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पाकिस्तानी नहीं आ पाएंगे निज़ामुद्दीन औलिया के उर्स में

पाकिस्तान के 192 ज़ायरीन निज़ामुद्दीन औलिया के उर्स में शरीक होना चाहते थे. भारत से नहीं मिला वीज़ा.

By BBC News हिन्दी
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हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह
Getty Images
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह

पाकिस्तान के नागरिक इस बार नई दिल्ली स्थित ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह में होने वाले सालाना उर्स में शामिल नहीं हो पाएंगे. इसकी वजह है भारत की तरफ़ से पाकिस्तानी नागरिकों को वीज़ा जारी न करना.

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के दफ़्तर ने बताया है कि पाकिस्तान के श्रद्धालुओं को वीज़ा जारी नहीं होने की वजह से वे ख़्वाजा निज़ादमुद्दीन औलिया के सालाना उर्स (समारोह) में शामिल नहीं हो पाएंगे.

अंतिम समय में यात्रियों को वीज़ा नहीं देने के भारत के फ़ैसले का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, "ये भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक दरगाहों के संबंध में हुए 1974 के प्रोटोकॉल का उल्लंघन है."

1 जनवरी से शुरू होगा उर्स

मध्य काल के सूफी संत हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया का उर्स 1 जनवरी से 8 जनवरी तक आयोजित किया जाना है.

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, "भारत के निर्णय के परिणामस्वरूप 192 पाकिस्तानी ज़ायरीन उर्स में शरीक होने से महरूम हो जाएंगे".

बयान में यह भी कहा गया है कि यह न केवल पारस्परिक प्रोटोकॉल और धार्मिक स्वतंत्रता के बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि इस तरह के फ़ैसले से दोनों देशों के बीच संबंध भी प्रभावित होते हैं. साथ ही दोनों देशों के बीच जनसंपर्कों को बढ़ावा देने की कोशिशों को भी हतोत्साहित करते हैं.

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दरगाह
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सिखों के लिए विशेष ट्रेन की पेशकश की थी

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान ने सिख श्रद्धालुओं के लिए भारत से विशेष ट्रेन चलाने की पेशकश की थी, लेकिन भारत की ओर से देरी के कारण, सिख समुदाय के लोग गुरु अर्जुन देव की 'शहादत' और महाराजा रणजीत सिंह की बरसी के मौक़े पर पाकिस्तान नहीं आ सके थे.

दरगाह हज़रत निज़ामुद्दीन के एक सज्जादा-नशीं सैयद साजिद निज़ामी ने बीबीसी से बात करते हुए इस पूरे मसले पर दुःख प्रकट किया और कहा, "ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि हज़रत निजामुद्दीन का संदेश प्रेम था."

हिना रब्बानी ख़ार
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हिना रब्बानी ख़ार

उन्होंने कहा, "यह हमारी परंपरा है कि दोनों देशों के लोग समय-समय पर एक दूसरे देश की तीर्थ यात्रा में जाते हैं." पहले भी अजमेर के हज़रत मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर लोग वहां से आए थे.

उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रतिनिधिमंडल के आने जाने से जनसंपर्क बढ़ता है और यह दोनों देशों के हित में होता है.

BBC Hindi
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English summary
Pakistanis can not come in Nizamuddin Auliyas Urs
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