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क्‍यों हांगकांग में उठ रही है चीन से आजादी की मांग, क्‍यों जिनपिंग यहां लाना चाहते हैं अपना एक कानून

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हांगकांग। चीन के अधिकार वाले शहर हांगकांग में कोरोना वायरस महामारी से निबटने के बाद अब जिनपिंग के शासन से आजादी की मांग उठने लगी है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपेयो ऐलान कर चुके हैं कि अमेरिका मानता है कि हांगकांग अब चीन से स्‍वायत्‍त में नहीं हैं। वहीं अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप कह चुके हैं एक हफ्ते के अंदर वह हांगकांग की आवाज दबाने की वजह‍ से चीन पर एक प्रस्‍ताव लेकर आएंगे। हांगकांग में चीन के एक कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। हांगकांग की जनता मानती है कि अगर यह कानून आ गया तो फिर उनकी आजादी का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा।

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चीन के इस कानून से घबराएं हैं हांगकांग के लोग

चीन के इस कानून से घबराएं हैं हांगकांग के लोग

हांगकांग में पिछले वर्ष मार्च में भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हुआ था। इस बार फिर से यहां पर प्रदर्शन और आजादी की मांग उठने लगी है। प्रदर्शन की असली वजह है पिछले वर्ष चीन की संसद में आया कानून जिसके पास होने की 100 प्रतिशत उम्‍मीद हैं। इस नेशनल सिक्‍योरिटी कानून में तीन ऐसे बिंदु है जिनके बाद हांगकांग के लोगों को अपनी आजादी छीनने का खतरा सता रहा है। हालांकि अभी तक इस नए कानून के बारे में पूरी जानकारी बहुत ही कम आई है लेकिन जो कुछ आई है उसके मुताबिक इस कानून के तहत इन बातों को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा।

  • सक्‍सेशन यानी अपगमन-देश से रिश्‍ते खत्‍म करना

    सबवर्जन यानी विध्‍वंस: केंद्र सरकार की अथॉरिटी या फिर सत्‍ता को नष्‍ट करना।
आतंकवाद- जनता के खिलाफ हिंसा या फिर उन्‍हें डराना धमकाना।विदेशी बलों की गतिविधियों के जरिए हांगकांग में हस्‍तक्षेप करना।

जो बात हांगकांग के लोगों को डरा रही है वह है कि चीन हांगकांग में अपने ऐसे संस्‍थान तैयार कर सकता है जो उसकी सुरक्षा के लिए जिम्‍मेदार होंगे।

क्‍यों चीन अड़ा हुआ है अपना कानून लाने पर

क्‍यों चीन अड़ा हुआ है अपना कानून लाने पर

हांगकांग से साल 1997 में ब्रिटेन ने अपना शासन खत्‍म किया था। इसके बाद उसने इसे चीन को सौंप दिया था। लेकिन इसे सौंपने के एवज में दोनों देशों के बीच एक बड़ा अनोखा समझौता हुआ था। इसके तहत एक छोटा सा संविधान तैयार हुआ था जिसे 'बेसिक लॉ' कहा गया और अब इसे 'वन कंट्री, टू सिस्‍टम्‍स' के तौर पर जाना जाता है। इनका मकसद हांगकांग में आजादी के कुछ निश्चित तत्‍वों की रक्षा करना है। इनमें हांगकांग की विधायिका की आजादी और बोलने की आजादी की रक्षा करना और साथ ही स्‍वतंत्र न्‍यायपालिका के अलावा कुछ लोकतांत्रित अधिकारों की रक्षा भी शामिल है। अब समस्‍या यही है कि जो आजादी हांगकाग में लोगों को संविधान के तहत मिली है, चीन के किसी हिस्‍से में जनता को नहीं है।

