श्रीलंका में इमरान खान बने चीन के एजेंट, श्रीलंका को CPEC का लोभ देकर भारत के खिलाफ बना रहे चक्रव्यूह
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने श्रीलंका को CPEC ज्वाइन करने का लालच दिया है ताकि भारत को घेरा जा सके।
कोलंबो: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्रीलंका दौरे पर हैं लेकिन ऐसा लग रहा है कि मानो वो श्रीलंका अपने देश की बात करने नहीं बल्कि चीन के एजेंट बनकर पहुंचे हों। श्रीलंका पहुंचते ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री चीन की पैरवी करने लगे और भारत के खिलाफ अपनी योजना को अमलीजाना पहुंचाने में जुट गये। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने जैसे ही श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिन्द्रा राजपक्षे से मुलाकात की, उन्हें CPEC ज्वाइन करने का लालच दे दिया।
श्रीलंका में चीन के एजेंट बने इमरान
दो दिनों के दौरे पर श्रीलंका पहुंचे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान वहां चीन का प्रोपेगेंडा चला रहे हैं। मंगलवार को श्रीलंकन प्रधानमंत्री महिन्द्रा राजपक्षे से मुलाकात के बाद इमरान खान ने उन्हें चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का महत्व समझाना शुरू कर दिया। इमरान खान का ये दौरा ऐसा लग रहा है मानो वो चीन की बात करने चीन के द्वारा ही श्रीलंका भेजे गये हैं। इमरान खान ने श्रीलंका को अरबों डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे यानि CPEC का लालच दिया है। इमरान खान ने श्रीलंका में कहा है कि पाकिस्तान सीपीईसी के जरिए श्रीलंका के साथ व्यापारिक संबंधों को और आगे बढ़ाने की दिशा में देख रहा है। इमरान खान ने कहा कि श्रीलंका पहले से ही चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड कार्यक्रम का हिस्सा है और सीपीईसी उसका सबसे बड़ा उजदाहरण है।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिन्द्रा राजपक्षे से मुलाकात के बाद श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच कई मुद्दों पर सहमति और कई एग्रीमेंट्स पर समझौते हुए हैं। व्यापार, इनवेस्टमेंट, साइंस, टेक्नोलॉजी, टूरिज्म और कल्चर को लेकर दोनों देशों के बीच करार होने की संभावना है। श्रीलंका में श्रीलंकन प्रधानमंत्री महिन्द्र राजपक्षे के साथ ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा है कि 'मेरा श्रीलंका आने का मुख्य मकसद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ावा देना है ताकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौते और मजबूत हो सकें'
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने श्रीलंका को सीपीईसी से जुड़ने का लालच देते हुए कहा कि सीपीईसी से जुड़कर श्रीलंका को कई फायदे हो सकते हैं और सेन्ट्रल एशियन देशों के साथ श्रीलंका की सीधे कनेक्टिविटी हो सकती है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और वाणिज्य मंत्री भी साथ हैं। इमरान कान के साथ पाकिस्तान के 40 कारोबारी भी श्रीलंका गये हैं जिनकी श्रीलंका के 200 अग्रणी व्यापारियों के साथ मुलाकात होगी। श्रीलंका स्थिति पाकिस्तानी दूतावास ने पाकिस्तानी कारोबारियों और श्रीलंकन कारोबारियों की मुलाकात कराने की योजना तैयार की है। श्रीलंका में ट्रेड और इन्वेस्टमेंट के लिहाज से दोनों देशों के कारोबारियों के बीच मुलाकात की योजना बनाई गई है।
पाकिस्तान-श्रीलंका में कई करार
श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच 2015 में 15 करोड़ 80 लाख डॉलर का व्यापार होता था जो 2018 में बढ़कर करीब 51 करोड़ डॉलर का हो चुका है। पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच काफी अच्छे कारोबारी रिश्ते हैं और चीन इसी का फायदा उठाना चाहता है। हालांकि, श्रीलंका के मुकाबले पाकिस्तान ज्यादा इस व्यापार का लाभ उठाता रहा है। श्रीलंका पाकिस्तान में चाय का कारोबार बढ़ाना चाहता है लिहाजा माना जा रहा है कि इमरान खान के दौरे में चाय पर भी नये करार हो सकते हैं। चाय के अलावा पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच दवाई, टेक्सटाइल, टूरिज्म, फुडवियर, हॉस्पीटेलिटी को लेकर भी दोनों देशों के कारोबारियों के बीच बातचीत और करार होने की संभावना है।
CPEC और भारत को नुकसान
चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानि सीपीईसी चीन की एक बहुत बड़ी वाणिज्यिक योजना है जिसके अंतर्गत 3 हजार किलोमीटर लंबा एक आर्थिक गलियारा तैयार किया जा रहा है। सीपीईसी में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से चीन के झिंझियांग प्रोविंस के काशगर शहर से राजमार्गों, रेलमार्गों और पाइपलाइनों को जोड़ेगा। इस गलियारे को 15 सालों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। सीपीईसी के निर्माण में 46 बिवलियन डॉलर का निवेश 2020 तक किया जाना था। सीपीईसी गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, बाल्तिस्तान और बलूचिस्तान से होते हुए गुजरेगा। चूंकी इसका निर्माण पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भी होना है, लिहाजा भारत सरकार को सीपीईसी से आपत्ति है। सीपीईसी को अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक अवैध है। भारत के लिए चिंता की बात ये है कि इस गलियारे के निर्माण के बाद पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान का दावा और मजबूत होगा। साथ ही ग्वादर बंदरगाह पर चीन की उपस्थिति, चीन द्वारा भारत को घेरने के लिए 'स्प्रिंग ऑफ पर्ल्स' यानि मोतियों की माला नीति का ही विस्तार है। सीपीईसी के निर्माण से चीन हिंद महासागर में अपना पैर पसार सकेगा और इसीलिए सीपीईसी में चीन श्रीलंका को भी शामिल करना चाहता है।
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