पाकिस्तान के चुनाव में सेना की दखलअंदाजी से क्या इमरान को मिलेगी जीत?
नई दिल्ली। पाकिस्तान की राजनीति में सेना की दखलअंदाजी का इतिहास बहुत पुराना रहा है और इस बार के चुनावी घटनाक्रम को देखे तो सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता दिख रहा है। नवाज शरीफ की गिरफ्तारी और उनके साथ-साथ पीएमएल-एन पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को भी बिना किसी जुर्म में हिरासत में लेने का आदेश दिए गए हैं। पाकिस्तान में चुनाव के दौरान हिंसा और आतंकी हमलों को रोकने में नाकाम सेना को लगता है कि नवाज की पार्टी के नेताओं के भाषणों से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है, इसलिए सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को चुनाव तक हिरासत में ले लिया जाए। वहीं, मिलिट्री की आलोचना करने वाले पाकिस्तानी टीवी चैनलों पर भी गाज गिरी है। इस बार सेना ने नवाज शरीफ की पार्टी को हराने के लिए अपना पूरा जोर लगा दिया है।
नवाज की बर्खास्तगी के पीछे सेना का हाथ
नवाज शरीफ और उनके परिवार को जिस तरह से निशाना बनाया गया है, उसके पीछे सेना का बहुत बड़ा रोल माना जा रहा है। यहां तक कि पाकिस्तान की ज्यूडिसरी पर भी सेना की मजबूत पकड़ मानी जाती है। पीएमएल-एन का मानना है कि नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त करने के लिए सेना ने ही पूरी व्यूहरचना गढ़ी थी। सेना चाहती है कि इमरान खान ही इस बार पाकिस्तान की हुकूमत को संभाले। वहीं, चुनावी रैलियों से लेकर टीवी इंटरव्यू में इमरान खान भी कई बार पाकिस्तानी मिलिट्री की तारीफों के पुल बांध चुके हैं।
पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने आईएसआई पर लगाया चुनावों में हस्तक्षेप करने का आरोप
मीडिया पर भी सेना का दबाव
वहीं, नवाज शरीफ और उनकी पार्टी की तरफ झुकाव रखने वाली मीडिया पर पाकिस्तानी मिलिट्री कार्रवाई कर चुकी है। हाल ही में सेना के खिलाफ आवाज उठाने और उनकी नीतियों की आलोचना करने की वजह से Geo TV नेटवर्क के 80 प्रतिशत ब्रॉडकोस्ट को बंद कर दिया गया था। उस दौरान पाकिस्तान के गृहमंत्री ने कहा था कि Geo TV के सस्पेंशन को लेकर सरकार की तरफ से कोई आदेश नहीं दिया गया था। पाकिस्तान लोकल मीडिया के मानना है कि मिलिट्री ने ही Geo TV का सस्पेंशन किया था। वहीं, मई में शरीफ ने आरोप लगाया था कि पीएमएल-एन के सांसदों को पार्टी छोड़ने के लिए सेना दबाव डाल रही है।
सेना और नवाज के बीच पुरानी अनबन
पाकिस्तान में नवाज शरीफ और सेना के बीच रिश्तें शुरू से ही थोड़े नरम रहे हैं। ताजा उदाहरण दिसंबर 2015 का है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का सरप्राइज दौरा कर नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। भारत सरकार के मुताबिक, इस मुलाकात में कश्मीर से लेकर दोनों देशों के बीच आर्थिक मुद्दों को लेकर चर्चा हुई थी। लेकिन, दोनों देशों के बीच रिश्तों में जमीं बर्फ पिघलती, उससे पहले पठानकोट में आतंकी हमला हो गया, जिसके पीछे एक बार फिर पाकिस्तानी सेना और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई की नापाक करतूतों के सबूत मिले थे।
चुनाव में धांधली के आसार
इस बार चुनाव में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और सत्ताधारी पीएमएल-एन के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। वहीं, सर्वे के मुताबिक भी नवाज शरीफ की पार्टी इमरान खान से पीछे दिखाई दे रही है। शहरी लोगों और युवाओं के बीच इमरान खान को लेकर खासा उत्साह देखा गया है, लेकिन पाकिस्तान के ग्रामीण इलाकों में नवाज शरीफ का अभी भी दबदबा है। सर्वे में जहां इमरान खान की पार्टी को 30 फिसदी वोट मिल रहे हैं, तो वहीं नवाज को 27 फिसदी लोग पसंद कर रहे हैं। आशंका यह भी जताई जा रही है कि इमरान खान को जीताने के लिए पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाली आम चुनावों में बड़े स्तर पर धांधली होने वाली है।
पाकिस्तान: नवाज शरीफ के साथ पार्टी के कई नेताओं को चुनाव तक हिरासत में लेने के आदेश