह सकते कि कौन जिम्मेदार है"।
रिफाइनरी पर लगेगा जुर्माना
पेरू के पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि, रिफाइनरी पर 34.5 मिलियन डॉलर तक का जुर्माना लग सकता है, क्योंकि कंपनी के खिलाफ पर्यावरण प्रदूषण को लेकर जांच शुरू की गई है। एक ट्वीट में पेरू के अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने कहा कि "हाल के दिनों में लीमा में सबसे खराब पारिस्थितिक आपदा है, और इसने सैकड़ों मछली पकड़ने वाले परिवारों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। रेप्सोल को इस नुकसान की तुरंत भरपाई करनी चाहिए।"
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