आस्मां जहांगीर: पाकिस्तान की मुखर आवाज हमेशा के लिए हुई 'शांत', कभी मुशर्रफ से लिया था पंगा
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में रविवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता आस्मां जहांगीर का निधन हो गया। दिल का दौरा पड़ने की वजह से 66 वर्षीय आस्मां जहांगीर ने लाहौर में अपनी अंतिम सांस ली। आस्मां जहांगीर को पाकिस्तान में एक मुखर आवाज के रूप में हमेशा के लिए जाना जाएगा, जिन्होंने अपने मुल्क के लोगों के अधिकारों की रक्षा करने और एक लोकतंत्रिक समावेशी पाकिस्तान का निर्माण के लिए अद्भूत लड़ाई लड़ीं। आस्मां जहांगीर का जन्म 1952 में लाहौर में हुआ था, उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की थीं।
आस्मां जहांगीर, पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं। इससे पहले 1987 में उन्होंने पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की सह-स्थापना की और 1993 तक महासचिव पद के रूप में अपनी सेवाएं दी।
जहांगीर ने दक्षिण एशियाई मानवाधिकारों के लिए सह-अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दी। उसके बाद वे संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें विशेष रिपोर्टर के रूप में चुना गया। 1983 में पाकिस्तान में सैन्य शासन के दौरान आस्मां जहांगीर को नजरबंद कर दिया गया था। वे अक्सर कट्टर राजनीति और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के खिलाफ रही थीं।
नवंबर 2007 में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी को बर्खास्त करने के विरोध में आस्मां जहांगीर ने सैकड़ों वकीलों के साथ पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ के खिलाफ आंदोलन किया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर दिया गया था। एक बार आस्मां जहांगीर ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई उनकी हत्या करने की कोशिश में है।