चीनी कानून नहीं आ सकते अस्तित्‍व मे

चीनी कानून नहीं आ सकते अस्तित्‍व मे

बेसिक लॉ के तहत हांगकांग ने अपना खुद का सुरक्षा कानून बनाया और इसे बेसिक लॉ के आर्टिकल 23 के तहत तैयार किया था। हांगकांग के सुरक्षा कानून की लोकप्रियता बहुत कम है और चीन की सरकार ने साल 2003 में इसे खत्‍म करने का सोचा। मगर उस समय विरोध प्रदर्शनों के चलते फैसला वापस लेना पड़ा। बेसिक लॉ के मुताबिक चीनी कानून हांगकांग में तब तक लागू नहीं हो सकते हैं जब तक कि उन्‍हें एनेक्‍स III में सूचीबद्ध न किया जाए। कुछ कानून इसमें सूचीबद्ध भी हैं लेकिन जो कानून लिस्‍टेड हैं वे ऐसे हैं जो विवादित नहीं है और विदेश नीति से जुड़े है। इन कानूनों को हांगकांग के चीफ एग्जिक्‍यूटिव की मंजूरी के बाद मंजूरी मिलती है।

जून 2019 से प्रदर्शन झेलता हांगकांग

जून 2019 से प्रदर्शन झेलता हांगकांग

एक साल से ही हांगकांग में चीन के कानूनों को लाने की तैयारी चल रही है। पिछले वर्ष जून में भी प्रत्‍यर्पण कानून को लेकर चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत हुई थी। सितंबर 2019 में हांगकांग की चीफ एग्जिक्‍यूटिव ने चीनी कानून को वापस ले लिया था। इसके बाद हांगकांग में बड़े पैमान पर लोकतांत्रित ढांचे में बदलाव की मांग उठने लगी। अब चीन यहां पर अपना नया नेशनल सिक्‍योरिटी कानून लागू करने में लगा हुआ है। हांगकांग चीन के शहरों से बहुत अलग है और इसका इतिहास इसे एक अलग देश का दर्जा देने पर मजबूर करता है।

अंग्रेजों का गुलाम रहा हांगकांग

अंग्रेजों का गुलाम रहा हांगकांग

भारत की तरह हांगकांग भी अंग्रेजों का गुलाम रहा और 150 साल से ज्‍यादा समय तक यहां पर ब्रिटिश हुकूमत थी। सन् 1842 में अंग्रेज एक द्वीप हांगकांग में दाखिल हुए और उन्‍होंने इसके कुछ हिस्‍सों पर कब्‍जा कर लिया। इसके बासद चीन ने हांगकांग के कुछ हिस्‍से अंग्रेजों को लीज पर दे दिए। कुछ नई सीमाएं 99 वर्षों तक ब्रिटिश शासन के अधीन था। हांगकांग इसके बाद सबसे व्‍यस्‍ततम व्‍यापारिक बंदरगाह बन गया और सन् 1950 में यहां की अर्थव्‍यवस्‍था ने रफ्तार पकड़ ली। हांगकांग इसके बाद मैन्‍यूफैक्‍चरिंग का बड़ा अड्डा बन गया। हांगकांग अप्रवासियों के बीच लोकप्रिय हो गया और यहां केअस्थिरता, गरीबी और चीन के कष्‍टों की वजह से वह यहां से चले गए।

आजादी के वादे के साथ हुआ था विलय

आजादी के वादे के साथ हुआ था विलय

इसके बाद 80 के शुरुआती दशक में 99 साल की लीज का समय पूरा हो गया। यहां से हांगकांग के भविष्‍य के बारे में बातें शुरू होने लगीं। चीन ने तर्क दिया कि चीनी नियमों के तहत इसे चीन को सौंपा जाना चाहिए। सन् 1984 में ब्रिटेन और चीन के बीच एक संधि हुई। इस संधि के तहत सन् 1997 में हांगकांग, चीन को वापस सौंप दिया जाएगा। यह हस्‍तांतरण 'वन कंट्री टू सिस्‍टम्‍स' सिद्धांत पर हुआ था। इसका मतलब यह था कि चीन के साथ आने पर भी हांगकाग अपनी आजादी का आनंद ले सकेगा। लेकिन विदेश मामलों और रक्षा मामलों में उसे चीन के अधीन ही रहना होगा। हांगकांग के पास अपना खुद का लीगल सिस्‍टम और सीमाएं हैं जिसमें विधायिका की आजादी, बोलने की आजादी और मीडिया की आजादी शामिल है।

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English summary
People in Hong Kong asking for freedom from China all about protest against a security law.
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