कश्मीर मुद्दे पर बौखलाए पाकिस्तान ने स्थायी रूप से रोकी समझौता एक्सप्रेस
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इस्लामाबाद। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले धारा 370 को खत्म करने के मोदी सरकार के फैसले से पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है। भारत के इस फैसले से जहां पाकिस्तान की इमरान खान सरकार परेशान है, वहीं इस फैसले के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से लगातार कई कदम भी उठाए जा रहे हैं। उनकी कोशिश भारत के जम्मू-कश्मीर को लेकर फैसले का विरोध जताने की है। इसी के मद्देनजर पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने समझौता एक्सप्रेस सेवाएं स्थायी रूप से सस्पेंड करने का फैसला लिया है।
पाकिस्तान ने रोकी समझौता एक्सप्रेस
पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद अहमद ने इस फैसले की जानकारी दी है। उन्होंने बताया, 'रेल मंत्रालय की ओर से लिए गए फैसले में समझौता एक्सप्रेस सेवाओं को स्थायी रूप से रोक दिया गया है। यह सप्ताह में दो बार संचालित होती थी। जिन लोगों ने पहले से ही अपने टिकट खरीदे थे, वे अपना पैसा लाहौर डीएस कार्यालय से वापस ले सकते हैं।' गुरुवार को पाकिस्तान की ओर से समझौता एक्सप्रेस रोकने की जानकारी मिली है। ये कोई अकेला कदम नहीं है जो पाकिस्तान की तरफ से उठाया गया है। इससे पहले बुधवार को पाकिस्तान ने एक बार फिर से अपना एयरस्पेस बंद करने का ऐलान किया।
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पाकिस्तान ने अपने उच्चायुक्त को भारत से बुलाने का फैसला लिया
यही नहीं पाकिस्तान सरकार ने अपने उच्चायुक्त को भी भारत से बुलाने का फैसला किया है। पाकिस्तान ने भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया को वापस भेजने का फैसला किया है, साथ ही भारत के साथ सभी तरह के द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध खत्म कर लिए हैं। पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ऐलान किया कि पाकिस्तान, दिल्ली से अपने राजदूत को वापस बुला रहा है जबकि सरकार की तरफ बयान जारी कर व्यापारिक संबंध खत्म करने की जानकारी दी गई।
पाकिस्तान के बौखलाहट भरे कदम पर भारत का पलटवार
वहीं पाकिस्तान की ओर से बौखलाहट में उठाए जा रहे फैसलों पर भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया, 'भारत सरकार उन कदमों पर अफसोस जाहिर करती है जो कल पाकिस्तान की तरफ से उठाए गए हैं। इसके साथ ही हम उनसे अपील करते हैं कि एक बार उन फैसलों की समीक्षा करे ताकि कूटनीतिक संपर्क के सामान्य माध्यमों को संरक्षित रखा जा सके।' बयान में आगे कहा गया, 'हमनें ऐसी रिपोर्ट्स देखी हैं कि पाकिस्तान ने फैसला कर दिया द्विपक्षीय संबंधों के सिलसिले में कुछ तय कदम उठाने जा रहा है जिसमें राजनयिक संबंधों को कमतर करना भी शामिल है।'
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