1993 ब्लास्ट से लेकर उरी हमले में पाकिस्तान का हाथ, फिर भी इमरान को चाहिए पुलवामा हमले के सबूत
नई दिल्ली। पुलवामा हमले के पांच दिन बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पहली बार पब्लिक में आकर दोनों देशों के बीच बढ़ रहे तनाव पर अपनी बात रखी। इमरान खान ने कहा कि यह उनका 'नया पाकिस्तान' है और हम ऐसी कोई हरकत नहीं करते, जिससे कि दोनों देशों के बीच विवाद बढ़े। पुलवामा हमले को लेकर भारत के आरोपों को नकारते हुए इमरान खान ने कहा कि अगर कोई सबूत है तो पेश करें, हम कार्रवाई करने के लिए तैयार है। हालांकि, यह अलग बात है कि 1993 से लेकर कई बार भारत अपने पड़ोसी देश की दहशतगर्दी के खिलाफ को पाकिस्तान सबूत सौंपे हैं, लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं है। यहां तक कि इमरान खान के आने के बाद तो भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसों ने अपनी जड़ें और मजबूत की हैं। आज जिस तरह से पाकिस्तान के पीएम ने सबूत मांगे हैं, तो आपके याद दिला दें कि भारत ने कितनी बार पड़ोसी देश को सबूत दिए हैं...
1993
ब्लास्ट
और
दाऊद
मुंबई
के
1993
सीरियल
ब्लास्ट
को
पाकिस्तान
में
ही
बैठकर
दाऊद
इब्राहिम
ने
अंजाम
दिया
था।
1993
ब्लास्ट
के
बाद
ही
दाऊद
भारत
के
लिए
मोस्ट
वांटेड
बन
गया
था।
दाऊद
इब्राहिम
को
छोड़
कर
बाकी
सभी
आरोपियों
को
1993
मुंबई
सीरियल
धमाकों
में
सजा
हो
गई,
क्योंकि
वो
इस
ब्लास्ट
से
काफी
पहले
पाकिस्तान
भाग
चुका
था।
भारत
ने
पाकिस्तान
को
सारे
सबूत
सौंप
दिए
थे,
यहां
तक
कि
उसके
वो
तीन
पते
भी
जिन
पर
दाऊद
के
रहने
का
अंदेशा
था।
इस
हमले
जख्म
25
साल
के
बाद
आज
भी
गहरे
हैं,
लेकिन
पाकिस्तान
में
बैठे
दाऊद
के
खिलाफ
कोई
कार्रवाई
नहीं
हो
पाई
है।
26/11
के
हमले
और
कसाब
आजाद
भारत
के
सबसे
दर्दनाक
हमलों
में
से
एक
आतंकी
हमला
जिसने
महीनों
तक
देश
की
नींदें
उड़ा
दी
थी।
26
नवंबर
2008
को
पाकिस्तान
से
आए
आतंकियों
ने
मुंबई
के
अलग-अलग
जगहों
पर
खून
खराबा
मचाया
था।
इस
हमले
में
सभी
आतंकी
मारे
गए
थे,
लेकिन
अजमल
कसाब
को
मुंबई
पुलिस
ने
जिंदा
पकड़
लिया
था
और
उसी
ने
ही
पूरा
खुलासा
किया
था
कि
वह
कैसे
पाकिस्तान
से
अपनी
पूरी
टीम
के
साथ
समुद्री
रास्ते
से
मुंबई
में
घुसा
था।
इस
हमले
की
साजिश
अलकायदा
सरगाना
हाफिज
सईद
ने
रची
थी
और
भारत
बयानों
से
लेकर
हमले
में
मिले
सभी
सुराग
को
सबूत
के
आधार
पर
पाकिस्तान
को
सौंपे
थे।
आज
हाफिज
सईद
इमरान
खान
के
'नये
पाकिस्तान'
में
खुल्लेआम
जम्मू
कश्मीर
में
जिहाद
का
ऐलान
कर
रहा
है।
पठानकोट
और
जैश
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
कार्यकाल
में
सबसे
पहला
अटैक
पंजाब
के
पठानकोट
एयरबेस
पर
हुआ
था,
जिसमें
भारत
7
जवानों
की
मौत
हुई
थी।
इस
हमले
के
तुरंत
बाद
भारत
ने
पाकिस्तान
को
उनके
हाथ
होने
का
सबूत
सौंपे
थे।
उस
वक्त
पाकिस्तान
ने
सबूतों
को
लेकर
खंडन
नहीं
किया
था।
उसके
बाद
पाकिस्तान
की
एक
टीम
भी
पठानकोट
पहुंकर
हमले
की
जांच
की
थी।
इस
दौरान
भारत
की
इंटेलीजेंस
एजेंसियों
ने
पठानकोट
एयरफोर्स
बेस
पर
हमला
करने
वाले
आतंकियों
की
फोन
कॉल्स
को
इंटरसेप्ट
किया
था,
जिसमें
आतंकियों
ने
सीमा
पार
पाकिस्तान
में
अपने
परिजनों
और
अपने
आकाओं
से
बात
की
थी।
पाकिस्तान
में
उनके
आकाओं
के
मोबाइल
नंबर
और
उनके
सीमा
पार
से
आने
के
सबूत
पाकिस्तान
के
साथ
साझा
किए
गए
थे।
इस
हमले
के
बाद
आतंकियों
के
जीपीएस
कॉर्डिनेट्स,
कॉल
लॉग्स
और
ट्रांसक्रिप्टस
भी
पाकिस्तान
को
सौंपे
गए
थे।
इस
हमले
में
जैश-ए-मोहम्मद
के
खिलाफ
सबूत
मिले
थे।
उरी
और
जैश
मोदी
सरकार
के
कार्याकाल
में
दूसरा
बड़ा
हमला
जम्मू
कश्मीर
के
उरी
में
हुआ
था।
18
सितंबर
2016
को
जम्मू
कश्मीर
के
उरी
में
सेना
के
कैंप
आतंकियों
ने
रात
को
हमला
बोला
दिया
था,
जिसमें
देश
के
18
जवान
शहीद
हुए
थे।
इस
हमले
की
जिम्मेदारी
भी
जैश-ए-मोहम्मद
ने
ही
ली
थी।
भारत
ने
उरी
हमले
से
जुड़े
डिटेल्स
पाकिस्तान
को
सौंपे
दिए
थे,
जिसमें
एक
हमलावर
की
पहचान
हाफिज
अहमद,
मुजफ्फराबाद
के
रूप
में
की
गई
थी।
उरी
हमले
के
हैंडलर्स
के
बारे
में
भी
जानकारी
पाकिस्तान
को
सौंपी
गई
थी,
जिसमें
मोहम्मद
कबीर
अवान
और
बशारत
ने
इस
हमले
के
हैंडलर
का
रोल
निभाया।
इतना
सबकुछ
होने
के
बाद
भी
इमरान
खान
चाहते
हैं
कि
पुलवामा
हमले
के
बाद
भारत
उन्हें
सबूत
दें,
ताकि
वे
दहशतगर्दी
के
खिलाफ
कार्रवाई
कर
सके।
इस
बार
एक
बार
फिर
पुलवामा
हमले
के
कुछ
ही
मिनटों
के
बाद
जैश
ने
इसकी
जिम्मेदारी
ली
थी,
लेकिन
इमरान
खान
कोई
इससे
कोई
लेना
देना
नहीं
है।
यह
वही,
जैश
है
जो
इमरान
खान
के
राज
में
पाकिस्तान
में
अपने
नए
अड्डे
बना
रहा
है।