परमाणु विस्फोट जैसा बादल देख डरे इस देश के लोग, सरकार को सामने आकर बतानी पड़ी सच्चाई
नई दिल्ली। यूक्रेन की राजधानी कीव में लोग उस समय भयभीत हो गए जब आसमान में विशालकाय मशरूम के आकार का एक बादल देखा। पहले तो लोगों को लगा कि कीव पर किसी दुस्मन देशे ने परमाणु हमला कर दिया है लेकिन बाद में यूक्रेन सरकार के अधिकारियों ने यह बताकर लोगों का डर कम किया कि यह बादलों की स्वाभाविक घटना है जो हवा के दबाव और किसी विशेष परिस्थित में ही बनता है। यूक्रेन के आसमान में दिखे इस अद्भुत नजारे की तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
प्राकृतिक घटना देख डरे लोग
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि आसमान में बड़ा से मशरूम के आकार का एक बादल हो जो हू-ब-हू किसी परमाणु बम के विस्फोट के बाद बनने वाले क्लाउड की तरह ही दिखाई देता है। लोग इस घटना के इसलिए और अधिक डर गए क्योंकि विस्फोट जैसा नजर आने वाला यह बादल रनोबिल में सिर्फ 60 मील की दूरी पर देखा गया था। बता दें कि यह वही स्थान है जहां साल 1986 में यूक्रेन स्थित चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के रिएक्टर में मानव इतिहास की सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटना घटी थी।
सरकार ने बताया सच
यूक्रेन की राजधानी कीव में रहने वाले लोगों को जब तक उस प्राकृतिक घटना की सच्चाई का पता अधिकारियों से लगता, तब तक यह खबर आग की तरह फैल गई। स्थानीय लोगों ने तस्वीरों को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इस तस्वीर को यूक्रेन स्टेट इमरजेंसी सर्विस ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया था जिसके कैप्शन में लिखा था कि जो डर गए हैं वो इसे स्वीकार करें।
ऐसे बादल का वैज्ञानिक नाम क्यूम्यलोनिम्बस इनकस
इस दुर्लभ प्राकृतिक घटना को लेकर यूक्रेन के सरकारी अधिकारियों ने बताया कि राजधानी कीव ओब्लास्ट, टेरनोपिल ओब्लास्ट और विन्नित्सा के आसमान में ऐसे बादल देखे गए हैं जो बिल्कुल परमाणु विस्फोट जैसा दिखाई देता है। हालांकि यह कोई मानव दुर्घटना नहीं है बल्कि प्रकृतिक घटना है। मशरूम के रूप में दिखाई देने वाले ऐसे बादल का वैज्ञानिक नाम क्यूम्यलोनिम्बस इनकस है। यह तब बनते हैं जब तेज हवा जल वाष्प को ऊपर की ओर ले जाती हैं।
यूक्रेन में घटी थी मानव इतिहास की सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटना
चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना मानव इतिहास की सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटना है जो 25-26 अप्रैल 1986 की रात यूक्रेन स्थित चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के रिएक्टर क्रमांक 4 में हुई । यह परमाणु संयंत्र उत्तरी सोवियत यूक्रेन में स्थित प्रिप्यत शहर के पास बनाया गया था। हालांकि अब यहां कोई नहीं रहता। उस आपदा में लगभग 100 लोगों की मौत हो गई थी और यह माना जाता है कि लंबे समय तक वहां उसका प्रभाव बना रहा और इससे लोगों की आयु भी कम हो गई।
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