भारत के साथ 'गोपनीय वार्ता' पर बोले पाकिस्तानी विदेश मंत्री
क्या भारत और पाकिस्तान के बीच यूएई पर्दे के पीछे से बातचीत करवा रहा है? इस सवाल का जवाब पाकिस्तान विदेश मंत्री ने दिया है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने पाकिस्तान और भारत के बीच किसी तरह की 'खुफ़िया बातचीत' से इनकार किया है और कहा है कि दोनों मुल्कों के बीच बैकडोर चैनल के ज़रिए या फिर किसी तीसरे पक्ष की मदद से कोई बातचीत नहीं चल रही है. शुक्रवार को तुर्की के टेलीविज़न चैनल टीआरटीवर्ल्ड को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने इस तरह दावों को ख़ारिज किया और कहा कि "फ़िलहाल उनके साथ हमारी किसी तरह की बातचीत नहीं चल रही है. संयुक्त अरब अमीरात किसी तरह की बातचीत के लिए मध्यस्थता नहीं कर रहा है." हाल में इस तरह की ख़बरें आई थीं कि इस साल दोनों पड़ोसियों के बीच गुप्त संपर्क और बातचीत की शुरुआत हो चुकी है, जिसकी मध्यस्थता संयुक्त अरब अमीरात कर रहा है. अपने इंटरव्यू में शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि "पाकिस्तान और भारत, दोनों ही दक्षिण एशिया के दो परमाणु हथियार संपन्न देश हैं और संयुक्त अरब अमीरात के दोनों के साथ अच्छे रिश्ते हैं. लेकिन दोनों पड़ोसियों के बीच फ़िलहाल किसी तरह की कोई बातचीत नहीं चल रही है."
हालांकि उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कभी भी बातचीत से पीछे नहीं हटा है बल्कि भारत हमेशा बातचीत से पीछे हटता रहा है. उन्होंने इंटरव्यू के दौरान भारत पर उकसावे भरे क़दम उठाने का आरोप लगाया और कहा कि पाकिस्तान पूर्व और पश्चिम के अपने सभी पड़ोसियों के साथ मधुर रिश्ते चाहता है क्योंकि उसके आर्थिक विकास के लिए ये बेहतर है. इंटरव्यू के दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के भारत सरकार के फ़ैसले का ज़िक्र किया और कहा, "बातचीत के लिए हमें तैयार करने के लिए भारत को सकारात्मक माहौल तैयार करना होगा. उन्होंने कश्मीरियों से अधिकार छीने हैं और उन पर पाबंदियां लगाईं हैं. ऐसे में बातचीत कैसे आगे बढ़ सकती है?" उन्होंने भारत की कश्मीर नीति को नाकाम क़रार दिया और कहा कि "पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार हो इसके लिए भारत को अपनी कश्मीर नीति पर फिर से विचार करना होगा."
'अफ़ग़ानिस्तान में शांति बहाल होना पाकिस्तान के हित में'
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा है कि अफ़ग़ान शांति वार्ता को आगे बढ़ाने का सबसे बेहतर तरीक़ा यही होगा कि तालिबान को बातचीत के लिए मनाया जाए. उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में शांति और स्थायित्व पाकिस्तान के हित में है और इस मामले में देश की सभी संस्थाएं एकमत हैं. उन्होंने कहा, "अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध और चरमपंथ के कारण पाकिस्तान को काफ़ी मुश्किलें झेलनी पड़ी हैं. उसे आर्थिक और लोगों की जान के रूप में इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ी है. पाकिस्तान का मानना है कि अफ़ग़ानिस्तान में शांति और स्थायित्व हो." इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में शांति बहाल करने कोशिशों में पाकिस्तान की अहम भूमिका रही है. उन्होंने कहा कि दोहा समझौते समेत अब तक अफ़ग़ान शांति वार्ता को लेकर जो प्रगति हुई है वो पाकिस्तान की भूमिका के बिना नहीं हो पाती. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हरसंभव कोशिश कर रहा है कि बातचीत के लिए सभी पक्ष सामने आएं और बातचीत सकारात्मक हो.
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शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि वो तालिबान को हथियार डालने और बातचीत की मेज़ पर आने के लिए मना सकते हैं. उन्होंने कहा कि अफ़ग़ान तालिबान खुद हिंसा के समर्थक नहीं हैं और शांति चाहते हैं, वो स्मार्ट हैं और अपनी बात सही तरीके से सामने रख सकते हैं. उन्होंने कहा, "हम नहीं चाहते कि इस इलाक़े में कोई चरमपंधी समूह अपने पैर जमाए. इसी कारण हम शांति वार्ता में अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं और हमने अफ़ग़ानिस्तान से सटी अपनी सीमा पर आवाजाही पर नियंत्रण लगाने के लिए हमने सीमा की तारबंदी भी शुरू की है." हाल में अफ़ग़ान शांति वार्ता के आगे बढ़ने को लेकर उस वक्त चिंता बढ़ गई जब तालिबान ने तुर्की में होने वाले के अगले दौर में शामिल होने से इनकार कर दिया है. अफ़ग़ानिस्तान में हाल में हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी के सवाल पर कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में जो कुछ हो रहा है उन सभी के लिए तालिबान को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. वहां कई और घटक भी हैं जो वहां शांति बहाल नहीं होने देना चाहते.
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